Sep 20, 2022

ईश्वर अब अधिक है

ईश्वर अब अधिक है
सर्वत्र अधिक है
निराकार साकार अधिक
हरेक आदमी के पास बहुत अधिक है।
बहुत बँटने के बाद
बचा हुआ बहुत है।
अलग-अलग लोगों के पास
अलग-अलग अधिक बाक़ी है।
इस अधिकता में
मैं अपने ख़ाली झोले को
और ख़ाली करने के लिए
भय से झटकारता हूँ
जैसे कुछ निराकार झर जाता है।

--- विनोद कुमार शुक्ल

Sep 15, 2022

Sindabad Jahaji Title Song

डोले रे, डोले डोले डोले रे
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी

नीला समुंदर है आकाश प्याजी, 
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी ओ मेरा जहाजी
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
डोले रे, डोले डोले डोले रे

पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
शबनम के हीरे हैं, हीरे के झूले
दिन रात चक्कर लगती हैं चीलें

लहर लहर चलती कहानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
डोले रे, डोले डोले डोले रे

---ग़ुलज़ार

Sep 14, 2022

September

Then the flowers became very wild

because it was early September

and they had nothing to lose

they tossed their colors every

which way over the garden wall

splattering the lawn shoving their

wild orange red rain-disheveled faces

into my window without shame

--- Grace Paley, from Begin Again: Collected Poems (Farrar, Straus & Giroux, 2001)