मैं पहली पंक्ति लिखता हूँ
और डर जाता हूँ राजा के सिपाहियों से
पंक्ति को काट देता हूँ
मैं दूसरी पंक्ति लिखता हूँ
और डर जाता हूँ गुरिल्ला बाग़ियों से
पंक्ति को काट देता हूँ
मैंने अपनी जान की ख़ातिर
अपनी हज़ारों पंक्तियों की
इस तरह हत्या की है
उन पंक्तियों की रूहें
अक्सर मेरे चारों ओर मँडराती रहती हैं
और मुझसे कहती हैं : कविवर!
कवि हो या कविता के हत्यारे?
सुना था इंसाफ़ करने वाले हुए कई इंसाफ़ के हत्यारे
धर्म के रखवाले भी सुना था कई हुए
ख़ुद धर्म की पावन आत्मा की
हत्या करने वाले
सिर्फ़ यही सुनना बाक़ी था
और यह भी सुन लिया
कि हमारे वक़्त में ख़ौफ़ के मारे
कवि भी हो गए
कविता के हत्यारे
 ~ सुरजीत पातर (अनुवाद : अनूप सेठी) 
Jun 11, 2024
Jun 5, 2024
15 बेहतरीन शेर - 10 !!!
1.  एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकूं होगा, न दिल में कसक होगी, न सर में जुनूँ होगा. - गुलज़ार  
2. मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ऐ दोस्त, आह! अब मुझसे तेरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
3. शिकवा समुनदरों का कोई किस तरह करे, साहिल भी ख़ुद नहीं थे सफ़ीनों के ख़ैर-ख़्वाह
4. निगाह पड़ने न पाए यतीम बच्चों की, ज़रा छुपा के खिलौने दुकान में रखना - महबूब ज़फ़र
5. दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे, जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे - दाग़ देहलवी
6. कभी चराग़, कभी तीरगी से हार गये, जो बे-शऊर थे वे हर किसी से हार गये...!!! - अनवर जलालपुरी
7- फ़ितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा, खिलौना, माशूक़ा, रूतबा, ख़ुदा...!!!
8- तिरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा, तुझे मेले में सब देखेंगे मेला कौन देखेगा -नज़ीर बनारसी
 
9- एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना. - मुनव्वर राणा
10 - तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे, मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए ~ मुनव्वर राना
2. मेहरबानी को मोहब्बत नहीं कहते ऐ दोस्त, आह! अब मुझसे तेरी रंजिश-ए-बेजा भी नहीं - फ़िराक़ गोरखपुरी
3. शिकवा समुनदरों का कोई किस तरह करे, साहिल भी ख़ुद नहीं थे सफ़ीनों के ख़ैर-ख़्वाह
4. निगाह पड़ने न पाए यतीम बच्चों की, ज़रा छुपा के खिलौने दुकान में रखना - महबूब ज़फ़र
5. दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे, जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे - दाग़ देहलवी
6. कभी चराग़, कभी तीरगी से हार गये, जो बे-शऊर थे वे हर किसी से हार गये...!!! - अनवर जलालपुरी
7- फ़ितूर होता है हर उम्र में जुदा-जुदा, खिलौना, माशूक़ा, रूतबा, ख़ुदा...!!!
8- तिरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा, तुझे मेले में सब देखेंगे मेला कौन देखेगा -नज़ीर बनारसी
9- एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना. - मुनव्वर राणा
10 - तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे, मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए ~ मुनव्वर राना
11- चाह लेते या मुकम्मल ही किनारा करते, अपने हिस्से का कोई काम तो सारा करते - उमैना यूसफ़
12- वाइज़ को जो आदत है पेचीदा-बयानी की, हैरां है कि रिंदों की हर बात खरी क्यों है ! - असद मुल्तानी
13-  मेरे इश्क से मिली तेरे हुस्न को ये शोहरत, तेरा ज़िक्र ही कहाँ था मेरी दास्तान से पहले ! - जाकिर खान
14-  अज़ीम लोग थे टूटे तो इक वक़ार के साथ, किसी से कुछ न कहा बस उदास रहने लगे - इक़बाल अशहर
15- एक बार हम भी रहनुमा बन के देख लें,  फिर उसके बाद क़ौम का जो कुछ भी हाल हो...!!! - दिलावर फ़िग़ार
May 30, 2024
Like a Cloud, We Travel
Wiped out by every wind over Gaza,
we are scattered on this earth,
footsteps in the desert.
We do not, or cannot, know
when and how to return
to the homes
our ancestors loved
for centuries.
Like clouds,
we try to give shade and rain:
the best we can.
But deep down, we do not know
whether we even belong
to where we happen to exist.
Like clouds,
we might visit our homes
without knowing that they still are
ours.
Invaders have changed much
of our landscape,
much or our lives.
--- Mosab Abu Toha
we are scattered on this earth,
footsteps in the desert.
We do not, or cannot, know
when and how to return
to the homes
our ancestors loved
for centuries.
Like clouds,
we try to give shade and rain:
the best we can.
But deep down, we do not know
whether we even belong
to where we happen to exist.
Like clouds,
we might visit our homes
without knowing that they still are
ours.
Invaders have changed much
of our landscape,
much or our lives.
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