राजा ने कहा :
अच्छे लोकतंत्र के लिए
मज़बूत विपक्ष चाहिए
राजा के अनुयायी भी
यही कहते घूमते हैं :
विपक्ष कमज़ोर है
और वे भी जो
तटस्थ दिखना चाहते हैं
पूछते हैं :
विपक्ष कहाँ है ?
कभी-कभी तो
अफ़सोस भी जताते हैं :
विपक्ष कुछ कर नहीं पा रहा है
ये जो तटस्थ हैं
राजा के सबसे गहरे अनुयायी हैं
वे बात को
इस तरह कहने की कला जानते हैं
कि वह सत्य मालूम हो
समर्थन नहीं
रही बात विपक्ष की
तो उसे कमज़ोर कहना
उससे सहानुभूति नहीं
बल्कि राजा की
प्रशंसा है
यानी शासन इतना अच्छा है
कि विपक्ष
कमज़ोर ही हो सकता है
--- पंकज चतुर्वेदी
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०२ -२०२२ ) को
'मान बढ़े सज्जन संगति से'(चर्चा अंक-४३४५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-०२ -२०२२ ) को
'मान बढ़े सज्जन संगति से'(चर्चा अंक-४३४५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
Bahut bahut aabhaar
हटाएंशासक मजबूत तो विपक्ष कमजोर ही रहेगा
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सटीक बात कही आपने!
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब! एकदम सटीक ।
जवाब देंहटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंबात सहमति-असहमति की नहीं,
जवाब देंहटाएंबात कहने के सलीके की है.
बात-बात में दांव - पेंच हैं,
बंधु,बात ये राजनीति की है !
बढ़ियां है.
सटीक विश्लेषण।
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