ईश्वर अब अधिक है
सर्वत्र अधिक है
निराकार साकार अधिक
हरेक आदमी के पास बहुत अधिक है।
बहुत बँटने के बाद
बचा हुआ बहुत है।
अलग-अलग लोगों के पास
अलग-अलग अधिक बाक़ी है।
इस अधिकता में
मैं अपने ख़ाली झोले को
और ख़ाली करने के लिए
भय से झटकारता हूँ
जैसे कुछ निराकार झर जाता है।
Sep 20, 2022
Sep 15, 2022
Sindabad Jahaji Title Song
डोले रे, डोले डोले डोले रे
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
पानी की तह में खज़ाना छुपाके ,
दिन रात चक्कर लगती हैं चीलें
---ग़ुलज़ार
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
नीला समुंदर है आकाश प्याजी,
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी ओ मेरा जहाजी
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
डोले रे, डोले डोले डोले रे
डोले रे, डोले डोले डोले रे
पानी की तह में खज़ाना छुपाके ,
नीला समुंदर है गोता लगाके
पानी की तह में खज़ाना छुपाके ,
नीला समुंदर है गोता लगाके
शबनम के हीरे हैं, हीरे के झूलेदिन रात चक्कर लगती हैं चीलें
लहर लहर चलती कहानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
---ग़ुलज़ार
Sep 14, 2022
September
Then the flowers became very wild
because it was early September
and they had nothing to lose
they tossed their colors every
which way over the garden wall
splattering the lawn shoving their
wild orange red rain-disheveled faces
into my window without shame
--- Grace Paley, from Begin Again: Collected Poems (Farrar, Straus & Giroux, 2001)
and they had nothing to lose
they tossed their colors every
which way over the garden wall
splattering the lawn shoving their
wild orange red rain-disheveled faces
into my window without shame
--- Grace Paley, from Begin Again: Collected Poems (Farrar, Straus & Giroux, 2001)
Subscribe to:
Comments (Atom)