उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली
दक्कन के वली ने मुझे गोदी में खिलाया
सौदा के क़सीदों ने मेरा हुस्न बढ़ाया
है मीर की अज़्मत कि मुझे चलना सिखाया
मैं दाग़ के आंगन में खिली बन के चमेली
उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली
ग़ालिब ने बुलंदी का सफ़र मुझको सिखाया
हाली ने मुरव्वत का सबक़ याद दिलाया
इक़बाल ने आईना-ए-हक़ मुझको दिखाया
मोमिन ने सजायी मेरे ख़्वाबों की हवेली
उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली
है ज़ौक़ की अज़्मत कि दिये मुझको सहारे
चकबस्त की उल्फ़त ने मेरे ख़्वाब संवारे
फ़ानी ने सजाये मेरी पलकों पे सितारे
अकबर ने रचायी मेरी बेरंग हथेली
उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली
क्यूं मुझको बनाते हो तआस्सुब का निशाना
मैंने तो कभी ख़ुद को मुसलमां नहीं माना
देखा था कभी मैंने भी ख़ुशियों का ज़माना
अपने ही वतन में हूं मगर आज अकेली
उर्दू है मेरा नाम, मैं ख़ुसरो की पहेली
मैं मीर की हमराज़ हूं, ग़ालिब की सहेली
✒ इक़बाल अशहर
फ़िर आरज़ू मेरी नई मंज़िल पे खड़ी है ।
ReplyDelete"मेंहदी"की कलम से मुझें उम्मीद बड़ी है।
मुझकों सँवारने को जो ज़िद पर अड़ी है।
एक और बार आज दुल्हन हूँ नवेली ।
उर्दू है मेरा नाम मैं ख़ुसरो की पहेली।।
Wah
DeleteBahut zabardast
ReplyDeleteइस नज़्म का आख़िरी हिस्सा पूरी नज़्म से मेल नहीं खाता। क्यूँकि जिन लोगों का ज़िक्र हुआ वे सब मुसलमान है।। आपने पूरी तरह से इसे मुसलमानों की ज़बान साबित कर दी और कह रहे हो कि मैंने तो कभी ख़ुद को मुसलमान नहीं माना
ReplyDeleteइनमे पंडित बृज नारायण चकबस्त का नाम भी है,
Deleteएक नाम कवर करने के लिए नाकाफ़ी है
DeleteUrdu bina hindi ke kuch nahi hai hindi aur arbic ko mila kar bani hai urdu
ReplyDeleteAyaan
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