खेले मसाने में होरी दिगम्बर भुत पिसाच बटोरी दिगंबर खेले मसाने में होरी,
लखि सूंदर फागुनी झता के, मन से रंग गुलाल हटा के, चिता बसम की झोरी दिगंबर खेले मसाने में होरी,
नाचत गावत डमरू धारी, छोडत सर पे गर्ल पिचकारी, बीते प्रेत थपोरी दिगंबर खेले मसाने में होरी,
भुत नाथ की मंगल होरी, देख सिहाये ब्रिज की छोरी, धन धन नाथ अगोहरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी,
गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक न कोहनू वाधा न साजन न गोरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी |
"खेले मसाने में होरी दिगम्बर" एक प्रसिद्ध भजन और लोकगीत है जो खासकर काशी (वाराणसी) के मणिकर्णिका घाट पर होली के त्योहार के दौरान गाया जाता है। इस गीत में भगवान शिव की महिमा का वर्णन होता है, जो श्मशान (मसाना) की पवित्रता और शक्ति को दर्शाता है।
हिन्दी अर्थ: वृक्ष फल दूसरों के लिए देते हैं, नदियाँ दूसरों के लिए अपना जल बहाती हैं, गायें दूसरों के लिए दूध देती हैं, मनुष्य का शरीर भी दूसरों की भलाई के लिए होना चाहिए।
6. अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च। धर्मेणैव जीवितं हि लोकः सुखमास्थितः।
हिन्दी अर्थ: अहिंसा ही परम धर्म है, परंतु यदि धर्म की रक्षा के लिए हिंसा आवश्यक हो तो वह भी धर्म के अन्तर्गत आती है। इससे जीवन का सही अर्थ और संसार का संतुलन समझ आता है।
7. अर्थस्य निश्चयो दृष्टो विचारेण हितोक्तितः । न स्नानेन न दानेन प्राणायाम शतेन वा ॥
हिंदी अर्थ: विवेकपूर्ण विचार-मनन और हितकारी उपदेशों के द्वारा ही तत्त्वज्ञान की निश्चयात्मक प्राप्ति होती है। केवल स्नान करने से, दान देने से अथवा सैकड़ों प्राणायाम करने से आत्मज्ञान प्राप्त नहीं होता.
अर्थ : हर क्षण और हर छोटे से छोटे कण का ध्यान रखकर विद्या और धन का अर्जन करना चाहिए। अगर समय या संसाधन व्यर्थ जाते हैं तो विद्या या धन कैसे प्राप्त होंगे?
अर्थ : गुस्से से क्रोध को हराया जा सकता है। बुरे मनुष्य को अच्छे मनुष्य से जीता जा सकता है। दान से लालच को हराया जा सकता है और सत्य बोलने से झूठ पर जीत होती है।
अर्थ : चलती हुई चींटी सैकड़ों योजन की दूरी तय कर जाती है, परंतु न चलने वाला गरुड़ पक्षी भी एक कदम नहीं बढ़ा सकता। इससे यह सीख मिलती है कि निरंतर प्रयास से ही सफलता मिलती है, चाहे गति धीमी हो।
3. दिनान्ते च पिबेद् दुग्धं निशान्ते च पिबेत् पयः। भोजनान्ते च पिबेत् तक्रं किम् वैध्यस्य प्रयोजनम्॥
अर्थ : दिन के अंत में दूध पिए और रात के अंत में जल पिए। भोजन के अंत में दही पिए। ऐसे आहार से शरीर स्वस्थ रहता है, अन्यथा चिकित्सक (वैद्य) का कोई लाभ नहीं।
अर्थ : मनुष्य को छह दोषों से बचना चाहिए, जो उसके विनाश के कारण हैं – नींद, सुस्ती, भय, क्रोध, आलस्य और बहुत लंबे समय तक निरंतर विचार करना।
5. निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अधेव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा न्याय्यात् पथः प्रविचलन्ति पदं न धीरा:॥
अर्थ : जो लोग नीति में पारंगत हैं, चाहे उनका कोई भी निंदा करें या स्तुति, लक्ष्मी (श्री, समृद्धि) उनका साथ देती है या नहीं, चलो, मर जाना बेहतर है। क्योंकि जो धीर पुरुष सत्य और न्याय के मार्ग पर चलते हैं, उनका कभी पद भी नहीं हिलता।
हिन्दी अर्थ: समुद्र में अनावश्यक वृद्धि (पानी डालना) व्यर्थ है, संतुष्ट व्यक्ति को भोजन देना भी व्यर्थ है; सम्पन्न व्यक्ति को दान देना और दिन के उजाले में दीप जलाना भी व्यर्थ है।
हिन्दी अर्थ: जहां बुद्धि, सद्बुद्धि (विवेक) और महापुरुषों का संग होता है, वहीं महानता आती है। सुई में अगर तलवार की धार लगा दी जाए, तो भी वह तलवार का काम नहीं कर सकती।
वह जो कुर्सी पर बैठा अख़बार पढ़ने का ढोंग कर रहा है जासूस की तरह वह दरअसल मृत्यु का फ़रिश्ता है ।
क्या शानदार डॉक्टरों जैसी बेदाग़ सफ़ेद पोशाक है उसकी दवाओं की स्वच्छ गंध से भरी मगर अभी जब उबासी लेकर अख़बार फड़फड़ाएगा, जो दरअसल उसके पंख हैं तो भयानक बदबू से भर जायेगा यह कमरा और ताजा खून के गर्म छींटे तुम्हारे चेहरे और बालों को भी लथपथ कर देंगे हालांकि बैठा है वह समुद्रों के पार और तुम जो उसे देख प् रहे हो
वह सिर्फ तकनीक है ताकि तुम उसकी सतत उपस्तिथि को विस्मृत न कर सको
बालू पर चलते हैं अविश्वसनीय रफ़्तार से सरसराते हुए भारी-भरकम टैंक घरों पर बुलडोजर बस्तियों पर बम बरसते हैं बच्चों पर गोलियां
एक कुत्ता भागा जा रहा है धमाकों की आवाज़ के बीच मुंह में किसी बच्चे की उखड़ी बची हुई भुजा दबाये कान पूँछ हलके से दबे हुए उसे किसी परिकल्पित सुरक्षित ठिकाने की तलाश है जहाँ वह इत्मीनान से खा सके अपना शानदार भोज वह ठिकाना उसे कभी मिलेगा नहीं ।
संदर्भ:कविता हिंदी के यथार्थवादी कवि गजानन माधव मुक्तिबोध से प्रेरित है। फिल्म "जॉली एलएलबी 3" में किसान की आत्मकथा की तरह सुनाई गई वह कविता हिंदी साहित्य के महान कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रेरणा से बनायी गई है। यह कविता किसान की भावनाओं और संघर्ष को गहरे और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है।
यह पोस्ट निराला के जीवन के अंतिम वर्षों में लिखा गया एक अनोखा और ध्वन्यात्मक गीत प्रस्तुत करता है, जो उनकी मृत्यु के बाद "सान्ध्य काकली" में संकलित हुआ। यह गीत पारंपरिक ध्रुपद गायन की शैली के समान शब्दों के उलटफेर और पुनरावृत्ति से भरा है, जिसे रामविलास शर्मा ने निराला की "क्लासिकी" संगीत रचना बताया है।
सुन सुन सुन मेरे नन्हे सुन, सुन सुन सुन मेरे मुन्ने सुन, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।
सुन सुन सुन मेरी नन्ही सुन, सुन सुन सुन मेरी मुन्नी सुन, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।
ख़त्म काली रात हो, रोशनी की बात हो, दोस्ती की बात हो, ज़िन्दगी की बात हो। बात हो इंसान की, बात हो हिन्दुस्तान की, सारा भारत ये कहे – प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।
अब ना दुश्मनी पाले, अब ना कोई घर जले, अब नहीं उजड़े सुहाग, अब नहीं फैले ये आग। अब ना हों बच्चे अनाथ, अब ना हो नफ़रत की घाट, सारा भारत ये कहे – प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे।
सारे बच्चे बच्चियाँ, सारे बूढ़े और जवाँ, यानि सब हिन्दुस्तान। एक मंज़िल पर मिलें, एक साथ फिर चलें, एक साथ फिर रहें, एक साथ फिर कहें। एक साथ फिर कहें, फिर कहें – प्यार की गंगा बहे, प्यार की गंगा बहे, देश में एकता रहे, देश में एकता रहे, सारा भारत ये कहे, सारा भारत ये कहे – देश में एकता रहे।
गीत “प्यार की गंगा बहे” 1993 में निर्देशक सुभाष घई ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के आग्रह पर बनाया, जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश में साम्प्रदायिक तनाव था। गीतकार जावेद अख्तर और संगीतकार लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने इसे रचा। इसमें बॉलीवुड सितारे सलमान खान, आमिर खान, अनिल कपूर, गोविंदा, जैकी श्रॉफ, ऋषि कपूर, नसीरुद्दीन शाह तथा दक्षिण और क्षेत्रीय सितारे रजनीकांत, मम्मूटी, चिरंजीवी, प्रसेंजीत, सचिन पिलगांवकर आदि शामिल हुए। सभी कलाकारों ने बिना पारिश्रमिक भाग लेकर अपने बच्चों को भी इसमें शामिल किया। गीत का उद्देश्य था देश में प्रेम, भाईचारा और एकता का संदेश फैलाना।
“Babu pleading for his bail;State opposing tooth and nail. Summers bygone, winters have arrived; But crime you did, and Rahul cried. I am not the one, I am not the one; Too grave the charge, don’t pretend. Whom did I attack, where is he; Oh! That we know, in the trial we will see. You say I have said & I deny from the first blush; Rahul may be gone yet Satish said. Didn’t we say; don’t rush; Let me go, let me go, even Imran is on bail. Even then, even then; it wouldn’t be a smooth sail. Stop! Stop! Stop! Stop; I have heard, heard a lot. Mind is clear, with claims tall; Its my time to take a call. Babu has a sordid past; proof is scant, which may not last. His omnipotence can’t be assumed; Peril to vanished Rahul, is legally fumed.” Take your freedom from the cage you are in; Till the trial is over, the state is reigned in. The State proclaims; to have the cake and eat it too; The Court comes calling ; before the cake is eaten, bake it too.
इस गीत का मतलब है कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की धुन हर तरफ बज रही है, जो सभी को जोड़ती है और आगे बढ़ने की ताकत देती है। इसमें भारत के मशहूर गायक, वादक और नर्तकी देश की मुख्य परंपरागत कलाओं का सुंदर प्रदर्शन करते हैं। राग जो कि शास्त्रीय संगीत की आत्मा है, के साथ तबला, संतूर, सरोद, सितार, कथक, भरतनाट्यम, मणिपुरी और ओड़िसी जैसे कई नृत्य और संगीत शैलियाँ इस वीडियो में एक ही संगति में भारत की एकता और खूबसूरती को दर्शाती हैं।