एक छप्पर भी नहीं है सर छिपाने के लिए
हम बने है दूसरों के घर बनाने के लिए
बन चुकी पूरी इमारत आपका कब्ज़ा हुआ
हम तरसते ही रहे बस आशियाने के लिए
जेब मे रखकर वो चेहरे को हमारे चल दिए
जानते है, जा रहे है फिर न आने के लिए
बिजलियाँ चमकें, गिरें, हमको नहीं परवाह अब
नींव तो रख जाएँगे हम आशियाने के लिए
उसने एक दीपक जलाया, ये भी तो कुछ कम नहीं
कुछ तो कोशिश की अन्धेरे को मिटाने के लिए
--- अश्वघोष
20 जुलाई 2020
11 जुलाई 2020
न मेरा है न तेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है
न मेरा है न तेरा है ये हिन्दुस्तान सबका है
नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है
हज़ारों रास्ते खोजे गए उस तक पहुँचने के
मगर पहुँचे हुए ये कह गए भगवान सबका है
जो इसमें मिल गईं नदियाँ वे दिखलाई नहीं देतीं
महासागर बनाने में मगर एहसान सबका है
अनेकों रंग, ख़ुशबू, नस्ल के फल-फूल पौधे हैं
मगर उपवन की इज्जत-आबरू ईमान सबका है
हक़ीक़त आदमी की और झटका एक धरती का
जो लावारिस पड़ी है धूल में सामान सबका है
ज़रा से प्यार को खुशियों की हर झोली तरसती है
मुकद्दर अपना-अपना है, मगर अरमान सबका है
उदय झूठी कहानी है सभी राजा और रानी की
जिसे हम वक़्त कहते हैं वही सुल्तान सबका है
---उदय प्रताप सिंह
नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है
हज़ारों रास्ते खोजे गए उस तक पहुँचने के
मगर पहुँचे हुए ये कह गए भगवान सबका है
जो इसमें मिल गईं नदियाँ वे दिखलाई नहीं देतीं
महासागर बनाने में मगर एहसान सबका है
अनेकों रंग, ख़ुशबू, नस्ल के फल-फूल पौधे हैं
मगर उपवन की इज्जत-आबरू ईमान सबका है
हक़ीक़त आदमी की और झटका एक धरती का
जो लावारिस पड़ी है धूल में सामान सबका है
ज़रा से प्यार को खुशियों की हर झोली तरसती है
मुकद्दर अपना-अपना है, मगर अरमान सबका है
उदय झूठी कहानी है सभी राजा और रानी की
जिसे हम वक़्त कहते हैं वही सुल्तान सबका है
---उदय प्रताप सिंह
7 जुलाई 2020
This Be The Verse
They fuck you up, your mum and dad.
They may not mean to, but they do.
They fill you with the faults they had
And add some extra, just for you.
But they were fucked up in their turn
By fools in old-style hats and coats,
Who half the time were soppy-stern
And half at one another’s throats.
Man hands on misery to man.
It deepens like a coastal shelf.
Get out as early as you can,
And don’t have any kids yourself.
---Philip Larkin
They may not mean to, but they do.
They fill you with the faults they had
And add some extra, just for you.
But they were fucked up in their turn
By fools in old-style hats and coats,
Who half the time were soppy-stern
And half at one another’s throats.
Man hands on misery to man.
It deepens like a coastal shelf.
Get out as early as you can,
And don’t have any kids yourself.
---Philip Larkin
3 जुलाई 2020
जागो प्यारे
उठो लाल अब आँखें खोलो,
पानी लायी हूँ मुंह धो लो।
बीती रात कमल दल फूले,
उसके ऊपर भँवरे झूले।
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,
बहने लगी हवा अति सुंदर।
नभ में प्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।
भोर हुई सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया।
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
इतना सुंदर समय मत खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।
---अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
पानी लायी हूँ मुंह धो लो।
बीती रात कमल दल फूले,
उसके ऊपर भँवरे झूले।
चिड़िया चहक उठी पेड़ों पे,
बहने लगी हवा अति सुंदर।
नभ में प्यारी लाली छाई,
धरती ने प्यारी छवि पाई।
भोर हुई सूरज उग आया,
जल में पड़ी सुनहरी छाया।
नन्ही नन्ही किरणें आई,
फूल खिले कलियाँ मुस्काई।
इतना सुंदर समय मत खोओ,
मेरे प्यारे अब मत सोओ।
---अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
25 जून 2020
भरोसा रखना
वॉन गॉग हर खत में
अपने भाई थियो को लिखता था
मुझ पर भरोसा रखना
एक सदी से ज़्यादा हो गए हैं
दोनों भाईयों को इस धरती से कूच किए
लेकिन धरती के कोने कोने में हजारों कटे-अधकटे हाथ आज भी
किसी न किसी थियो को लिख रहे हैं
मुझ पर भरोसा रखना...
––-सुधांशु फिरदौस
अपने भाई थियो को लिखता था
मुझ पर भरोसा रखना
एक सदी से ज़्यादा हो गए हैं
दोनों भाईयों को इस धरती से कूच किए
लेकिन धरती के कोने कोने में हजारों कटे-अधकटे हाथ आज भी
किसी न किसी थियो को लिख रहे हैं
मुझ पर भरोसा रखना...
––-सुधांशु फिरदौस
17 जून 2020
The stench of sanity
There is something rotten - inside of
You, in your flesh, the stench of
Sanity. It breathes in your
Eyes, this thing…
Something decadent, in your
Flesh, decaying…
It will be too late – you will
Die of it!
This thing that sleeps with you
Night after night, like
An aging wanton woman,
Spent, but not quite spent –
And she waits for you to
Dump her, in some dark street
Corner… yet follows you,
Drunken whore!
There’s no getting away for you
You will die of it, this thing
That breathes…
Inside of you, in your flesh
The stench of sanity
---Deepti Naval
You, in your flesh, the stench of
Sanity. It breathes in your
Eyes, this thing…
Something decadent, in your
Flesh, decaying…
It will be too late – you will
Die of it!
This thing that sleeps with you
Night after night, like
An aging wanton woman,
Spent, but not quite spent –
And she waits for you to
Dump her, in some dark street
Corner… yet follows you,
Drunken whore!
There’s no getting away for you
You will die of it, this thing
That breathes…
Inside of you, in your flesh
The stench of sanity
---Deepti Naval
14 जून 2020
नौहा
रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
डरता हूँ कहीं ख़ुश्क न हो जाए समुंदर
राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई
माना कि उजालों ने तुम्हें दाग़ दिए थे
बे-रात ढले शम्अ बुझाता नहीं कोई
साक़ी से गिला था तुम्हें मय-ख़ाने से शिकवा
अब ज़हर से भी प्यास बुझाता नहीं कोई
हर सुब्ह हिला देता था ज़ंजीर ज़माना
क्यूँ आज दिवाने को जगाता नहीं कोई
अर्थी तो उठा लेते हैं सब अश्क बहा के
नाज़-ए-दिल-ए-बेताब उठाता नहीं कोई
--- कैफ़ी आज़मी
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
डरता हूँ कहीं ख़ुश्क न हो जाए समुंदर
राख अपनी कभी आप बहाता नहीं कोई
इक बार तो ख़ुद मौत भी घबरा गई होगी
यूँ मौत को सीने से लगाता नहीं कोई
माना कि उजालों ने तुम्हें दाग़ दिए थे
बे-रात ढले शम्अ बुझाता नहीं कोई
साक़ी से गिला था तुम्हें मय-ख़ाने से शिकवा
अब ज़हर से भी प्यास बुझाता नहीं कोई
हर सुब्ह हिला देता था ज़ंजीर ज़माना
क्यूँ आज दिवाने को जगाता नहीं कोई
अर्थी तो उठा लेते हैं सब अश्क बहा के
नाज़-ए-दिल-ए-बेताब उठाता नहीं कोई
--- कैफ़ी आज़मी
सदस्यता लें
संदेश (Atom)