अकवि क्या है:
वह, जो ताबूत और अस्थि-कलश की दलाली करता है?
एक जनरल, जो खुद के बारे में ही निश्चित नहीं है?
एक पादरी, जिसे किसी चीज पर आस्था नहीं है?
एक सैलानी, जिसके लिए हर चीज अजीब है; वृद्धावस्था और मृत्यु भी?
एक वक्ता, जिस पर आप विश्वास नहीं कर सकते?
खड़ी-चट्टान की कोर पर खड़ी एक नर्तकी ?
एक आत्ममुग्ध, जो हर किसी से प्यार करता है?
एक जोकर, जो गाल बजाता है
और बेवज़ह यूँ ही बुरा बनता है ?
एक कवि जो कुर्सी पर सोता है?
आधुनिक समय का एक कीमियागर?
एक आरामतलब क्रांतिकारी?
एक पेटी-बुर्जुआ?
एक जालसाज?
एक ईश्वर?
एक मासूम?
सैंटियागो, चिली का एक किसान?
सही उत्तर को रेखांकित करें.
अकविता क्या है:
चाय की प्याली में एक तूफ़ान?
चट्टान पर बर्फ का एक धब्बा?
मानव-मल से ऊपर तक भरा एक पतीला,
जैसा कि फादर साल्वेतियेरा मानता है?
एक आइना, जो झूठ नहीं बोलता?
लेखक-संगठन के अध्यक्ष के गाल पर पड़ा एक तमाचा?
(ईश्वर उनके आत्मा की रक्षा करे!)
युवा कवियों को एक चेतावनी?
जेट-चालित एक ताबूत?
एक ताबूत, जो वायुमंडलीय दायरे से बाहर परिक्रमा करता है?
एक ताबूत, जो कि केरोसिन से चलता है?
एक शवदाह-गृह, जहाँ कोई शव नहीं है?
सही उत्तर के सामने X चिन्हित करें.
---निकानोर पार्रा (उदय शंकर द्वारा अनुदित)
Sep 5, 2017
Aug 31, 2017
आओ, आज के दिन हम हो जाएं जला चेहरा
तुमने ठीक ही कहा
तुम बस्तर
और आदिवासी भारत का
जला हुआ चेहरा हो
पर यह चेहरा जुगनुओं की मानिंद
हत्यारों के स्याह चेहरों पर
टिमटिमा रहा है
सूरज की हजारों हजार किरणों की
गरमी और आभा लिए
अपने आंचल में सहेज रहा है देश
तुम्हारी गरमी तुम्हारा ऊर्जा
तुम अपने दीप्त खूबसूरत चेहरे के साथ
हमेशा उमड़ती रहोगी देश के ह्दय में
जब भी मुक्ति का प्रसंग आएगा
अणु अणु जुगनुओं सा मुस्कुराता तुम्हारा चेहरा
देश को बदल देगा एक पहाड़ में
- वंदना टेटे
तुम बस्तर
और आदिवासी भारत का
जला हुआ चेहरा हो
पर यह चेहरा जुगनुओं की मानिंद
हत्यारों के स्याह चेहरों पर
टिमटिमा रहा है
सूरज की हजारों हजार किरणों की
गरमी और आभा लिए
अपने आंचल में सहेज रहा है देश
तुम्हारी गरमी तुम्हारा ऊर्जा
तुम अपने दीप्त खूबसूरत चेहरे के साथ
हमेशा उमड़ती रहोगी देश के ह्दय में
जब भी मुक्ति का प्रसंग आएगा
अणु अणु जुगनुओं सा मुस्कुराता तुम्हारा चेहरा
देश को बदल देगा एक पहाड़ में
- वंदना टेटे
Aug 15, 2017
संख्या के बच्चे
सच है ये शून्य हैं -
और तुम एक हो l
बड़े शक्तिशाली हो,
क्योंकि शून्य के पहले
उसके दुर्भाग्य-से खड़े हो l
अपनी आकांक्षा के क़ुतुब बने सांख्य !
मत भूलो -
तुम भी आंकड़े हो l
मत भूलो -
तुम केवल एक हो
शून्य ही दहाई हैं, शून्य ही असंख्य हैं l
शून्य नहीं धब्बे हैं,
आंसू की बूंदों-से,
लोहू के कतरों-से, शून्य ये सच्चे हैं l
संख्या के बच्चे हैं l
शून्यों से मुंह फेर खड़े होने वाले !
शून्य अगर हट जाएं
ठूठे की अंगुली से केवल रह जाओगे l
मत भूलो -
शून्य शक्ति है, शून्य प्रजा है l
---श्रीकांत वर्मा
और तुम एक हो l
बड़े शक्तिशाली हो,
क्योंकि शून्य के पहले
उसके दुर्भाग्य-से खड़े हो l
अपनी आकांक्षा के क़ुतुब बने सांख्य !
मत भूलो -
तुम भी आंकड़े हो l
मत भूलो -
तुम केवल एक हो
शून्य ही दहाई हैं, शून्य ही असंख्य हैं l
शून्य नहीं धब्बे हैं,
आंसू की बूंदों-से,
लोहू के कतरों-से, शून्य ये सच्चे हैं l
संख्या के बच्चे हैं l
शून्यों से मुंह फेर खड़े होने वाले !
शून्य अगर हट जाएं
ठूठे की अंगुली से केवल रह जाओगे l
मत भूलो -
शून्य शक्ति है, शून्य प्रजा है l
---श्रीकांत वर्मा
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