1. चला था ज़िक्र मेरी खामियों का महफ़िल में, जो लोग बहरे थे उनको सुनाई देने लगे - सलीम सिद्दीक़ी
2. रहता है सिर्फ एक ही कमरे में आदमी उसका गुरूर रहता है बाकी मकान में। - महशर अफरीदी
3. उसके फ़रोग़-ए-हुस्न से झमके है सब में नूर, शमा-ए-हरम हो या कि दिया सोमनाथ का -  मीर
4. अब्र था कि ख़ुशबू था, कुछ ज़रूर था एक शख़्स, हाथ भी नहीं आया, पास भी रहा एक शख़्स - ज़फ़र गोरखपुरी
5. ज़िक्र जब होगा मोहब्बत में तबाही का कहीं, याद हम आएँगे दुनिया को हवालों की तरह - सुदर्शन फ़ाक़िर
6. जिन की यादें हैं अभी दिल में निशानी की तरह, वो हमें भूल गए एक कहानी की तरह -वाली आसी
7. काबिल तो हैं  कामयाब़ भी हो जाएंगे, ये ज़ुगनू ही एक दिन, आफ़ताब हो ज़ाएंगे। - ~प्रह्लाद पाठक
8. हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया, हमपर किसी खुदा की इनायत नहीं रही। -  दुष्यंत कुमार
9. कम हैं सिपाही फ़ौज में सरदार बहुत हैं,  यह जंग हार जाने के आसार बहुत हैं  - अज्ञात
10. इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई,  हम न सोए रात थक कर सो गई - -राही मासूम रज़ा
11.  तुम्हें नींद नहीं आती तो कोई और वजह होगी, अब हर ऐब के लिए कसूरवार इश्क़ तो नहीं..! - अज्ञात
12. बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात, मेरी ग़रीब आँखों में स्कूल चुभ गया - मुनव्वर राना
13. अपने बच्चों को मैं बातों में लगा लेता हूं,  जब भी आवाज़ लगाता है खिलौने वाला -राशिद राही
14. आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए आदमी मज़दूर है राहें बनाने के लिए -हफ़ीज़ जालंधरी
15. कुचल कुचल के न फ़ुटपाथ को चलो इतना, यहाँ पे रात को मज़दूर ख़्वाब देखते हैं - अहमद सलमान
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