Lyrics of Life
Poetry is untranslatable, like the whole art.
29 दिसंबर 2019
हमें क्या
इतवार के दिन
न मैं उठूँ जल्दी
न तुम
सूर्य उठे केवल
काम पर अपने लगना होगा उसे
दहके कहीं
हमें क्या
आते खिड़की तक हमारी
ठिठुरना ही है उसे
---
अनिरुद्ध उमट
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
मोबाइल वर्शन देखें
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें