Lyrics of Life

Poetry is untranslatable, like the whole art.

January 30, 2014

जब लगें ज़ख्म...

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जब लगें ज़ख्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये है यही रस्म, तो यह रस्म उठा दी जाये तिशनगी कुछ तो बुझे तिशना-लबान-ए-गम की एक नदी दर्द की शहरों मे...
January 25, 2014

Grass

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Pile the bodies high at Austerlitz and Waterloo. Shovel them under and let me work— I am the grass; I cover all. And pile them high at G...
January 24, 2014

घास

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मैं दीवारों की संध में उगती हूं जहां दीवारों का जोड़ होता है वहां जहां वे एक दूसरे से मिलती हैं जहां वे पक्की कर दी जाती हैं वहीं मैं ...
January 18, 2014

ज़मीन तेरी कशिश

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कटेगा देखिए दिन जाने किस अज़ाब के साथ कि आज धूप नहीं निकली आफताब के साथ तो फिर बताओ समंदर सदा को क्यूँ सुनते हमारी प्यास का रिश्ता था जब...
January 17, 2014

Maut

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अपनी सोई हुई दुनिया को जगा लूं तो चलूं अपने ग़मख़ाने में एक धूम मचा लूं तो चलूं और एक जाम-ए-मए तल्ख़ चढ़ा लूं तो चलूं अभी चलता हूं ज़रा ...
January 16, 2014

खेत में दबाये गये दाने की तरह

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तुम्हे जानना चाहिए कि हम मिट कर फिर पैदा हो जायेंगे हमारे गले जो घोंट दिए गए हैं फिर से उन्हीं गीतों को गायेंगे जिनकी भनक से तुम्हें चक्...
January 14, 2014

सम्पाती

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तुम्हें मैं दोष नहीं देता हूँ सारा कसूर अपने सिर पर लेता हूँ यह मेरा ही कसूर था कि सूर्य के घोड़ों से होड़ लेने को मैं आकाश में उड़ा जटाय...
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