26 जनवरी 2024

यक्ष प्रश्न

वे आज नहीं हैं।
जो आज हैं,
वे कल नहीं होंगे।
होने, न होने का क्रम,
इसी तरह चलता रहेगा,
हम हैं, हम रहेंगे,
यह भ्रम भी सदा पलता रहेगा।

सत्य क्या है?
होना या न होना?
या दोनों ही सत्य हैं?
जो है, उसका होना सत्य है,
जो नहीं है, उसका न होना सत्य है।
मुझे लगता है कि
होना-न-होना एक ही सत्य के
दो आयाम हैं,
शेष सब समझ का फेर,
बुद्धि के व्यायाम हैं।
किन्तु न होने के बाद क्या होता है,
यह प्रश्न अनुत्तरित है।

प्रत्येक नया नचिकेता,
इस प्रश्न की खोज में लगा है।
सभी साधकों को इस प्रश्न ने ठगा है।
शायद यह प्रश्न, प्रश्न ही रहेगा।
यदि कुछ प्रश्न अनुत्तरित रहें
तो इसमें बुराई क्या है?
हाँ, खोज का सिलसिला न रुके,
धर्म की अनुभूति,
विज्ञान का अनुसंधान,
एक दिन, अवश्य ही
रुद्ध द्वार खोलेगा।
प्रश्न पूछने के बजाय
यक्ष स्वयं उत्तर बोलेगा।

---अटल बिहारी वाजपेयी

19 जनवरी 2024

गीत नया गाता हूं

पहली अनुभूति

बेनकाब चेहरे हैं, दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

पीठ मे छुरी सा चांद, राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं

दूसरी अनुभूति

गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं

--- अटल बिहारी वाजपेयी

14 जनवरी 2024

अल्लाह तेरो नाम

अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम
सब को सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम

माँगौं का सिन्दूर न छूटे
मां बहनों की आश न टूटे
देह बिना दाता
भटके न प्राण
सब को सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम

ओ सारे जग के रखवाले
निर्बल को बल देने वाले
बलवानों को दे दे ज्ञान
सब को सन्मति दे भगवान
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम

अल्लाह तेरो नाम

--- साहिर लुधियानवी

6 जनवरी 2024

जख़्म

इन गलियों से
बेदाग़ गुज़र जाता तो अच्छा था
और अगर
दाग़ ही लगना था तो फिर
कपड़ों पर मासूम रक्त के छींटे नहीं
आत्मा पर
किसी बहुत बड़े प्यार का ज़ख़्म होता
जो कभी न भरता |

~ कुँवर नारायण 

1 जनवरी 2024

अँधेरे के बारे में कुछ वाक्य

अन्धेरे में सबसे बड़ी दिक़्क़त यह थी कि वह क़िताब पढ़ना
नामुमकिन बना देता था ।
पता नहीं शरारतन ऐसा करता था या क़िताब से डरता था
उसके मन में शायद यह संशय होगा कि क़िताब के भीतर
कोई रोशनी कहीं न कहीं छिपी हो सकती है ।
हालाँकि सारी क़िताबों के बारे में ऐसा सोचना
एक क़िस्म का बेहूदा सरलीकरण था ।
ऐसी क़िताबों की संख्या भी दुनिया में कम नहीं ,
जो अन्धेरा पैदा करती थीं
और उसे रोशनी कहती थीं ।
रोशनी के पास कई विकल्प थे
ज़रूरत पड़ने पर जिनका कोई भी इस्तेमाल कर सकता था
ज़रूरत के हिसाब से कभी भी उसको
कम या ज़्यादा किया जा सकता था
ज़रूरत के मुताबिक परदों को खींच कर
या एक छोटा-सा बटन दबा कर
उसे अन्धेरे में भी बदला जा सकता था
एक रोशनी कभी कभी बहुत दूर से चली आती थी हमारे पास
एक रोशनी कहीं भीतर से, कहीं बहुत भीतर से
आती थी और दिमाग को एकाएक रोशन कर जाती थी ।
एक शायर दोस्त रोशनी पर भी शक करता था
कहता था, उसे रेशा-रेशा उधेड़ कर देखो
रोशनी किस जगह से काली है ।
अधिक रोशनी का भी चकाचैंध करता अन्धेरा था ।
अन्धेरे से सिर्फ़ अन्धेरा पैदा होता है यह सोचना ग़लत था
लेकिन अन्धेरे के अनेक चेहरे थे
पाँवर-हाउस की किसी ग्रिड के अचानक बिगड़ जाने पर
कई दिनों तक अंधकार में डूबा रहा
देश का एक बड़ा हिस्सा ।
लेकिन इससे भी बड़ा अन्धेरा था
जो सत्ता की राजनीतिक ज़िद से पैदा होता था
या किसी विश्वशक्ति के आगे घुटने टेक देने वाले
ग़ुलाम दिमाग़ों से !
एक बौद्धिक अँधकार मौका लगते ही सारे देश को
हिंसक उन्माद में झोंक देता था ।
अन्धेरे से जब बहुत सारे लोग डर जाते थे
और उसे अपनी नियति मान लेते थे
कुछ ज़िद्दी लोग हमेशा बच रहते थे समाज में
जो कहते थे कि अन्धेरे समय में अन्धेरे के बारे में गाना ही
रोशनी के बारे में गाना है ।
वो अन्धेरे समय में अन्धेरे के गीत गाते थे ।
अन्धेरे के लिए यही सबसे बड़ा ख़तरा था ।

--- राजेश जोशी

25 दिसंबर 2023

Pater noster

Our Father who art in heaven
Stay there
And we'll stay here on earth
Which is sometimes so pretty
With its mysteries of New York
And its mysteries of Paris
At least as good as that of the Trinity
With its little canal at Ourcq
Its great wall of China
Its river at Morlaix
Its candy canes
With its Pacific Ocean
And its two basins in the Tuileries
With its good children and bad people
With all the wonders of the world
Which are here
Simply on the earth
Offered to everyone
Strewn about
Wondering at the wonder of themselves
And daring not avow it
As a naked pretty girl dares not show herself
With the world's outrageous misfortunes
Which are legion
With legionaries
With torturers
With the masters of this world
The masters with their priests their traitors and their troops
With the seasons
With the years
With the pretty girls and with the old bastards
With the straw of misery rotting in the steel of cannons.”

20 दिसंबर 2023

बहुत कठिन है डगर पनघट की

इधर पत्थर का पूजन है तो इधर है मतलबी सजदा है
यह है मंदिर का शैदाई और यह है मस्जिद का दिलदारा
इसे है स्वर्ग का लालच तो यह जन्नत का मतवाला
इधर भी राह में चक्कर, इधर भी राह में चक्कर
इधर काशी में है पत्थर,उधर काबे में है पत्थर
इधर पत्थर का पूजन है , उधर पत्थर को बोसा है
समझ में कुछ नहीं आता के माजरा क्या है
इधर पंडित अकड़ते हैं के वो काशी में रहता है
उधर हैं शेख जी नादान के वो काबे में रहता है
यानी जैसे मस्ज़िद भीतर अल्लाह बंद
और इश्वर कैद शिवालय में
स्वर्ग में कब्ज़ा पंडित जी का
जन्नत अल्लाह वालन में
राम की पढ़ गयी खींचा तानी
राम पढ़े जंजालन में
अरे बहुत कठिन है डगर पनघट की

--- अमीर खुसरो