Lyrics of Life
Poetry is untranslatable, like the whole art.
Oct 25, 2020
मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ
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मैं राम पर लिखूं मेरी हिम्मत नहीं है कुछ तुलसी ने बाल्मीकि ने छोड़ा नहीं है कुछ फिर ऐसा कोई ख़ास कलम वर नहीं हूँ मैं लेकिन वतन की ख़ाक से बा...
Oct 15, 2020
सफेद हाथी
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गाँव के दक्खिन में पोखर की पार से सटा, यह डोम पाड़ा है – जो दूर से देखने में ठेठ मेंढ़क लगता है और अन्दर घुसते ही सूअर की खुडारों में बदल...
Oct 12, 2020
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी
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हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी फिर भी तनहाईयों का शिकार आदमी सुबह से शाम तक बोझ ढोता हुआ अपनी ही लाश का ख़ुद मज़ार आदमी हर तरफ़ भागते दौड...
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