मैं यह कविता तुम्हें सौंपता हूं
चूंकि मेरे पास देने को और कुछ नहीं
इसे एक गर्म कोट की तरह रखना
जब ठंड तुम्हें जकड़ने आए
या एक जोड़ी मोटे जुराबों की तरह
जिनके पार नहीं जा सकती है ठंड,
मैं तुम्हें प्यार करता हूं,
मेरे पास तुम्हें देने को और कुछ नहीं
इसलिए यह मक्के से भरा हुआ बर्तन लो
ठंड में तुम्हारे पेट को उष्ण रखने के लिए
तुम्हारे सिर के लिए स्कार्फ है यह,
जिसे तुम बांध सकती हो अपने केशों पर
अपने चेहरे के चारों तरफ लपेट सकती हो,
मैं तुमसे प्यार करता हूं,
रखो इसे, संभालो इसे जब तुम खो जाओगी
हो जाओगी दिशाहीन जीवन के वन में,
जब जीवन होगा गंभीर
अपने दराज के कोने में रखो इसे
जैसे हो यह कोई शरणस्थली या
घने जंगल के बीच एक झोंपड़ी
आना द्वार पर तुम और मैं दूंगा तुम्हें उत्तर, दूंगा दिशाज्ञान,
और तुम्हें सेंकने दूंगा जलती हुई आग,
आराम करो और स्वयं को समझो सुरक्षित,
मैं तुमसे प्यार करता हूं,
मेरे पास देने को इतना ही है
और इतना ही जीने के लिए चाहता है कोई
और अंतर तुम्हारा जीवित रहे
भले ही बाहर की दुनिया
न करे परवाह कि तुम जिंदा हो कि मर गई
रखना याद,
मैं तुम्हें प्यार करता हूं.
--- Jimmy Santiago Baca, अनुवादक: उपासना झा
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 09 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्यार की इस वसीयत के क्या कहने 👌👌👌👌👌
जवाब देंहटाएंसत्य वचन
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