4 अगस्त 2021

The Diameter Of The Bomb

The diameter of the bomb was thirty centimeters
and the diameter of its effective range about seven meters,
with four dead and eleven wounded.
And around these, in a larger circle
of pain and time, two hospitals are scattered
and one graveyard. But the young woman
who was buried in the city she came from,
at a distance of more than a hundred kilometers,
enlarges the circle considerably,
and the solitary man mourning her death
at the distant shores of a country far across the sea
includes the entire world in the circle.
And I won’t even mention the crying of orphans
that reaches up to the throne of God and
beyond, making a circle with no end and no God.

30 जुलाई 2021

Apolitical Intellectuals

One day
the apolitical
intellectuals
of my country
will be interrogated
by the simplest
of our people.

They will be asked
what they did
when their nation died out
slowly,
like a sweet fire
small and alone.

No one will ask them
about their dress,
their long siestas
after lunch,
no one will want to know
about their sterile combats
with “the idea
of the nothing”
no one will care about
their higher financial learning.

They won’t be questioned
on Greek mythology,
or regarding their self-disgust
when someone within them
begins to die
the coward’s death.

They’ll be asked nothing
about their absurd
justifications,
born in the shadow
of the total lie.

On that day
the simple men will come.
Those who had no place
in the books and poems
of the apolitical intellectuals,
but daily delivered
their bread and milk,
their tortillas and eggs,
those who drove their cars,
who cared for their dogs and gardens
and worked for them,
and they’ll ask:

“What did you do when the poor
suffered, when tenderness
and life
burned out of them?”

Apolitical intellectuals
of my sweet country,
you will not be able to answer.

A vulture of silence
will eat your gut.

Your own misery
will pick at your soul.

And you will be mute in your shame.

--- Otto Rene Castillo

24 जुलाई 2021

अमीरों का कोरस

जो हैं गरीब उनकी जरूरतें कम हैं
कम हैं जरूरतें तो मुसीबतें कम हैं
हम मिल-जुल के गाते गरीबों की महिमा
हम महज अमीरों के तो गम ही गम हैं

वे नंगे रहते हैं बड़े मजे में
वे भूखों रह लेते हैं बड़े मजे में
हमको कपड़ों पर और चाहिए कपड़े
खाते-खाते अपनी नाकों में दम है

वे कभी कभी कानून भंग करते हैं
पर भले लोग हैं, ईश्वर से डरते हैं
जिसमें श्रद्धा या निष्ठा नहीं बची है
वह पशुओं से भी नीचा और अधम है

अपनी श्रद्धा भी धर्म चलाने में है
अपनी निष्ठा तो लाभ कमाने में है
ईश्वर है तो शांति, व्यवस्था भी है
ईश्वर से कम कुछ भी विध्वंस परम है

करते हैं त्याग गरीब स्वर्ग जाएँगे
मिट्टी के तन से मुक्ति वहीं पाएँगे
हम जो अमीर हैं सुविधा के बंदी हैं
लालच से अपने बंधे हरेक कदम हैं

इतने दुख में हम जीते जैसे-तैसे
हम नहीं चाहते गरीब हों हम जैसे
लालच न करें, हिंसा पर कभी न उतरें
हिंसा करनी हो तो दंगे क्या कम हैं

जो गरीब हैं उनकी जरूरतें कम हैं
कम हैं मुसीबतें, अमन चैन हरदम है
हम मिल-जुल के गाते गरीबों की महिमा
हम महज अमीरों के तो गम ही गम हैं

18 जुलाई 2021

सब याद रखा जाएगा

तुम हमें क़त्ल कर दो, हम बनके भूत लिखेंगे,
तुम्हारे क़त्ल के, सारे सबूत लिखेंगे,
तुम अदालतों से चुटकुले लिखो;
हम दीवारों पे ‘इंसाफ़’ लिखेंगे।
बहरे भी सुन लें इतनी ज़ोर से बोलेंगे।
अंधे भी पढ़ लें इतना साफ़ लिखेंगे।
तुम ‘काला कमल’ लिखो;
हम ‘लाल गुलाब’ लिखेंगे।
तुम ज़मीं पे ‘ज़ुल्म’ लिखो;
आसमान में ‘इंक़लाब’ लिखा जाएगा,
सब याद रखा जाएगा,
सब कुछ याद रखा जाएगा।
ताके तुम्हारे नाम पर लानतें भेजी जा सकें;
ताके तुम्हारे मुजस्समों पे कालिखें पोती जा सकें;
तुमारे नाम, तुम्हारे मुजस्समों को आबाद रखा जाएगा;
सब याद रखा जाएगा,
सब कुछ याद रखा जाएगा।

---आमिर अज़ीज़

12 जुलाई 2021

कुछ सूचनाएँ

सबसे अधिक हत्याएँ
समन्वयवादियों ने की।
दार्शनिकों ने
सबसे अधिक ज़ेवर खरीदा।
भीड़ ने कल बहुत पीटा
उस आदमी को
जिस का मुख ईसा से मिलता था।

वह कोई और महीना था।
जब प्रत्येक टहनी पर फूल खिलता था,
किंतु इस बार तो
मौसम बिना बरसे ही चला गया
न कहीं घटा घिरी
न बूँद गिरी
फिर भी लोगों में टी.बी. के कीटाणु
कई प्रतिशत बढ़ गए

कई बौखलाए हुए मेंढक
कुएँ की काई लगी दीवाल पर
चढ़ गए,
और सूरज को धिक्कारने लगे
--व्यर्थ ही प्रकाश की बड़ाई में बकता है
सूरज कितना मजबूर है
कि हर चीज़ पर एक सा चमकता है।

हवा बुदबुदाती है
बात कई पर्तों से आती है—
एक बहुत बारीक पीला कीड़ा
आकाश छू रहा था,
और युवक मीठे जुलाब की गोलियाँ खा कर
शौचालयों के सामने
पँक्तिबद्ध खड़े हैं।

आँखों में ज्योति के बच्चे मर गए हैं
लोग खोई हुई आवाज़ों में
एक दूसरे की सेहत पूछते हैं
और बेहद डर गए हैं।

सब के सब
रोशनी की आँच से
कुछ ऐसे बचते हैं
कि सूरज को पानी से
रचते हैं।

बुद्ध की आँख से खून चू रहा था
नगर के मुख्य चौरस्ते पर
शोकप्रस्ताव पारित हुए,
हिजड़ो ने भाषण दिए
लिंग-बोध पर,
वेश्याओं ने कविताएँ पढ़ीं
आत्म-शोध पर
प्रेम में असफल छात्राएँ
अध्यापिकाएँ बन गई हैं
और रिटायर्ड बूढ़े
सर्वोदयी-
आदमी की सबसे अच्छी नस्ल
युद्धों में नष्ट हो गई,
देश का सबसे अच्छा स्वास्थ्य
विद्यालयों में
संक्रामक रोगों से ग्रस्त है

(मैंने राष्ट्र के कर्णधारों को
सड़को पर
किश्तियों की खोज में
भटकते हुए देखा है)

संघर्ष की मुद्रा में घायल पुरुषार्थ
भीतर ही भीतर
एक निःशब्द विस्फोट से त्रस्त है

पिकनिक से लौटी हुई लड़कियाँ
प्रेम-गीतों से गरारे करती हैं
सबसे अच्छे मस्तिष्क,
आरामकुर्सी पर
चित्त पड़े हैं।

8 जुलाई 2021

Two Poems by Mourid Barghouti

PRISON

Man said:
blessed are the birds in their cages
for they, at least,
know the limits
of their prisons.

SILENCE

Silence said:
truth needs no eloquence,
After the death of the horseman,
the homeward-bound horse
says everything
without saying anything.

--- Mourid Barghouti (translated by Radwa Ashour)

4 जुलाई 2021

American Names

I have fallen in love with American names,
The sharp names that never get fat,
The snakeskin-titles of mining-claims,
The plumed war-bonnet of Medicine Hat,
Tucson and Deadwood and Lost Mule Flat.

Seine and Piave are silver spoons,
But the spoonbowl-metal is thin and worn,
There are English counties like hunting-tunes
Played on the keys of a postboy's horn,
But I will remember where I was born.

I will remember Carquinez Straits,
Little French Lick and Lundy's Lane,
The Yankee ships and the Yankee dates
And the bullet-towns of Calamity Jane.
I will remember Skunktown Plain.

I will fall in love with a Salem tree
And a rawhide quirt from Santa Cruz,
I will get me a bottle of Boston sea
And a blue-gum nigger to sing me blues.
I am tired of loving a foreign muse.

Rue des Martyrs and Bleeding-Heart-Yard,
Senlis, Pisa, and Blindman's Oast,
It is a magic ghost you guard
But I am sick for a newer ghost,
Harrisburg, Spartanburg, Painted Post.

Henry and John were never so
And Henry and John were always right?
Granted, but when it was time to go
And the tea and the laurels had stood all night,
Did they never watch for Nantucket Light?

I shall not rest quiet in Montparnasse.
I shall not lie easy at Winchelsea.
You may bury my body in Sussex grass,
You may bury my tongue at Champmedy.
I shall not be there. I shall rise and pass.
Bury my heart at Wounded Knee.

---Stephen Vincent Bene