लम्हे-लम्हे की सियासत पे नज़र रखते हैं
हमसे दीवाने भी दुनिया की ख़बर रखते हैं
इतने नादां भी नहीं हम कि भटक कर रह जाएँ
कोई मंज़िल न सही, राहगुज़र रखते हैं
रात ही रात है, बाहर कोई झाँके तो सही
यूँ तो आँखों में सभी ख़्वाब-ए-सहर रखते हैं
मार ही डाले जो बेमौत ये दुनिया वो है,
हम जो जिन्दा हैं तो जीने का हुनर रखते हैं!
हम से इस दरजा तग़ाफुल भी न बरतो साहब
हम भी कुछ अपनी दुआओं में असर रखते हैं
---जांनिसार अख्तर
Bhut hi behtar
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteDhanyavaad
ReplyDeleteMeaning kya hai.. Pl explain
ReplyDeleteAao haveli pe
Deleteउम्दा रचना
ReplyDeleteUmda
ReplyDeleteलाजाबाब
ReplyDeleteगजब
ReplyDeleteछा जाती हैं बेरुखी इतना भी क्या गुरुर
ReplyDeleteजब सनम की महफिल में हम कदम रखते हैं
कहीं भूल ना जाएं ये दिल उनके अहसास
एक दो "हरा" अब भी जख्म रखते हैं
रास्ते मिले नहीं मंजिल धूमिल हो गई
थककर "जसी हम ये कलम रखते हैं
_jaswant phogala
Aap sabhi logon ko kavita pasand kar ke comment likkhne ke liye saabhar...
ReplyDeleteAur jaswant ji ko unki kavita ke liye badhai...
👍
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