छप्पर टपकता रहा मेरा फिर भी
मैंने बारिश की दुआ की
मेरे दादा को परदादा से
पिता को दादा से
और मुझे पिता से जो विरासत मिली
वही सौंपना चाहता था मैं अपने बेटे को
देना चाहता था थोड़ी-सी ज़मीन
और एक मुट्ठी बीज कि
सबकी भूख मिटाई जा सके
इसलिए मैंने यकीन किया
उनकी हर एक बात पर
भाषण में कहे जज्बात पर
मैं मुग्ध होकर देखता रहा
आसमान की तरफ उठे उनके सर
और उन्होंने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खींच ली
मुझे अन्नदाता होने का अभिमान था
यही अपराध था मेरा कि
मैं एक किसान था।
संदर्भ:कविता हिंदी के यथार्थवादी कवि गजानन माधव मुक्तिबोध से प्रेरित है। फिल्म "जॉली एलएलबी 3" में किसान की आत्मकथा की तरह सुनाई गई वह कविता हिंदी साहित्य के महान कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रेरणा से बनायी गई है। यह कविता किसान की भावनाओं और संघर्ष को गहरे और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है।
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