1. चराग़ों के बदले मकाँ जल रहे हैं नया है ज़माना नई रौशनी है - खुमार बाराबंकवी
2. ये अलग बात है कि ख़ामोश खड़े रहते हैं, फिर भी जो लोग बड़े हैं, वो बड़े रहते हैं ~राहत इंदौरी
3. पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला, मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा -बशीर बद्र
4. और क्या था बेचने के लिए, अपनी आँखों के ख़्वाब बेचे हैं। -जौन एलिया
5. फ़क़ीराना आए सदा कर चले, मियाँ ख़ुश रहो दुआ कर चले - मीर तकि मीर
6. बाग़बाँ दिल से वतन को ये दुआ देता है, मैं रहूँ या न रहूँ ये चमन आबाद रहे। - बृजनारायण चकबस्त
7. उठाओ हाथ कि दस्त-ए-दुआ बुलंद करें, हमारी उम्र का एक और दिन तमाम हुआ - अख़्तरुल ईमान
8. हैं और भी दुनिया में सुखन्वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि गालिब का है अन्दाज-ए-बयां और - मिर्ज़ा ग़ालिब
9. मैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बेख़बर, मैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहीं -तहज़ीब हाफ़ी
10. वादा-ए-यार की बात न छेड़ो, ये धोखा भी खा रक्खा है. - नासिर काज़मी
11. कह दिया तू ने जो मा'सूम तो हम हैं मा'सूम, कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम - फ़िराक़ गोरखपुरी
12. ये सर्द रात ये आवारगी ये नींद का बोझ, हम अपने शहर में होते तो घर चले जाते - उम्मीद फ़ाज़ली
13. कौन सीखा है सिर्फ बातों से सबको एक हादसा ज़रूरी है - जौन एलिया
14. रात ही रात में तमाम तय हुए उम्र के मक़ाम, हो गई ज़िंदगी की शाम अब मैं सहर को क्या करूं - हफ़ीज़ जालंधरी
15. फ़ारेहा क्या बहुत जरूरी है हर किसी शेरसाज़ को पढ़ना, मेरे ग़ुस्से के बाद भी तुमने नहीं छोड़ा मजाज़ को पढ़ना -जौन एलिया
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