25 मार्च 2010

वो लोग बहुत खुश-किस्मत थे

वो लोग बहुत खुश-किस्मत थे
जो इश्क़ को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे

हम जीते जी मसरूफ रहे
कुछ इश्क़ किया, कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आखिर तंग आ कर हमने
दोनों को अधूरा छोड दिया

--- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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