जिन बच्चों की माँएँ नहीं होतीं
उनकी रेलगाड़ियाँ कहाँ जाती हैं
धड़धड़ाती हुईं
सीटी बजाती हुईं
धुआँ उड़ाती हुईं
उनके इंतज़ार में शिद्दत से बिछी आँखों को
फिर वे कहाँ खोजने जाते हैं
आँचल का वह सिरा
उन हाथों का स्पर्श
उस अनंत नि:स्वार्थ प्रेम के बिना
वे कैसे जीते हैं
यह जानते हुए भी कि इस दुनिया में
उनसे सबसे ज़्यादा प्यार करने वाली आँखें नहीं रहीं
और दुनिया का सबसे कोमल हृदय
उनके लिए अब और नहीं धड़केगा।
---दीपक जायसवाल
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जवाब देंहटाएंDhanyawaad
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