मछलियों को लगता था
के जैसे वे तड़पती हैं पानी के लिए
पानी भी उनके लिए
वैसा ही तड़पता होगा।
लेकिन जब खींचा जाता है जाल
तो पानी मछलियों को छोड़कर
जाल के छेदों से निकल भागता है।
पानी मछलियों का देश है
लेकिन मछलियां अपने देश के बारे में
कुछ नहीं जानतीं।
--- नरेश सक्सेना
August 26, 2023
August 21, 2023
अन्याय छिपता है
कई बार
सुनवाई इसलिए होती है
कि कोई यह न कह सके :
राज्य में न्याय नहीं है
अन्याय
छिपता है
न्याय की ओट में
― पंकज चतुर्वेदी
{'काजू की रोटी', 2023 से}
{'काजू की रोटी', 2023 से}
August 18, 2023
राजनीतिक शैली
यह नई राजनीतिक शैली है
कि हत्या की नहीं जाती
वह माहौल बनाया जाता है
जिसमें हत्या एक स्वाभाविक कर्म हो
जो इस माहौल के जनक हैं
वे हत्या पर अफ़सोस करते हैं
― पंकज चतुर्वेदी ("काजू की रोटी" कविता संग्रह)
August 15, 2023
कानपुरा (Kanpoora Lyrics from Katiyabaaz (2014))
जाग मुसाफिरा
ओ भोर भयी
भोर भई हो
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधा आधा जोड़ के बनता पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आधा आधा जोड़ के बंटा पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुर
हटिया खुली सराफा बंद
झाड़े रहो कलेक्टर गंज
बात बात पर फैंटम बनाना
छोड़ बैठ के मारो दंड
अंग्रेज़न तो बिसर गए
और गैया रोड पर पसर गई
अनडू बसयी करते करते
बची कुची सब कसर गयी
ओए कसर गई या भसड़ मची
होए चाट के लाल धतूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा
जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी
जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी ओ टूटी सी छड़ी
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
पूरा पटना भैया
पुरा राँची पुरा भैया हैं
पुरा गोरखपुरा।
ओ भोर भयी
भोर भई हो
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधा आधा जोड़ के बनता पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आधा आधा जोड़ के बंटा पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुर
हटिया खुली सराफा बंद
झाड़े रहो कलेक्टर गंज
बात बात पर फैंटम बनाना
छोड़ बैठ के मारो दंड
अंग्रेज़न तो बिसर गए
और गैया रोड पर पसर गई
अनडू बसयी करते करते
बची कुची सब कसर गयी
ओए कसर गई या भसड़ मची
होए चाट के लाल धतूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा
जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी
जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी ओ टूटी सी छड़ी
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
पूरा पटना भैया
पुरा राँची पुरा भैया हैं
पुरा गोरखपुरा।
August 12, 2023
एहसास (Ahsaas) (Old Doordarshan Serial Title Song)
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥
अहसास ना हो तो उसूलों का क्या करें ।
दिल से दिल की ज्योत जलता है एहसास ॥
अहसास ना हो तो उसूलों का क्या करें ।
दिल से दिल की ज्योत जलता है एहसास ॥
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥
फ़ितरतों के बोझ से दबे है आदमी ।
नफ़रतों के आग में जला है आदमी ॥
भेद भाव रंग क्लेश को काट के ।
फ़ितरतों के बोझ से दबे है आदमी ।
नफ़रतों के आग में जला है आदमी ॥
भेद भाव रंग क्लेश को काट के ।
एहसास बनता है आदमी को आदमी, आदमी को आदमी ॥
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥
--- पंचानन पाठक ( सीरियल का नाम: अहसास)
--- पंचानन पाठक ( सीरियल का नाम: अहसास)
August 7, 2023
The Veil of Religions
If You are One
And Your teachings are one,
Why did You engrave our infancy in the tablets of the Torah,
And ornament our youth with the Gospels
Only to erase all that in Your Final Book?
Why did You draw us, the ones who acknowledge Your Oneness,
Into disagreement?
Why did You multiply in us
When You are the One and Only?
And Your teachings are one,
Why did You engrave our infancy in the tablets of the Torah,
And ornament our youth with the Gospels
Only to erase all that in Your Final Book?
Why did You draw us, the ones who acknowledge Your Oneness,
Into disagreement?
Why did You multiply in us
When You are the One and Only?
--- Amal Al-Jubouri
Translated by A.Z. Foreman
Translated by A.Z. Foreman
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