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16 अक्टूबर 2018

भात दे हरामी

बेहद भूखा हूँ
पेट में , शरीर की पूरी परिधि में
महसूसता हूँ हर पल ,सब कुछ निगल जाने वाली एक भूख .
बिना बरसात के ज्यों चैत की फसलों वाली खेतों मे जल उठती है भयानक आग
ठीक वैसी ही आग से जलता है पूरा शरीर .
महज दो वक़्त दो मुट्ठी भात मिले , बस और कोई मांग नहीं है मेरी .
लोग तो न जाने क्या क्या मांग लेते हैं . वैसे सभी मांगते है
मकान गाड़ी , रूपए पैसे , कुछेक मे प्रसिद्धि का लोभ भी है
पर मेरी तो बस एक छोटी सी मांग है , भूख से जला जाता है पेट का प्रांतर
भात चाहिए , यह मेरी सीधी सरल सी मांग है , ठंडा हो या गरम
महीन हो या खासा मोटा या राशन मे मिलने वाले लाल चावल का बना भात ,
कोई शिकायत नहीं होगी मुझे ,एक मिटटी का सकोरा भरा भात चाहिये मुझे .
में तो नहीं चाहता नाभि के नीचे साड़ी बाधने वाली साड़ी की मालिकिन को
उसे जो चाहते है ले जाएँ , जिसे मर्ज़ी उसे दे दो .
ये जान लो कि मुझे इन सब की कोई जरुरत नहीं
पर अगर पूरी न कर सको मेरी इत्ती सी मांग
तुम्हारे पूरे मुल्क मे बवाल मच जायेगा ,
भूखे के पास नहीं होता है कुछ भला बुरा , कायदे कानून
सामने जो कुछ मिलेगा खा जाऊँगा बिना किसी रोक टोक के
बचेगा कुछ भी नहीं , सब कुछ स्वाहा हो जायेगा निवालों के साथ
और मान लो गर पड़ जाओ तुम मेरे सामने
राक्षसी भूख के लिए परम स्वादिष्ट भोज्य बन जाओगे तुम .
सब कुछ निगल लेने वाली महज़ भात की भूख
खतरनाक नतीजो को साथ लेकर आने को न्योतती है
दृश्य से द्रष्टा तक की प्रवहमानता को चट कर जाती है .
और अंत मे सिलसिलेवार मैं खाऊंगा पेड़ पौधें , नदी नालें
गाँव देहात , फुटपाथ, गंदे नाली का बहाव
सड़क पर चलते राहगीरों , नितम्बिनी नारियों
झंडा ऊंचा किये खाद्य मंत्री और मंत्री की गाड़ी
आज मेरी भूक के सामने कुछ भी न खाने लायक नहीं
भात दे हरामी , वर्ना मैं चबा जाऊँगा समूचा मानचित्र

---रफीक आज़ाद
Translated by Haider Rizvi

1 अक्टूबर 2012

ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ (Bistirno parore)

विस्तार है अपार.. प्रजा दोनो पार.. करे हाहाकार...
निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ?
नैतिकता नष्ट हुई, मानवता भ्रष्ट हुई,
निर्लज्ज भाव से , बहती हो क्यूँ ?

इतिहास की पुकार, करे हुंकार,
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को, सबल संग्रामी,
गमग्रोग्रामी,बनाती नहीँ हो क्यूँ ?

विस्तार है अपार ..प्रजा दोनो पार..करे हाहाकार ...
निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ?

अनपढ जन, अक्षरहीन, अनगिन जन,
अज्ञ विहिन नेत्र विहिन दिक` मौन हो क्यूँ ? इतिहास की पुकार, करे हुंकार,
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को, सबल संग्रामी,
गमग्रोग्रामी,बनाती नहीँ हो क्यूँ ?
विस्तार है अपार ..प्रजा दोनो पार..करे हाहाकार ...
निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ?

व्यक्ति रहे , व्यक्ति केन्द्रित, सकल समाज,
व्यक्तित्व रहित,निष्प्राण समाज को तोड़ती न क्यूँ ?
इतिहास की पुकार, करे हुंकार,
ओ गंगा की धार, निर्बल जन को, सबल संग्रामी,
गमग्रोग्रामी,बनाती नहीँ हो क्यूँ ?

विस्तार है अपार ..प्रजा दोनो पार..करे हाहाकार ...
निशब्द सदा ,ओ गंगा तुम, बहती हो क्यूँ ?

रुतस्विनी क्यूँ न रही ?
तुम निश्चय चितन नहीं प्राणों में प्रेरणा प्रेरती न क्यूँ ?
उन्मद अवनी कुरुक्षेत्र बनी गंगे जननी
नव भारत में भीष्म रूपी सूत समरजयी जनती नहीं हो क्यूँ ?

---भूपेन हजारिका

Original Song:


Inspired by this song, Bhupenda created-


10 सितंबर 2012

Jodi Bheste Jaite Chao - Duel of Poets ( If You Wish to Go to Heaven)

SHISHWA (Disciple)
If you wish to go to heaven
Keep fear of Allah in your heart

GURU (Teacher)
If you want to be close to Allah
Keep love within your heart

SHISHWA (Disciple)
I'm just your daughter's age
I'll assume the side of shariah
And take an anti-Sufi stance
Don't take what I say to heart
You ignore the Holy Scriptures -
What kind of Muslims are you?

Why are the mullahs
always angry with you?
Keep fear of Allah in your heart

GURU (Teacher)
You need a measure of wisdom
to grasp the Koran and Hadith
How can half-read mullahs
interpret the intricate Scriptures?

They preach to others
without knowing the texts
The dogmatic mullahs
make their living from deception
Well fed and fattened, they use
their strength to abuse us
Keep love within your heart

SHISHWA (Disciple)
You Sufis chant Allah's name
Ignoring creed and prayer

You smoke pot during Ramadan
With the excuse of meditation
What kind of Islamic creed
Sanctions this immorality?
Keep fear of Allah in your heart

GURU (Teacher)
Just showing off your rituals
Is that true namaz?
Namaz is meditation,
To attain tranquility

Fasting is self control
How many really follow that?
They skip their meals by day
And eat double by night

We don't lust for heaven
And have no fear of hell
Keep love within your heart

SHISHWA (Disciple)
You don't go on pilgrimage
You don't give charity
What do you have against
Ritual sacrifice?
Why should Muslims
Quaver at the sight of blood?

GURU (Teacher)
You're asked to sacrifice
Your dearest ones
Are these cows and goats
Your most beloved?

Nothing is dearer than yourself
The supreme sacrifice is self sacrifice
If you can, restrain your senses
Control your passions
Keep love within your heart

SHISHWA (Disciple)
You roam around with women
Without wedding them
You sing and dance together
Without shame

The outside world is for men
The woman's place is at home
Keep fear of Allah in your heart

GURU (Teacher)
Woman is the seed of life
The source of creation
Those who believe in inequality
Lock women into marriage

Woman is the vessel of love
Woman is the Mother
Without Woman we would not
Come into being

(Together)
You need both man and woman
For procreation and creation
Keep love inside your heart

If you want to be close to Allah
Keep love inside your heart

--- Source. Selected Song Texts from the Film Matir Moina and Listen to song in youtube.

4 सितंबर 2009

Ekla Chalo Re

यदि तोर डाक शुने केऊ न आसे
तबे एकला चलो रे।
एकला चलो, एकला चलो, एकला चलो रे!
यदि केऊ कथा ना कोय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि सबाई थाके मुख फिराय, सबाई करे भय-
तबे परान खुले
ओ, तुई मुख फूटे तोर मनेर कथा एकला बोलो रे!


यदि सबाई फिरे जाय, ओरे, ओरे, ओ अभागा,
यदि गहन पथे जाबार काले केऊ फिरे न जाय-
तबे पथेर काँटा
ओ, तुई रक्तमाला चरन तले एकला दलो रे!


यदि आलो ना घरे, ओरे, ओरे, ओ अभागा-
यदि झड़ बादले आधार राते दुयार देय धरे-
तबे वज्रानले
आपुन बुकेर पांजर जालियेनिये एकला जलो रे!


If none heeds your cry to march together,
just walk alone, no if or whether.
If they answer not to thy call walk alone,


If they are afraid and cower mutely facing the wall,
O thou of evil luck,
open thy mind and speak out alone.


If they turn away, and desert you when crossing the wilderness,
O thou of evil luck,
trample the thorns under thy tread,
and along the blood-lined track travel alone.


If they do not hold up the light when the night is troubled with storm,
O thou of evil luck,
with the thunder flame of pain ignite thy own heart
and let it burn alone.

'Jodi Tor Dak Shune Keu Na Ashe' often shortened to Ekla Cholo Re (Walk Alone) is a song written by Rabindranath Tagore, part of the Rabindra Sangeet canon. It exhorts the listener to continue his or her journey, despite abandonment or lack of support from others. The song is often quoted in the context of political or social change movements;

29 जुलाई 2009

Prayer

Where the mind is without fear and the head is held high
Where knowledge is free
Where the world has not been broken up into fragments
By narrow domestic walls
Where words come out from the depth of truth
Where tireless striving stretches its arms towards perfection
Where the clear stream of reason has not lost its way
Into the dreary desert sand of dead habit
Where the mind is led forward by thee
Into ever-widening thought and action
Into that heaven of freedom, my Father, let my country awake.

It is most quoted peom of Rabindranath Tagore. This poem is from Gitanjali, lit. Offering of Songs, published in English in 1910.The last two lines of original Bengali version are harsher. They state:
"Lord Father, strike {the sleeping} Bharat (India) without mercy,
so that it may awaken into such a heaven."