Lyrics of Life
Poetry is untranslatable, like the whole art.
30 जून 2019
बात
मुँह से निकली बात
और वह
हवा सरीखी सरपट भागी
जा पहुँची
बाँसों के वन में !
रोकूँ टोकूँ तब तक
वह तो
लपट उठती दावानल-सी
फैल गई-
पूरे कानन में !!
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प्रेमशंकर रघुवंशी
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