Apr 21, 2024

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे

घर सजाने का तसव्वुर तो बहुत ब'अद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचाएँ कैसे

लाख तलवारें बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ़
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाएँ कैसे

क़हक़हा आँख का बरताव बदल देता है
हँसने वाले तुझे आँसू नज़र आएँ कैसे

फूल से रंग जुदा होना कोई खेल नहीं
अपनी मिट्टी को कहीं छोड़ के जाएँ कैसे

कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा
एक क़तरे को समुंदर नज़र आएँ कैसे

जिस ने दानिस्ता किया हो नज़र-अंदाज़ 'वसीम'
उस को कुछ याद दिलाएँ तो दिलाएँ कैसे

--- वसीम बरेलवी

Apr 15, 2024

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है

दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँडे
पत्थर की तरह बे-हिस ओ बे-जान सा क्यूँ है

तन्हाई की ये कौन सी मंज़िल है रफ़ीक़ो
ता-हद्द-ए-नज़र एक बयाबान सा क्यूँ है

हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-पशेमान पशेमान सा क्यूँ है

क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है

--- अख़लाक़ मुहम्मद ख़ान 'शहरयार'

Apr 9, 2024

We Love What We Have

We love what we have, no matter how little,
because if we don’t, everything will be gone. If we don’t
we will no longer exist, since there will be nothing here for us.
What’s here is something that we are still
building. It’s something we cannot yet see,
because we are part
of it.
Someday soon, this building will stand on its own, while we,
we will be the trees that protect it from the fierce
wind, the trees that will give shade
to children sleeping inside or playing on swings.

--- Mosab Abu Toha