4 सितंबर 2019

तैयार रहे…...

तैयार रहे…...

हिंसक भीड़ के हाथों,
पीटे जाने के लिए.
बार-बार,
बहानों से घेरे जाने के लिए,
असहमतियों के चलते,
मारे जाने के लिए,
तैयार रहें.

तैयार रहें
क्योंकि
धर्म,संस्कृति,सभ्यता पर,
चढांई जाती है,
धार.

तैयार रहे कि
आबादी के बिना भी,
बनाए जा सकतेे है देश.

शिक्षा-अध्यापकों के बिना,
महज टैंक खड़े करके भी,
बनाए जा सकते है विश्वविद्यालय.

उसी तरह जैसे,
अफवाहों, मिथकीय परिकल्पनाओं,
श्रद्धा और भावनाओं पर,
बिजूके की तरह ,
खड़ा किया जा सकता है,
कलफ लगा इतिहास.

तैयार रहो,
कि लोक को मिटा कर भी,
खड़ा किया जा सकता है तन्त्र.

तैयार रहो कि ,
एक दशक पहले तक,
जिनसे बचते चलते थे तुम.
आज उन्होंने तुम्हें भी समेट लिया है.

इसलिए,
पंखनुचे फड़फडा़ते परिन्दों की तरह,
अर्थ विहीन शब्दों से कामचलाने के लिए,
तैयार रहें.

अब इंसान ही नही,
संस्थाओं, संकल्पनाओं और
संस्कृतियों की हत्याएं भी मुमकिन हैं.
इसलिए अलग-अलग मौकों पर,
अलग-अलग बहानों से,
मारे जाने के लिए,
तैयार रहें.

तैयार रहें
कि अगली माबलिंचिंग,
किसी सड़क,गली या कस्बे में नही,
किसी सदन में भी मुमकिन है,
जहां पूरे के पूरे देश को ,
पीट-पीट कर बेदम किया जा सकता है.

आप बस अच्छे नागरिक बने,
सवाल ना करें और,
तैयार रहें...

---Ashrut Parmanand

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