29 फ़रवरी 2024

जब माँएँ नहीं होतीं

जिन बच्चों की माँएँ नहीं होतीं
उनकी रेलगाड़ियाँ कहाँ जाती हैं
धड़धड़ाती हुईं
सीटी बजाती हुईं
धुआँ उड़ाती हुईं
उनके इंतज़ार में शिद्दत से बिछी आँखों को
फिर वे कहाँ खोजने जाते हैं
आँचल का वह सिरा
उन हाथों का स्पर्श
उस अनंत नि:स्वार्थ प्रेम के बिना
वे कैसे जीते हैं
यह जानते हुए भी कि इस दुनिया में
उनसे सबसे ज़्यादा प्यार करने वाली आँखें नहीं रहीं
और दुनिया का सबसे कोमल हृदय
उनके लिए अब और नहीं धड़केगा।

---दीपक जायसवाल

20 फ़रवरी 2024

एक ही फ़ोटो है देश में

एक ही फ़ोटो है देश में
कोई भी विजेता हो
उसके माथे पर
चिपका दी जाती है
हार हो तो
छिपा ली जाती है
एक ही फ़ोटो है देश में।

--- पंकज चतुर्वेदी

14 फ़रवरी 2024

15 बेहतरीन शेर - 9 !!!

1. कुछ खटकता तो है पहलू में मिरे रह रह कर, अब ख़ुदा जाने तिरी याद है या दिल मेरा - जिगर मुरादाबादी

2. जो अक़्ल के मारे थे, अपने भी काम ना आये , दीवानों ने दुनिया की तक़दीर बदल डाली.

3. मरीज़े इश्क़ पर रहमत ख़ुदा की, दर्द बढ़ता गया यूँ यूँ दवा की - मीर तक़ी मीर

4. कोई नयी ज़मीं हो, नया आसमाँ भी हो, ए दिल अब उसके पास चले, वो जहाँ भी हो! - फ़िराक़ गोरखपुरी

5. मदहोश ही रहा मैं जहाने ख़राब में, गूँथी गई थी क्या मेरी मिट्टी शराब में - मुज़तर ख़ैराबादी

6. गिरज़ा में, मन्दिरों में, अज़ानों में बँट गया, एक ही मूल का इन्सान, कई नामों में बँट गया । - निदा फ़ाज़ली

7. उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ा 'ग़ालिब', हम बयाबाँ में हैं और घर में बहार आई है - मिर्ज़ा ग़ालिब

8. तिरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा, तुझे मेले में सब देखेंगे मेला कौन देखेगा -नज़ीर बनारसी

9. गुल खिलेंगे नए फूलों की नुमाइश होगी, उस सितमगर की मुहब्बत में भी साज़िश होगी -ज़हीर रहमती

10. बच्चों के छोटे हाथों को चांद सितारे छूने दोचार किताबें पढ़ कर यह भी हम जैसे हो जाएंगे ~ निदा फ़ाज़ली

11- उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल-ए-सियासत जानें, मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे - जिगर मुरादाबादी

12- मिरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा, इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा - अमीर क़ज़लबाश

13- इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना - ग़ालिब

14- जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है, ज़िंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है - शहरयार

15- दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है, मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है -निदा फ़ाज़ली

9 फ़रवरी 2024

The End and the Beginning

After every war
someone has to clean up.
Things won’t
straighten themselves up, after all.

Someone has to push the rubble
to the side of the road,
so the corpse-filled wagons
can pass.

Someone has to get mired
in scum and ashes,
sofa springs,
splintered glass,
and bloody rags.

Someone has to drag in a girder
to prop up a wall.
Someone has to glaze a window,
rehang a door.

Photogenic it’s not,
and takes years.
All the cameras have left
for another war.

We’ll need the bridges back,
and new railway stations.
Sleeves will go ragged
from rolling them up.

Someone, broom in hand,
still recalls the way it was.
Someone else listens
and nods with unsevered head.

But already there are
those nearby
starting to mill about
who will find it dull.

From out of the bushes
sometimes someone still unearths
rusted-out arguments
and carries them to the garbage pile.

Those who knew
what was going on here
must make way for
those who know little.
And less than little.
And finally as little as nothing.

In the grass that has overgrown
causes and effects,
someone must be stretched out
blade of grass in his mouth
gazing at the clouds.

--- Wislawa Szymborska,
 "The End and the Beginning " from Miracle Fair, translated by Joanna Trzeciak.

2 फ़रवरी 2024

We Have Not Long to Love

We have not long to love.
Light does not stay.

The tender things are those
we fold away.

Coarse fabrics are the ones
for common wear.

In silence I have watched you
comb your hair.

Intimate the silence,
dim and warm.

I could but did not, reach
to touch your arm.

I could, but do not, break
that which is still.

(Almost the faintest whisper
would be shrill.)

So moments pass as though
they wished to stay.

We have not long to love.
A night. A day....