19 मई 2021

राजे ने अपनी रखवाली की

राजे ने अपनी रखवाली की; 
किला बनाकर रहा; 
बड़ी-बड़ी फ़ौजें रखीं । 
चापलूस कितने सामन्त आए । 
मतलब की लकड़ी पकड़े हुए । 
कितने ब्राह्मण आए पोथियों में जनता को बाँधे हुए । 
कवियों ने उसकी बहादुरी के गीत गाए, 
लेखकों ने लेख लिखे, 
ऐतिहासिकों ने इतिहास के पन्ने भरे, 
नाट्य-कलाकारों ने कितने नाटक रचे रंगमंच पर खेले । 
जनता पर जादू चला राजे के समाज का । 
लोक-नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं । 
धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ । 
लोहा बजा धर्म पर, 
सभ्यता के नाम पर । 
ख़ून की नदी बही । 
आँख-कान मूंदकर जनता ने डुबकियाँ लीं । 
आँख खुली-- राजे ने अपनी रखवाली की । 

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