31 अगस्त 2017

आओ, आज के दिन हम हो जाएं जला चेहरा

तुमने ठीक ही कहा
तुम बस्तर
और आदिवासी भारत का
जला हुआ चेहरा हो
पर यह चेहरा जुगनुओं की मानिंद
हत्यारों के स्याह चेहरों पर
टिमटिमा रहा है
सूरज की हजारों हजार किरणों की
गरमी और आभा लिए
अपने आंचल में सहेज रहा है देश
तुम्हारी गरमी तुम्हारा ऊर्जा
तुम अपने दीप्त खूबसूरत चेहरे के साथ
हमेशा उमड़ती रहोगी देश के ह्दय में
जब भी मुक्ति का प्रसंग आएगा
अणु अणु जुगनुओं सा मुस्कुराता तुम्हारा चेहरा
देश को बदल देगा एक पहाड़ में

- वंदना टेटे

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