27 सितंबर 2023

15 बेहतरीन शेर - 8 !!!

1. वक़्त करता है परवरिश बरसों, हादिसा एक दम नहीं होता --- क़ाबिल अजमेरी

2. दिल था एक शोला मगर बीत गए वो दिन "क़तील", अब कुरेदो न इसे, राख में रखा क्या है ! क़तील शिफ़ाई

3. हद से बढ़े जो इल्म, तो है ज़हर दोस्तों, सब कुछ जो जानते हैं, वो कुछ जानते नहीं...! खुमार बाराबंकवी

4. इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके-जुर्म हैं, आदमी या तो ज़मानत पर रिहा है, या फ़रार...!!! - दुष्यंत कुमार

5. लहरा रही है बर्फ़ की चादर हटा के घास, सूरज की शह पे तिनके भी बेबाक हो गए...! - परवीन शाकिर

7. बाल अपने बढ़ाते हैं किस वास्ते दीवाने, क्या शहर-ए-मुहब्बत में हज्जाम नहीं होता... - ग़ुलाम हमदानी 'मुसहफ़ी'

8. गुलशन-ए-फ़िरदौस पर क्या नाज़ है रिज़वां तुझे , पूछ उस के दिल से जो है रुत्बा-दान-ए-लखनऊ ...! - नज़्म तबातबाई

9. ज़ुल्म की टहनी कभी फलती नहीं, नाव काग़ज़ की सदा चलती नहीं - इस्माईल मेरठी

10. ख़याल ए ज़ुल्फ़ में हर दम नसीर पीटा कर, गया है साँप निकल अब लकीर पीटा कर - शाह नसीर

11. 'जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने, इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने' ~ शहरयार

12. वो मेरे घर नहीं आता, मैं उसके घर नहीं जाता, मगर इन एहतियातों से ताल्लुक़ मर नहीं जाता...!!! - वसीम बरेलवी

13. रात ही रात में तमाम तय हुए उम्र के मक़ाम, हो गई ज़िंदगी की शाम अब मैं सहर को क्या करूं... - हफ़ीज़ जालंधरी

14. 'ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले' ~ कैफ़ भोपाली

15. हमको मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं हम से ज़माना ख़ुद है, ज़माने से हम नहीं - जिगर मुरादाबादी

22 सितंबर 2023

डरो

कहो तो डरो कि हाय यह क्यों कह दिया
न कहो तो डरो कि पूछेंगे चुप क्यों हो

सुनो तो डरो कि अपना कान क्यों दिया
न सुनो तो डरो कि सुनना लाज़िमी तो नहीं था

देखो तो डरो कि एक दिन तुम पर भी यह न हो
न देखो तो डरो कि गवाही में बयान क्या दोगे

सोचो तो डरो कि वह चेहरे पर न झलक आया हो
न सोचो तो डरो कि सोचने को कुछ दे न दें

पढ़ो तो डरो कि पीछे से झाँकने वाला कौन है
न पढ़ो तो डरो कि तलाशेंगे क्या पढ़ते हो

लिखो तो डरो कि उसके कई मतलब लग सकते हैं
न लिखो तो डरो कि नई इबारत सिखाई जाएगी

डरो तो डरो कि कहेंगे डर किस बात का है
न डरो तो डरो कि हुकुम होगा कि डर

--- विष्णु खरे

18 सितंबर 2023

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये
तुम MA फर्स्ट डिविजन हो, मैं हुआ मेट्रिक फेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम फौजी अफसर की बेटी, मैं तो किसान का बेटा हूं
तुम रबड़ी खीर मलाई हो, मैं तो सत्तू सपरेटा हूं
तुम AC घर में रहती हो, मैं पेड़ के नीचे लेटा हूं
तुम नई मारुती लगती हो, मैं स्कूटर लम्ब्रेटा हूं

इस कदर अगर हम छुप छुप कर, आपस में प्यार बढ़ाएंगे
तो एक रोज तेरे डेडी, अमरीश पुरी बन जाएंगे
सब हड्डी पसली तोड़ मुझे वो भिजवा देंगे जेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

तुम अरब देश की घोड़ी हो, मैं हूं गदहे की नाल प्रिये
तुम दीवाली का बोनस हो, मैं भूखों की हड़ताल प्रिये
तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो, मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये
तुम चिकन सूप बिरयानी हो, मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये

तुम हिरन चौकड़ी भरती हो, मैं हूं कछुए की चाल प्रिये
तुम चंदन वन की लकड़ी हो, मैं हूं बबूल की छाल प्रिये
मैं पके आम सा लटका हूं मत मारो मुझे गुलेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मैं शनि देव जैसा कुरूप, तुम कोमल कंचन काया हो
मैं तन से मन से कांशीराम, तुम महा चंचला माया हो
तुम निर्मल पावन गंगा हो, मैं जलता हुआ पतंगा हूं
तुम राज घाट का शांति मार्च, मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूं

मैं ढाबे के ढांचे जैसा, तुम पांच-सितारा होटल हो
मैं महुए का देसी ठर्रा, तुम ‘रेड लेबल’ की बोतल हो
तुम चित्रहार का मधुर गीत, मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूं
तुम विश्व सुन्दरी सी कमाल, मैं तेलिया-छाप कबाड़ी हूं

तुम सोनी का मोबाइल हो, मैं टेलीफोन वाला चोगा
तुम मछली मनसरोवर की, मैं हूं सागर तट का घोंघा
दस मंजिल से गिर जाऊंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

मुझको रेफ्री ही रहने दो, मत खेलो मुझसे खेल प्रिये
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये

11 सितंबर 2023

waiting for the wind to come

waiting for the wind to come

will it be the east wind
the west wind ?
will it be the north wind
the south wind ?
will it be the wind that blows ahead
or behind ?

how absurd it is to trust the fate of a country
and one's own fate
on the vagaries of the 'wind'

--- Hu Minzhi

1 सितंबर 2023

प्रक्रिया

मैं क्या कर रहा था
जब
सब जयकार कर रहे थे?
मैं भी जयकार कर रहा था -
डर रहा था
जिस तरह
सब डर रहे थे।
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'अजीज मेरा दुश्मन है?'

मैं भी कह रहा था,
'अजीज मेरा दुश्मन है।'
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'मुँह मत खोलो?'
मैं भी कह रहा था,
'मुँह मत खोलो
बोला
जैसा सब बोलते हैं।'
खत्म हो चुकी है जयकार,
अजीज मारा जा चुका है,
मुँह बंद हो चुके हैं।

हैरत में सब पूछ रहे हैं,
यह कैसे हुआ?
जिस तरह सब पूछ रहे हैं
उसी तरह मैं भी
यह कैसे हुआ?

26 अगस्त 2023

मछलियों को लगता था

मछलियों को लगता था
के जैसे वे तड़पती हैं पानी के लिए
पानी भी उनके लिए
वैसा ही तड़पता होगा।

लेकिन जब खींचा जाता है जाल
तो पानी मछलियों को छोड़कर
जाल के छेदों से निकल भागता है।

पानी मछलियों का देश है
लेकिन मछलियां अपने देश के बारे में
कुछ नहीं जानतीं।

--- नरेश सक्सेना

21 अगस्त 2023

अन्याय छिपता है

कई बार
सुनवाई इसलिए होती है
 कि कोई यह न कह सके : 
राज्य में न्याय नहीं है 

अन्याय 
छिपता है 
न्याय की ओट में 

पंकज चतुर्वेदी
{'काजू की रोटी', 2023 से}