Mar 16, 2012

कॉलेज के रोमांस में

कॉलेज के रोमांस में ऐसा होता था/
डेस्क के पीछे बैठे-बैठे/
चुपके से दो हाथ सरकते
धीरे-धीरे पास आते...
और फिर एक अचानक पूरा हाथ पकड़ लेता था,
मुट्ठी में भर लेता था।
सूरज ने यों ही पकड़ा है चाँद का हाथ फ़लक में आज।।

---गुलज़ार...

Feb 19, 2012

मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये

मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये
जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये

हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन
लहू की शोबदाकारी[1] से बचिये

शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी
बड़े शहरों में बीमारी से बचिये

ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना
तक़ल्लुफ़ की रवादारी[2] से बचिये

बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं
बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये

शब्दार्थ:

↑ धोखा
↑ उदारता

--- निदा फ़ाज़ली

जब किसी से कोई गिला रखना

जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना

यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना

घर की तामीर चाहे जैसी हो
इस में रोने की जगह रखना

मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना

मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना

-निदा फ़ाज़ली

Feb 15, 2012

ज़िन्दगी जैसी तवक्को थी

ज़िन्दगी जैसी तवक्को थी नहीं कुछ कम है
हर घड़ी होता है अहसास कहीं कुछ कम है

घर की तामीर तसव्वुर ही में हो सकती है
अपने नक़्शे के मुताबिक यह ज़मीं कम है

बिछड़े लोगों से मुलाक़ात कभी फिर होगी
दिल में उम्मीद तो काफी है यकीं कुछ कम है

अब जिधर देखिये लगता है कि इस दुनिया में
कहीं कुछ ज्यादा कहीं कुछ कम है

आज भी है तेरी दूरी ही उदासी का सबब
ये अलग बात है कि पहली सी नहीं कुछ कम है |

---Shahriyar

Jan 27, 2012

थरथरी सी है आसमानों में

थरथरी सी है आसमानों में
जोर कुछ तो है नातवानों में

कितना खामोश है जहां लेकिन
इक सदा आ रही है कानों में

कोई सोचे तो फ़र्क कितना है
हुस्न और इश्क के फ़सानों में

मौत के भी उडे हैं अक्सर होश
ज़िन्दगी के शराबखानों में

जिन की तामीर इश्क करता है
कौन रहता है उन मकानों में

इन्ही तिनकों में देख ऐ बुलबुल
बिजलियां भी हैं आशियानों में

--- फ़िराक़ गोरखपुरी