तुमने कहा —
'मैं ईश्वर हूँ'
हमारे सिर झुका दिए गए।
तुमने कहा — 
'ब्रह्म सत्यम, जगत मिथ्या'
हमसे आकाश पुजाया गया।
तुमने कहा —
'मैंने जो कुछ भी कहा —
केवल वही सच है'
हमें अन्धा 
हमें बहरा 
हमें गूँगा बना 
गटर में धकेल दिया 
ताकि चुनौती न दे सकें 
तुम्हारी पाखण्डी सत्ता को।
मदान्ध ब्राह्मण 
धरती को नरक बनाने से पहले 
यह तो सोच ही लिया होता 
कि ज्वालामुखी के मुहाने 
कोई पाट सका है 
जो तुम पाट पाते !
---मलखान सिंह
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