मैं ढूँढता हूँ जिसे वो जहाँ नहीं मिलता
नई ज़मीं नया आसमाँ नहीं मिलता
नई ज़मीं नया आसमाँ भी मिल जाये
नये बशर का कहीं कुछ निशाँ नहीं मिलता
वो तेग़ मिल गई जिस से हुआ है क़त्ल मेरा
किसी के हाथ का उस पर निशाँ नहीं मिलता
वो मेरा गाँव है वो मेरे गाँव के चूल्हे
कि जिन में शोले तो शोले धुआँ नहीं मिलता
जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यूँ
यहाँ तो कोई मेरा हमज़बाँ नहीं मिलता
खड़ा हूँ कब से मैं चेहरों के एक जंगल में
तुम्हारे चेहरे का कुछ भी यहाँ नहीं मिलता.
--कैफ़ी आज़मी
Apr 29, 2011
Apr 25, 2011
Poems of Kunwar Mahendra Singh Bedi Sahar
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी 'सहर' की शायरी से:
1---
आए हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
दैर-ओ-हरम1 में चैन जो मिलता
क्यूं जाते मैखाने2 लोग
1. मंदिर मस्जिद, 2. शराबखाना
जान के सब कुछ कुछ भी ना जाने
हैं कितने अनजाने लोग
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग
अब जब मुझको होश नहीं है
आए हैं समझाने लोग
2---
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है
मुस्कुरा दो ज़रा ख़ुदा के लिए,
शाम-ए-महफिल में रौशनी कम है,
3---
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर एतमाद1 आधा
मेरे सवाल-ए-वस्ल2 पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो
तुम्हीं बताओ ये बात क्या है, सवाल पूरा, जवाब आधा
कभी सितम है कभी करम है, कभी तवज़्जह3 कभी तगाफ़ुल4
ये साफ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा
1. विश्वास, 2. मिलने की बात पर, 3.ध्यान देना , 4. उपेक्षा
4---
ऐ नौजवान बज़ा कि जवानी का दौर है
रंगीन सुबह शाम सुहानी का दौर है
ये भी बज़ा कि प्रेम कहानी का दौर है
लेकिन रहे ये याद गरानी1 का दौर है
1.मँहगाई
5---
इश्क़ हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं
सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद से इजारा* तो नहीं
*अधिकार
************************************
1---
आए हैं समझाने लोग
हैं कितने दीवाने लोग
दैर-ओ-हरम1 में चैन जो मिलता
क्यूं जाते मैखाने2 लोग
1. मंदिर मस्जिद, 2. शराबखाना
जान के सब कुछ कुछ भी ना जाने
हैं कितने अनजाने लोग
वक़्त पे काम नहीं आते हैं
ये जाने पहचाने लोग
अब जब मुझको होश नहीं है
आए हैं समझाने लोग
2---
तुम हमारे नही तो क्या गम है
हम तुम्हारे तो हैं यह क्या कम है
मुस्कुरा दो ज़रा ख़ुदा के लिए,
शाम-ए-महफिल में रौशनी कम है,
3---
अभी वो कमसिन उभर रहा है, अभी है उस पर शबाब आधा
अभी जिगर में ख़लिश है आधी, अभी है मुझ पर एतमाद1 आधा
मेरे सवाल-ए-वस्ल2 पर तुम नज़र झुका कर खड़े हुए हो
तुम्हीं बताओ ये बात क्या है, सवाल पूरा, जवाब आधा
कभी सितम है कभी करम है, कभी तवज़्जह3 कभी तगाफ़ुल4
ये साफ ज़ाहिर है मुझ पे अब तक, हुआ हूँ मैं कामयाब आधा
1. विश्वास, 2. मिलने की बात पर, 3.ध्यान देना , 4. उपेक्षा
4---
ऐ नौजवान बज़ा कि जवानी का दौर है
रंगीन सुबह शाम सुहानी का दौर है
ये भी बज़ा कि प्रेम कहानी का दौर है
लेकिन रहे ये याद गरानी1 का दौर है
1.मँहगाई
5---
इश्क़ हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं
सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद से इजारा* तो नहीं
*अधिकार
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Apr 17, 2011
It’s the Dream
It’s the dream we carry
that something wondrous will happen
that it must happen
time will open
hearts will open
doors will open
spring will gush forth from the ground–
that the dream itself will open
that one morning we’ll quietly drift
into a harbor we didn’t know was there.
---by Olav H. Hauge from Borealis (March/April 2002), translated from the Norwegian by Robert Hadin.
that something wondrous will happen
that it must happen
time will open
hearts will open
doors will open
spring will gush forth from the ground–
that the dream itself will open
that one morning we’ll quietly drift
into a harbor we didn’t know was there.
---by Olav H. Hauge from Borealis (March/April 2002), translated from the Norwegian by Robert Hadin.
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