2 दिसंबर 2019

नयी हँसी

महासंघ का मोटा अध्यक्ष
धरा हुआ गद्दी पर खुजलाता है उपस्थ
सर नहीं,
हर सवाल का उत्तर देने से पेश्तर

बीस बड़े अख़बारों के प्रतिनिधि पूछें पचीस बार
क्या हुआ समाजवाद
कहे महासंघपति पचीस बार हम करेंगे विचार
आँख मारकर पचीस बार वह, हँसे वह पचीस बार
हँसे बीस अख़बार
एक नयी ही तरह की हँसी यह है

पहले भारत में सामूहिक हास परिहास तो नहीं ही था
लोग आँख से आँख मिला हँस लेते थे
इसमें सब लोग दायें-बायें झाँकते हैं
और यह मुँह फाड़कर हँसी जाती है।
राष्ट्र को महासंघ का यह सन्देश है
जब मिलो तिवारी से-हँसो-क्योंकि तुम भी तिवारी हो
जब मिलो शर्मा से-हँसो-क्योंकि वह भी तिवारी हो
जब मिलो शर्मा से- हँसो- क्योंकि वह भी तिवारी है

जब मिलो मुसद्दी से
खिसियाओ
जातपाँत से परे
रिश्ता अटूट है
राष्ट्रीय झेंप का।
---रघुवीर सहाय

1 दिसंबर 2019

The Interrogation

for Witek Piatkowski

They beat him all day, and the next. Nothing doing.
They beat him 'round the clock, all week.
'Talk, talk,' they shouted, 'we know everything!
We know your alias! And your name!'
They showed his ID, banged his head on the table.
'Say just one sentence! just one word!'
They showed him his passport, foreign visas,
books and secret documents from the lining of his suitcase,
but then when they showed him his English tommy gun
he said, 'take away the tablecloth, I'm going to throw up.'
That's all he said. He was black and blue.
They took him to Majdanek, locked him behind the wire.
At night he cut the wire, escaped right under the sentries' eyes.
What use is glory if this memory dies?

---Tadeusz Borowski

23 नवंबर 2019

विचार आते हैं

विचार आते हैं
लिखते समय नहीं
बोझ ढोते वक़्त पीठ पर
सिर पर उठाते समय भार
परिश्रम करते समय
चांद उगता है व
पानी में झलमलाने लगता है
हृदय के पानी में

विचार आते हैं
लिखते समय नहीं
...पत्थर ढोते वक़्त
पीठ पर उठाते वक़्त बोझ
साँप मारते समय पिछवाड़े
बच्चों की नेकर फचीटते वक़्त

पत्थर पहाड़ बन जाते हैं
नक्शे बनते हैं भौगोलिक
पीठ कच्छप बन जाती है
समय पृथ्वी बन जाता है...

---गजानन माधव मुक्तिबोध

22 नवंबर 2019

'शायरी मैंने ईजाद की'

काग़ज़ मराकेशों ने ईजाद किया
हुरूफ़ फ़ोनेशनों ने
शायरी मैंने ईजाद की

क़ब्र खोदने वाले ने तंदूर ईजाद किया
तंदूर पर क़ब्ज़ा करने वालों ने रोटी की पर्ची बनाई
रोटी लेने वाले ने क़तार ईजाद की
और मिलकर गाना सीखा

रोटी की क़तार में जब चींटियाँ आ कर खड़ी हो गईं
तो फ़ाक़ा ईजाद हो गया
शहतूत बेचने वाले ने रेशम का कीड़ा ईजाद किया
शायरी ने रेशम से लड़कियों के लिए लिबास बनाया
रेशम में मलबूस लड़कियों के लिए कुटनियों ने महलसरा ईजाद की
जहाँ जाकर उन्होंने रेशम के कीड़े का पता बता दिया

फ़ासले ने घोड़े के चार पाँव ईजाद किए
तेज़ रफ़तारी ने रथ बनाया
और जब शिकस्त ईजाद हुई
तो मुझे तेज़ रफ़्तार रथ के आगे लिटा दिया गया

मगर उस वक़्त तक शायरी मुहब्बत को ईजाद कर चुकी थी
मुहब्बत ने दिल ईजाद किया
दिल ने ख़ेमा और कश्तियाँ बनाईं
और दूर-दराज़ के मक़ामात तय किए

ख़्वाजासरा ने मछली पकड़ने का कांटा ईजाद किया
और सोये हुए दिल में चुभोकर भाग गया
दिल में चुभे हुए कांटे की डोर थामने के लिए
नीलामी ईजाद हुई

और
जब्र ने आख़री बोली ईजाद की
मैंने सारी शायरी बेच कर आग ख़रीदी
और जब्र का हाथ ज़ला दिया
--- अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

15 नवंबर 2019

Mimesis

My daughter
wouldn't hurt a spider
That had nested
Between her bicycle handles
For two weeks
She waited
Until it left of its own accord

If you tear down the web I said
It will simply know
This isn’t a place to call home
And you’d get to go biking

She said that’s how others
Become refugees isn’t it?

--- Fady Joudah

14 नवंबर 2019

The Average Child

I don’t cause teachers trouble;
My grades have been okay.
I listen in my classes.
I’m in school every day.
My teachers think I’m average;
My parents think so too.
I wish I didn’t know that, though;
There’s lots I’d like to do.

I’d like to build a rocket;
I read a book on how.
Or start a stamp collection…
But no use trying now.

’Cause, since I found I’m average,
I’m smart enough you see
To know there’s nothing special
I should expect of me.

I’m part of that majority,
That hump part of the bell,
Who spends his life unnoticed
In an average kind of hell.

~ Mike Buscemi

9 नवंबर 2019

मैं यह कविता तुम्हें सौंपता हूं

मैं यह कविता तुम्हें सौंपता हूं
चूंकि मेरे पास देने को और कुछ नहीं
इसे एक गर्म कोट की तरह रखना
जब ठंड तुम्हें जकड़ने आए
या एक जोड़ी मोटे जुराबों की तरह
जिनके पार नहीं जा सकती है ठंड,

मैं तुम्हें प्यार करता हूं,

मेरे पास तुम्हें देने को और कुछ नहीं
इसलिए यह मक्के से भरा हुआ बर्तन लो
ठंड में तुम्हारे पेट को उष्ण रखने के लिए
तुम्हारे सिर के लिए स्कार्फ है यह,
जिसे तुम बांध सकती हो अपने केशों पर
अपने चेहरे के चारों तरफ लपेट सकती हो,

मैं तुमसे प्यार करता हूं,

रखो इसे, संभालो इसे जब तुम खो जाओगी
हो जाओगी दिशाहीन जीवन के वन में,
जब जीवन होगा गंभीर
अपने दराज के कोने में रखो इसे
जैसे हो यह कोई शरणस्थली या
घने जंगल के बीच एक झोंपड़ी
आना द्वार पर तुम और मैं दूंगा तुम्हें उत्तर, दूंगा दिशाज्ञान,
और तुम्हें सेंकने दूंगा जलती हुई आग,
आराम करो और स्वयं को समझो सुरक्षित,

मैं तुमसे प्यार करता हूं,

मेरे पास देने को इतना ही है
और इतना ही जीने के लिए चाहता है कोई
और अंतर तुम्हारा जीवित रहे
भले ही बाहर की दुनिया
न करे परवाह कि तुम जिंदा हो कि मर गई
रखना याद,

मैं तुम्हें प्यार करता हूं.

--- Jimmy Santiago Baca, अनुवादक: उपासना झा