Feb 1, 2020

हम कागज़ नहीं दिखाएंगे

हम कागज़ नहीं दिखाएंगे,
तानाशाह आके जायेंगे,

तानाशाह आके जायेंगे,
हम कागज़ नहीं दिखाएंगे,

तुम आंसू गैस उछालोगे,
तुम ज़हर की चाय उबालोगे,
हम प्यार की शक्कर घोलके इसको,
गट-गट-गट पी जायेंगे,
हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 ये देश ही अपना हासिल है,
 जहां राम प्रसाद भी बिस्मिल है,
 मिट्टी को कैसे बांटोगे,
 सबका ही खून तो शामिल है,

 ये देश ही अपना हासिल है,
 जहां राम प्रसाद भी बिस्मिल है,
 मिट्टी को कैसे बांटोगे,
 सबका ही खून तो शामिल है,

तुम पुलिस से लट्ठ पड़ा दोगे,
तुम मेट्रो बाँदा करादोगे,
हम पैदल-पैदल आएंगे,
 हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 हम मंजी यहीं बिछाएंगे,
 हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 हम संविधान को बचाएंगे,
 हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 हम जन-गन-मन भी जाएंगे,
 हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 तुम जात-पात से बांटोगे,
 हम भात मांगते जायेंगे,
 हम कागज़ नहीं दिखाएंगे।

 ---वरुण ग्रोवर

हत्यारों ने हमारी दुनिया से बदल ली है

हत्यारों ने हमारी दुनिया से बदल ली है
अपनी दुनिया

बदल लिये हैं सभ्यता के नये प्रतिमानों से अपने जंग लगे
पुराने हथियार

बांचने लगे हैं कुरान और भागवत कथाएं
खड़े हो गये हैं मंदिरों और मस्जिदों के द्वार
या मेलों के घाट पर

वे हमारा ही चेहरा पहने
खड़े हैं जंगलों पहाड़ों और नदियों के दोनों पाट पर

खोल रखी हैं
हमारी ही मनपसंद पकवान, सौंदर्य-प्रसाधन और खिलौनों की दुकानें

बेचने लगे हैं
गांधी, टेरेसा, मंडेला, मार्टिन लूथर और बुद्ध के मुखौटे

जुलूसों, पंचायतों और संसद-सभाओं में
वे उपस्थित होने लगे हैं हमारे ही किरदार में

दोस्तों-परिजनों की आंखों में जब नहीं रहे आंसू
वे आने लगे हैं
हमारे मरघट और
कब्रिस्तान में!

--- योगेंद्र कृष्णा

Jan 30, 2020

वही ताज है वही तख़्त है

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
ये वही ख़ुदा की ज़मीन है ये वही बुतों का निज़ाम है

बड़े शौक़ से मेरा घर जला कोई आँच न तुझपे आयेगी
ये ज़ुबाँ किसी ने ख़रीद ली ये क़लम किसी का ग़ुलाम है

मैं ये मानता हूँ मेरे दिये तेरी आँधियोँ ने बुझा दिये
मगर इक जुगनू हवाओं में अभी रौशनी का इमाम है

--- बशीर बद्र