आज वी जी करदा पिंड अपने नू जावां
डोबे विच भड़कें मझियां नवावां
लेके दाती पैयां विचों पत्ते वी ल्यावां
मिटीयां च खेलना कबड्डी वाला खेल
पिंड वाली ज़िंदगी दा किहड़े नाल मेल
पंज दरियावां दा मीठा मीठा पानी
वगदी हवावां विच गुरूआं दी वाणी
ओ कदे बेबे वाली बुक्कल चित्त चे ਭੁਲੋणी
हां नी मायिये मेरिये मैं सदके तेरे जावां
आज वी जी करदा पिंड अपने नू जावां
आज वी जी करदा पिंड अपने नू जावां....
--- धर्मेंद्र
यह कविता धर्मेंद्र द्वारा स्वयं लिखी गई है, जो उनकी आखिरी फिल्म 'इक्कीस' (परम वीर चक्र विजेता अरुण खेतारपाल पर बायोपिक) में प्रस्तुत की गई। धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर 2025 को हो गया।कविता पिंड की मिट्टी, नदी के पानी, कबड्डी और मां के प्यार के प्रति गहरी लालसा व्यक्त करती है।
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Aaj vi jee karda pind apne nu jaava
Dobbe vich bhadke majhiyan nawava
Leke daati paiyan vichon patthe v lyava
Mitiyan ch khedna kabadi wala khed
Pind wali zindagi da kihde naal mel
Panj dariyawan da mitha mitha pani
Vagdi hawaan vich guruan di vaani
O kade bebe wali bukkal chitt che bhuloni
Han ni maaye meriye mai sadke tere jaava
Aaj vi jee karda pind apne nu jaava
Aaj vi jee karda pind apne nu jaava....
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