May 27, 2021

They’ve taken us prisoner

They’ve taken us prisoner,
they’ve locked us up:
me inside the walls
you outside

But that’s nothing.
The worst
is when people—knowingly or not—
carry prison inside themselves . . .
Most people have been forced to do this,
honest, hard-working, good people
who deserve to be loved much as I love you

–-- Nazim Hikmet
Excerpt from, 9-10pm. Poems. Translated from Turkish by Randy Blasing and Mutlu Konuk

May 20, 2021

शव वाहिनी गंगा

एक साथ सब मुर्दे बोले ‘सब कुछ चंगा-चंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा

ख़त्म हुए शमशान तुम्हारे, ख़त्म काष्ठ की बोरी
थके हमारे कंधे सारे, आँखें रह गई कोरी
दर-दर जाकर यमदूत खेले
मौत का नाच बेढंगा
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा

नित लगातार जलती चिताएँ
राहत माँगे पलभर
नित लगातार टूटे चूड़ियाँ
कुटती छाति घर घर
देख लपटों को फ़िडल बजाते वाह रे ‘बिल्ला-रंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा

साहेब तुम्हारे दिव्य वस्त्र, दैदीप्य तुम्हारी ज्योति
काश असलियत लोग समझते, हो तुम पत्थर, ना मोती
हो हिम्मत तो आके बोलो
‘मेरा साहेब नंगा’
साहेब तुम्हारे रामराज में शव-वाहिनी गंगा

---पारुल कक्कड
Hindi translation by Ilyas Sheikh

May 19, 2021

राजे ने अपनी रखवाली की

राजे ने अपनी रखवाली की; 
किला बनाकर रहा; 
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं । 
चापलूस कितने सामन्त आए । 
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए । 
कितने ब्राह्मण आए पोथियों में जनता को बाँधे हुए । 
कवियों ने उसकी बहादुरी के गीत गाए, 
लेखकों ने लेख लिखे, 
ऐतिहासिकों ने इतिहास के पन्ने भरे, 
नाट्य-कलाकारों ने कितने नाटक रचे रंगमंच पर खेले । 
जनता पर जादू चला राजे के समाज का । 
लोक-नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं । 
धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ । 
लोहा बजा धर्म पर, 
सभ्यता के नाम पर । 
ख़ून की नदी बही । 
आँख-कान मूंदकर जनता ने डुबकियाँ लीं । 
आँख खुली-- राजे ने अपनी रखवाली की ।