जब यार देखा नैन भर
जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतर
ऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर ।
जब आँख से ओझल भया, तड़पन लगा मेरा जिया
हक्का इलाही क्या किया, आँसू चले भर लाय कर ।
तू तो हमारा यार है, तुझ पर हमारा प्यार है
तुझ दोस्ती बिसियार है एक शब मिली तुम आय कर ।
जाना तलब तेरी करूँ दीगर तलब किसकी करूँ
तेरी जो चिंता दिल धरूँ, एक दिन मिलो तुम आय कर ।
मेरी जो मन तुम ने लिया, तुम उठा गम को दिया
तुमने मुझे ऐसा किया, जैसा पतंगा आग पर ।
खुसरो कहै बातों ग़ज़ब, दिल में न लावे कुछ अजब
कुदरत खुदा की है अजब, जब जिव दिया गुल लाय कर ।
. *********
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाएके
प्रेम भटी का मधवा पिलाके मतवारी करलीनी रे
गोरी गोरी बय्यां हरी हरी चूरीयां
बय्यां पकड़ धरलीनी रे मोसे नैना मिलाएके
बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रेजवा
अपनी सी करलीनी रे मो से नैना मिलाएके
खुसरो निजाम के बल बल जाईय्ये
मोहे सुहागन कीनी रे मो से नैना मिलाएके
. **********************
बहुत कठिन है डगर पनघट की ।
कैसे मैं भर लाउं मधवा से मटकी ?
पनिया भरन को मैं जो गइ थी ।
दोड़ झपट मोरा मटकी पटकी ।
खुसरो निजाम के बल बल जाईय्ये ।
लाज रखो मोरे घुंघट पट की ।
. *************
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम,
तोरी सूरत के बलिहारी ।
सब सखियन में चुनर मेरी मैली,
देख हसें नर नारी, निजाम...
अबके बहार चुनर मोरी रंग दे,
पिया रखले लाज हमारी, निजाम....
सदका बाबा गंज शकर का,
रख ले लाज हमारी, निजाम...
कुतब, फरीद मिल आए बराती,
खुसरो राजदुलारी, निजाम...
कौउ सास कोउ ननद से झगड़े,
हमको आस तिहारी, निजाम,
तोरी सूरत के बलिहारी, निजाम...
. *************
--- अमीर ख़ुसरो
7 अप्रैल 2019
29 मार्च 2019
सुख का दुख
जिन्दगी में कोई बड़ा सुख नहीं है,
इस बात का मुझे बड़ा दुख नहीं है,
क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ,
बड़े सुख आ जाएं घर में
तो कोई ऎसा कमरा नहीं है जिसमें उसे टिका दूं।
यहां एक बात
इससॆ भी बड़ी दर्दनाक बात यह है कि,
बड़े सुखों को देखकर
मेरे बच्चे सहम जाते हैं,
मैंने बड़ी कोशिश की है उन्हें
सिखा दूं कि सुख कोई डरने की चीज नहीं है।
मगर नहीं
मैंने देखा है कि जब कभी
कोई बड़ा सुख उन्हें मिल गया है रास्ते में
बाजार में या किसी के घर,
तो उनकी आँखों में खुशी की झलक तो आई है,
किंतु साथ साथ डर भी आ गया है।
बल्कि कहना चाहिये
खुशी झलकी है, डर छा गया है,
उनका उठना उनका बैठना
कुछ भी स्वाभाविक नहीं रह पाता,
और मुझे इतना दुख होता है देख कर
कि मैं उनसे कुछ कह नहीं पाता।
मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि बेटा यह सुख है,
इससे डरो मत बल्कि बेफिक्री से बढ़ कर इसे छू लो।
इस झूले के पेंग निराले हैं
बेशक इस पर झूलो,
मगर मेरे बच्चे आगे नहीं बढ़ते
खड़े खड़े ताकते हैं,
अगर कुछ सोचकर मैं उनको उसकी तरफ ढकेलता हूँ
तो चीख मार कर भागते हैं।
बड़े बड़े सुखों की इच्छा
इसीलिये मैंने जाने कब से छोड़ दी है,
कभी एक गगरी उन्हें जमा करने के लिये लाया था
अब मैंने उन्हें फोड़ दी है।
∼ भवानी प्रसाद मिश्र
इस बात का मुझे बड़ा दुख नहीं है,
क्योंकि मैं छोटा आदमी हूँ,
बड़े सुख आ जाएं घर में
तो कोई ऎसा कमरा नहीं है जिसमें उसे टिका दूं।
यहां एक बात
इससॆ भी बड़ी दर्दनाक बात यह है कि,
बड़े सुखों को देखकर
मेरे बच्चे सहम जाते हैं,
मैंने बड़ी कोशिश की है उन्हें
सिखा दूं कि सुख कोई डरने की चीज नहीं है।
मगर नहीं
मैंने देखा है कि जब कभी
कोई बड़ा सुख उन्हें मिल गया है रास्ते में
बाजार में या किसी के घर,
तो उनकी आँखों में खुशी की झलक तो आई है,
किंतु साथ साथ डर भी आ गया है।
बल्कि कहना चाहिये
खुशी झलकी है, डर छा गया है,
उनका उठना उनका बैठना
कुछ भी स्वाभाविक नहीं रह पाता,
और मुझे इतना दुख होता है देख कर
कि मैं उनसे कुछ कह नहीं पाता।
मैं उनसे कहना चाहता हूँ कि बेटा यह सुख है,
इससे डरो मत बल्कि बेफिक्री से बढ़ कर इसे छू लो।
इस झूले के पेंग निराले हैं
बेशक इस पर झूलो,
मगर मेरे बच्चे आगे नहीं बढ़ते
खड़े खड़े ताकते हैं,
अगर कुछ सोचकर मैं उनको उसकी तरफ ढकेलता हूँ
तो चीख मार कर भागते हैं।
बड़े बड़े सुखों की इच्छा
इसीलिये मैंने जाने कब से छोड़ दी है,
कभी एक गगरी उन्हें जमा करने के लिये लाया था
अब मैंने उन्हें फोड़ दी है।
∼ भवानी प्रसाद मिश्र
20 मार्च 2019
Another day
Another day. I follow another path,
Enter the leafing woodland, visit the spring
Or the rocks where the roses bloom
Or search from a look-out, but nowhere
Love are you to be seen in the light of day
And down the wind go the words of our once so
Beneficent conversation...
Your beloved face has gone beyond my sight,
The music of your life is dying away
Beyond my hearing and all the songs
That worked a miracle of peace once on
My heart, where are they now? It was long ago,
So long and the youth I was has aged nor is
Even the earth that smiled at me then
The same. Farewell. Live with that word always.
For the soul goes from me to return to you
Day after day and my eyes shed tears that they
Cannot look over to where you are
And see you clearly ever again.
--- Friedrich Holderlin
Enter the leafing woodland, visit the spring
Or the rocks where the roses bloom
Or search from a look-out, but nowhere
Love are you to be seen in the light of day
And down the wind go the words of our once so
Beneficent conversation...
Your beloved face has gone beyond my sight,
The music of your life is dying away
Beyond my hearing and all the songs
That worked a miracle of peace once on
My heart, where are they now? It was long ago,
So long and the youth I was has aged nor is
Even the earth that smiled at me then
The same. Farewell. Live with that word always.
For the soul goes from me to return to you
Day after day and my eyes shed tears that they
Cannot look over to where you are
And see you clearly ever again.
--- Friedrich Holderlin
16 मार्च 2019
Masses
. . .When the battle was over,
and the fighter was dead, a man came toward him
and said to him: “Do not die; I love you so!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .And two came near, and told him again and again:
“Do not leave us! Courage! Return to life!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Twenty arrived, a hundred, a thousand, five hundred thousand,
shouting: “So much love, and it can do nothing against death!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Millions of persons stood around him,
all speaking the same thing: “Stay here, brother!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Then all the men of the earth
stood around him; the corpse looked at them sadly, deeply moved;
he sat up slowly,
put his arms around the first man; started to walk. . .
--- Cesar Vallejo and translated by Robert Bly
and the fighter was dead, a man came toward him
and said to him: “Do not die; I love you so!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .And two came near, and told him again and again:
“Do not leave us! Courage! Return to life!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Twenty arrived, a hundred, a thousand, five hundred thousand,
shouting: “So much love, and it can do nothing against death!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Millions of persons stood around him,
all speaking the same thing: “Stay here, brother!”
But the corpse, it was sad! went on dying.
. . .Then all the men of the earth
stood around him; the corpse looked at them sadly, deeply moved;
he sat up slowly,
put his arms around the first man; started to walk. . .
--- Cesar Vallejo and translated by Robert Bly
1 मार्च 2019
मार्च ‘79 से
उन सब से ऊब कर
जिनके पास केवल शब्द होते हैं
केवल शब्द और कोई भाषा नहीं
मैं बर्फ से ढके द्वीप पर गया
जंगल की कोई भाषा नहीं होती
अनलिखे पन्ने सभी दिशाओं में फैले रहते हैं!
मुझे वहां बर्फ पर हिरन के खुरों के निशान दिखाई दिए
उन निशानों में भाषा थी पर शब्द नहीं थे
--- टॉमस ट्रांसट्रोमर, अनुवाद और प्रस्तुति : मोनिका कुमार
जिनके पास केवल शब्द होते हैं
केवल शब्द और कोई भाषा नहीं
मैं बर्फ से ढके द्वीप पर गया
जंगल की कोई भाषा नहीं होती
अनलिखे पन्ने सभी दिशाओं में फैले रहते हैं!
मुझे वहां बर्फ पर हिरन के खुरों के निशान दिखाई दिए
उन निशानों में भाषा थी पर शब्द नहीं थे
--- टॉमस ट्रांसट्रोमर, अनुवाद और प्रस्तुति : मोनिका कुमार
14 फ़रवरी 2019
ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
दिल में ना हो ज़ुर्रत तो मोहब्बत नहीं मिलती
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती
कुछ लोग यूँही शहर में हमसे भी ख़फा हैं
हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती
देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती
हंसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती
--- निदा फ़ाज़ली
ख़ैरात में इतनी बङी दौलत नहीं मिलती
कुछ लोग यूँही शहर में हमसे भी ख़फा हैं
हर एक से अपनी भी तबीयत नहीं मिलती
देखा था जिसे मैंने कोई और था शायद
वो कौन है जिससे तेरी सूरत नहीं मिलती
हंसते हुए चेहरों से है बाज़ार की ज़ीनत
रोने को यहाँ वैसे भी फुरसत नहीं मिलती
--- निदा फ़ाज़ली
7 फ़रवरी 2019
So Many Different Lengths Of Time
How long does a man live after all?
A thousand days or only one?
One week or a few centuries?
How long does a man spend living or dying
and what do we mean when we say gone forever?
Adrift in such preoccupations, we seek clarification.
We can go to the philosophers
but they will weary of our questions.
We can go to the priests and rabbis
but they might be busy with administrations.
So, how long does a man live after all?
And how much does he live while he lives?
We fret and ask so many questions -
then when it comes to us
the answer is so simple after all.
A man lives for as long as we carry him inside us,
for as long as we carry the harvest of his dreams,
for as long as we ourselves live,
holding memories in common, a man lives.
His lover will carry his man's scent, his touch:
his children will carry the weight of his love.
One friend will carry his arguments,
another will hum his favourite tunes,
another will still share his terrors.
And the days will pass with baffled faces,
then the weeks, then the months,
then there will be a day when no question is asked,
and the knots of grief will loosen in the stomach
and the puffed faces will calm.
And on that day he will not have ceased
but will have ceased to be separated by death.
How long does a man live after all?
A man lives so many different lengths of time.
---Brian Patten
A thousand days or only one?
One week or a few centuries?
How long does a man spend living or dying
and what do we mean when we say gone forever?
Adrift in such preoccupations, we seek clarification.
We can go to the philosophers
but they will weary of our questions.
We can go to the priests and rabbis
but they might be busy with administrations.
So, how long does a man live after all?
And how much does he live while he lives?
We fret and ask so many questions -
then when it comes to us
the answer is so simple after all.
A man lives for as long as we carry him inside us,
for as long as we carry the harvest of his dreams,
for as long as we ourselves live,
holding memories in common, a man lives.
His lover will carry his man's scent, his touch:
his children will carry the weight of his love.
One friend will carry his arguments,
another will hum his favourite tunes,
another will still share his terrors.
And the days will pass with baffled faces,
then the weeks, then the months,
then there will be a day when no question is asked,
and the knots of grief will loosen in the stomach
and the puffed faces will calm.
And on that day he will not have ceased
but will have ceased to be separated by death.
How long does a man live after all?
A man lives so many different lengths of time.
---Brian Patten
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