तुम बंजर हो जाओगे
यदि इतने व्यवस्थित ढंग से रहोगे
यदि इतने सोच समझकर
बोलोगे चलोगे
कभी मन की नहीं कहोगे
सच को दबाकर झूठे प्रेम के गाने गाओगे
तो मैं तुमसे कहता हूँ
तुम बंजर हो जाओगे.
~ भवानीप्रसाद मिश्र
Jul 20, 2024
Jul 12, 2024
कैसे बताऊं मैं
कैसे बताऊं मैं तुम्हें
--- जावेद अख्तर
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊं
कैसे बताऊं मैं
कैसे बताऊं मैं
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िंदगी तुम बंदगी तुम रोशनी तुम ताज़गी
तुम हर खुशी तुम प्यार हो तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम यादों में तुम साँसों में तुम आहों में तुम
नींदों में तुम ख्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम शाम में तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हँसना भी तुम मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम
जाऊं कहीं देखूं कहीं तुम हो वहां तुम हो वहीं
कैसे बताऊं मैं …
ये जो तुम्हारा रूप है ये ज़िंदगी की धूप है
चन्दन से तरशा है बदन बहती है जिसमें इक अगन
ये शोखियां ये मस्तियां तुमको हवाओं से मिलीं
ज़ुल्फ़ें घटाओं से मिलीं
होंठों में कलियां खिल गईं आँखों को झीलें मिल गईं
चेहरे में सिमटी चाँदनी आवाज़ में है रागिनी
शीशे के जैसा अंग है फूलों के जैसा रंग है
नदियों के जैसी चाल है क्या हुस्न है क्या हाल है
ये जिस्म की रंगीनियां जैसे हज़ारों तितलियां
बाहों की ये गोलाइयां आँचल में ये परछाइयाँ
ये नगरिया है ख्वाब की
कैसे बताऊं मैं तुम्हें हालत दिल-ए-बेताब की
कैसे बताऊं मैं …
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम धर्म हो
मेरे लिए ईमान हो तुम्हीं इबादत हो मेरी
तुम्हीं तो चाहत हो मेरी तुम्हीं मेरा अरमान हो
तकता हूँ मैं हर पल जिसे तुम्हीं तो वो तस्वीर हो
तुम्हीं मेरी तक़दीर हो
तुम्हीं सितारा हो मेरा तुम्हीं नज़ारा हो मेरा
यूं ध्यान में मेरे हो तुम जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम पश्चिम में तुम उत्तर में तुम दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम हर पल में तुम हर क्षण में तुम
मेरे लिए रस्ता भी तुम मेरे लिए मंज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हूँ मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम्हीं मेरी पहचान हो
कैसे बनाऊं मैं तुम्हें देवी हो तुम मेरे लिए
मेरे लिए भगवान हो
कैसे बताऊं मैं …
तुम ज़िंदगी तुम बंदगी तुम रोशनी तुम ताज़गी
तुम हर खुशी तुम प्यार हो तुम प्रीत हो मनमीत हो
आँखों में तुम यादों में तुम साँसों में तुम आहों में तुम
नींदों में तुम ख्वाबों में तुम
तुम हो मेरी हर बात में तुम हो मेरे दिन रात में
तुम सुबह में तुम शाम में तुम सोच में तुम काम में
मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम
मेरे लिए हँसना भी तुम मेरे लिए रोना भी तुम
और जागना सोना भी तुम
जाऊं कहीं देखूं कहीं तुम हो वहां तुम हो वहीं
कैसे बताऊं मैं …
ये जो तुम्हारा रूप है ये ज़िंदगी की धूप है
चन्दन से तरशा है बदन बहती है जिसमें इक अगन
ये शोखियां ये मस्तियां तुमको हवाओं से मिलीं
ज़ुल्फ़ें घटाओं से मिलीं
होंठों में कलियां खिल गईं आँखों को झीलें मिल गईं
चेहरे में सिमटी चाँदनी आवाज़ में है रागिनी
शीशे के जैसा अंग है फूलों के जैसा रंग है
नदियों के जैसी चाल है क्या हुस्न है क्या हाल है
ये जिस्म की रंगीनियां जैसे हज़ारों तितलियां
बाहों की ये गोलाइयां आँचल में ये परछाइयाँ
ये नगरिया है ख्वाब की
कैसे बताऊं मैं तुम्हें हालत दिल-ए-बेताब की
कैसे बताऊं मैं …
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम धर्म हो
मेरे लिए ईमान हो तुम्हीं इबादत हो मेरी
तुम्हीं तो चाहत हो मेरी तुम्हीं मेरा अरमान हो
तकता हूँ मैं हर पल जिसे तुम्हीं तो वो तस्वीर हो
तुम्हीं मेरी तक़दीर हो
तुम्हीं सितारा हो मेरा तुम्हीं नज़ारा हो मेरा
यूं ध्यान में मेरे हो तुम जैसे मुझे घेरे हो तुम
पूरब में तुम पश्चिम में तुम उत्तर में तुम दक्षिण में तुम
सारे मेरे जीवन में तुम हर पल में तुम हर क्षण में तुम
मेरे लिए रस्ता भी तुम मेरे लिए मंज़िल भी तुम
मेरे लिए सागर भी तुम मेरे लिए साहिल भी तुम
मैं देखता बस तुमको हूँ मैं सोचता बस तुमको हूँ
मैं जानता बस तुमको हूँ मैं मानता बस तुमको हूँ
तुम्हीं मेरी पहचान हो
कैसे बनाऊं मैं तुम्हें देवी हो तुम मेरे लिए
मेरे लिए भगवान हो
कैसे बताऊं मैं …
Jul 7, 2024
I wish children didn’t die
“I wish children didn’t die.
I wish they would be temporarily elevated to the skies until the war ends.
Then they would return home safe,
and when their parents would ask them: “where were you?”,
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