Mar 18, 2014

अच्छे बच्चे

कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैं
वे गेंद और ग़ुब्बारे नहीं मांगते
मिठाई नहीं मांगते ज़िद नहीं करते
और मचलते तो हैं ही नहीं

बड़ों का कहना मानते हैं
वे छोटों का भी कहना मानते हैं
इतने अच्छे होते हैं

इतने अच्छे बच्चों की तलाश में रहते हैं हम
और मिलते ही
उन्हें ले आते हैं घर
अक्सर
तीस रुपये महीने और खाने पर।

---नरेश सक्सेना

Feb 7, 2014

हिज्र की पहली शाम

हिज्र की पहली शाम के साये दूर उफ़क़ तक छाये थे
हम जब उसके शहर से निकले सब रास्ते सँवलाये थे

जाने वो क्या सोच रहा था अपने दिल में सारी रात
प्यार की बातें करते करते उस के नैन भर आये थे

मेरे अन्दर चली थी आँधी ठीक उसी दिन पतझड़ की
जिस दिन अपने जूड़े में उसने कुछ फूल सजाये थे

उसने कितने प्यार से अपना कुफ़्र दिया नज़राने में
हम अपने ईमान का सौदा जिससे करने आये थे

कैसे जाती मेरे बदन से बीते लम्हों की ख़ुश्बू
ख़्वाबों की उस बस्ती में कुछ फूल मेरे हम-साये थे

कैसा प्यारा मंज़र था जब देख के अपने साथी को
पेड़ पे बैठी इक चिड़िया ने अपने पर फैलाये थे

रुख़्सत के दिन भीगी आँखों उसका वो कहना हाए "क़तील"
तुम को लौट ही जाना था तो इस नगरी क्यूँ आये थे |

--- क़तील शिफ़ाई

Jan 30, 2014

जब लगें ज़ख्म...

जब लगें ज़ख्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये
है यही रस्म, तो यह रस्म उठा दी जाये

तिशनगी कुछ तो बुझे तिशना-लबान-ए-गम की
एक नदी दर्द की शहरों में बहा दी जाये

दिल का वोह हाल हुआ है गम-ए-दौरान के तले
जैसे एक लाश चट्टानों में दबा दी जाये

हमने इंसानों के दुख दर्द का हल ढूँढ़ लिया है
क्या बुरा है जो यह अफवाह उड़ा दी जाये

हमको गुजरी हुई सदियाँ तो न पह्चानेंगी
आने वाले किसी लम्हे को सदा दी जाये

फूल बन जाती हैं दहके हुए शोलों की लावें
शर्त यह है कि इन्हें खूब हवा दी जाये

कम नहीं नशे में जाड़े की गुलाबी रातें
और अगर तेरी जवानी भी मिला दी जाये

हमसे पूछो कि ग़ज़ल क्या है, ग़ज़ल का फ़न क्या
चंद लफ्जों में कोई आग छुपा दी जाये

--- जानिसार अख्तर