1. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग् भवेत्॥
हिन्दी अर्थ: सब लोग सुखी हों, सब लोग स्वस्थ एवं निरोगी रहें। सबको शुभ फल प्राप्त हों, कोई भी दुःखी न हो।
2. अलस्यस्य कुतो विद्या? अविद्यस्य कुतो धनम्? अधनस्य कुतो मित्रम्? अमित्रस्य कुतः सुखम्॥
हिन्दी अर्थ: आलसी व्यक्ति को विद्या कहाँ? अनपढ़ को धन कहाँ? गरीब को मित्र कहाँ? और जिसका मित्र नहीं है, उसे सुख कहाँ?
3. विद्या ददाति विनयम्, विनयाद् याति पात्रता। पात्रत्वात् धनमाप्नोति, धनात् धर्मः ततः सुखम्॥
हिन्दी अर्थ: विद्या से विनय मिलता है, विनय से योग्य बनने की शक्ति मिलती है। पात्रता से धन मिलता है, धन से धर्म, और धर्म से सुख की प्राप्ति होती है।
4. पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं धनम्। कार्यकाले समुपस्थिते, न सा विद्या न तत् धनम्॥
हिन्दी अर्थ: जो विद्या केवल पुस्तकों में है, जैसा धन जो केवल दूसरों के पास है, वह दोनों आवश्यकता के समय काम नहीं आते।
5. परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः, परोपकाराय वहन्ति नद्यः। परोपकाराय दुहन्ति गावः, परोपकारार्थमिदं शरीरम्॥
हिन्दी अर्थ: वृक्ष फल दूसरों के लिए देते हैं, नदियाँ दूसरों के लिए अपना जल बहाती हैं, गायें दूसरों के लिए दूध देती हैं, मनुष्य का शरीर भी दूसरों की भलाई के लिए होना चाहिए।
6. अहिंसा परमो धर्मः धर्म हिंसा तथैव च। धर्मेणैव जीवितं हि लोकः सुखमास्थितः।
हिन्दी अर्थ: अहिंसा ही परम धर्म है, परंतु यदि धर्म की रक्षा के लिए हिंसा आवश्यक हो तो वह भी धर्म के अन्तर्गत आती है। इससे जीवन का सही अर्थ और संसार का संतुलन समझ आता है।
7. अर्थस्य निश्चयो दृष्टो विचारेण हितोक्तितः । न स्नानेन न दानेन प्राणायाम शतेन वा ॥
हिंदी अर्थ: विवेकपूर्ण विचार-मनन और हितकारी उपदेशों के द्वारा ही तत्त्वज्ञान की निश्चयात्मक प्राप्ति होती है। केवल स्नान करने से, दान देने से अथवा सैकड़ों प्राणायाम करने से आत्मज्ञान प्राप्त नहीं होता.
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