1 मई 2023

स्वर्ग से बिदाई

भाईयों और बहनों !
अब ये आलीशान इमारत
बन कर तैयार हो गयी है
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

अपनी भरपूर ताक़त लगाकर
आपने ज़मीन काटी
गहरी नींव डाली,
मिट्टी के नीचे दब भी गए
आपके कई साथी
मगर आपने हिम्मत से काम लिया
पत्थर और इरादे से,
संकल्प और लोहे से,
बालू, कल्पना और सीमेंट से,
ईंट दर ईंट आपने
अटूट बुलंदी की दीवार खड़ी की
छत ऐसी कि हाथ बढ़ाकर,
आसमान छुआ जा सके,
बादलों से बात की जा सके
खिड़कियाँ क्षितिज की थाह लेने वाली,
आँखों जैसी,
दरवाज़े, शानदार स्वागत !
अपने घुटनों और बाजुओं और
बरौनियों के बल पर
सैकड़ों साल टिकी रहने वाली
यह जीती-जागती ईमारत तैयार की


अब आपने हरा भरा लान
फूलों का बाग़ीचा
झरना और ताल भी बना दिया है
कमरे कमरे में गलीचा
और क़दम क़दम पर
रंग-बिरंगी रौशनी फैला दी है

गर्मी में ठंडक और ठंड में
गुनगुनी गर्मी का इंतज़ाम कर दिया है
संगीत और नृत्य के
साज़ सामान
सही जगह पर रख दिए हैं
अलगनियां प्यालियाँ
गिलास और बोतलें
सज़ा दी हैं


कम शब्दों में कहें तो
सुख सुविधा और आज़ादी का
एक सुरक्षित इलाका
एक झिलमिलाता स्वर्ग
रच दिया है

इस मेहनत
और इस लगन के लिए
आपका बहुत धन्यवाद
अब आप यहाँ से जा सकते हैं
यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ
जहाँ चाहे वहां जाएँ
फिलहाल उधर अँधेरे में
कटी ज़मीन पर
जो झोपड़े डाल रखें हैं
उन्हें भी खाली कर दें
फिर जहाँ चाहे वहां जाएँ.

आप आज़ाद हैं,
हमारी ज़िम्मेदारी ख़तम हुई
अब एक मिनट के लिए भी
आपका यहाँ ठहरना ठीक नहीं
महामहिम आने वाले हैं
विदेशी मेहमानों के साथ
आने वाली हैं अप्सराएँ
और अफ़सरान
पश्चिमी धुनों पर शुरू होने वाला है
उन्मादक नृत्य
जाम झलकने वाला है

भला यहाँ आपकी
क्या ज़रुरत हो सकती है
और वह आपको देखकर क्या सोचेंगे
गंदे कपडे,
धूल से सने शरीर
ठीक से बोलने और हाथ हिलाने
और सर झुकाने का भी शऊर नहीं
उनकी रुचि और उम्मीद को
कितना धक्का लगेगा
और हमारी कितनी तौहीन होगी

मान लिया कि इमारत की
ये शानदार बुलंदी हासिल करने में
आपने हड्डियाँ लगा दीं
खून पसीना एक कर दिया
लेकिन इसके एवज में
मज़दूरी दी जा चुकी है
अब आपको क्या चाहिए?


आप यहाँ ताल नहीं रहे हैं
आपके चेहरे के भाव भी बदल रहे हैं
शायद अपनी इस विशाल
और खूबसूरत रचना से
आपको मोह हो गया है
इसे छोड़कर जाने में दुःख हो रहा है
ऐसा हो सकता है
मगर इसका मतलब यह तो नहीं
कि आप जो कुछ भी अपने हाथ से
बनायेंगे,
वह सब आपका हो जायेगा
इस तरह तो ये सारी दुनिया
आपकी होती
फिर हम मालिक लोग कहाँ जाते

याद रखिये
मालिक मालिक होता है
मज़दूर मज़दूर
आपको काम करना है
हमे उसका फल भोगना है
आपको स्वर्ग बनाना है
हमे उसमें विहार करना है
अगर ऐसा सोचते हैं
कि आपको अपने काम का
पूरा फल मिलना चाहिए
तो हो सकता है

कि पिछले जन्म के आपके काम
अभावों के नरक में
ले जा रहे हों
विश्वास कीजिये
धर्म के सिवा कोई रास्ता नहीं
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

क्या आप यहाँ से जाना ही
नहीं चाहते ?
यहीं रहना चाहते हैं,
इस आलीशान इमारत में
इन गलीचों पर पांव रखना चाहते हैं
ओह ! ये तो लालच की हद है
सरासर अन्याय है
कानून और व्यवस्था पर
सीधा हमला है
दूसरों की मिलकियत पर
कब्ज़ा करने
और दुनिया को उलट-पुलट देने का
सबसे बुनियादी अपराध है
हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे

देखिये ये भाईचारे का मसला नहीं हैं
इंसानियत का भी नहीं
यह तो लड़ाई का
जीने या मरने का मसला है
हालाँकि हम ख़ून ख़राबा नहीं चाहते
हम अमन चैन
सुख-सुविधा पसंद करते हैं
लेकिन आप मजबूर करेंगे
तो हमे कानून का सहारा लेने पड़ेगा
पुलिस और ज़रुरत पड़ी तो
फ़ौज बुलानी होगी
हम कुचल देंगे
अपने हाथों गड़े
इस स्वर्ग में रहने की
आपकी इच्छा भी कुचल देंगे

वरना जाइए
टूटते जोड़ों, उजाड़ आँखों की
आँधियों, अंधेरों और सिसकियों की
मृत्यु गुलामी
और अभावों की अपनी
बे-दरोदीवार दुनिया में
चुपचाप
वापस
चले जाइए !

--- गोरख पाण्डेय

23 अप्रैल 2023

The Burning Of The Books

When the Regime
commanded the unlawful books to be burned,
teams of dull oxen hauled huge cartloads to the bonfires.

Then a banished writer, one of the best,
scanning the list of excommunicated texts,
became enraged: he'd been excluded!

He rushed to his desk, full of contemptuous wrath,
to write fierce letters to the morons in power —
Burn me! he wrote with his blazing pen —
Haven't I always reported the truth?
Now here you are, treating me like a liar!
Burn me!

---Bertolt Brecht
Translated by Michael R. Burch

14 अप्रैल 2023

ज़मींदार का रोपनी गीत

मुझे जन्म के ठीक बाद बताया गया
पूरे गाँव में कितनी औरतें हैं
कितनी झुकती है किसकी कमर
किसकी उँगली में है जादू
कौन कम मजूरी में ज़्यादा काम करती हैं
मुझे यह भी पता था कि अगले आषाढ़ में
किसकी लड़की धान लगाने वाली हो जाएगी
किसकी होगी शादी
किसे होगी क़र्ज़ की कितनी ज़रूरत
सब कुछ निर्भर था
धान के रक़बे पर
मुझे चावलों का स्वाद पता
उनका आकार पता
यहाँ तक कि जब वे थाली में जूठन की तरह छूट जाते थे
तब लगता था कि आसमान में तारे बिखरे हों
वे जो कनई में रोपती थीं
काला नमक और बासमती चावल
आधे पेट
नसीब नहीं हुई उन्हें
काला नमक और बासमती की ख़ुशबू
मुझे बचपन से ही मिली सिखावन
कैसे बुलाते हैं मजूर
सुबह कितने समय जाना है उन्हें हाँककर लाने
नहीं बैठना है उनकी चारपाई पर
क़ायम रखनी है शरीर और वाणी की अकड़
धान रोपती स्त्रियों को देखकर
मुझे सावन में गाए जाने वाले गीत नहीं
अपने पुरखों की मूँछें और गालियाँ याद आती हैं
जो मुझे सिखाई गईं
कैसे बुलाते हैं
धान रोपने वाली स्त्रियों को।

~ रमाशंकर सिंह

7 अप्रैल 2023

आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए

आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए

जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए

वो जान ही गए कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

हँसने का शौक़ हमको भी था आप की तरह
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हम से पूछिए

हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए

1 अप्रैल 2023

राजा ने आदेश दिया

राजा ने आदेश दिया : बोलना बन्द
क्योंकि लोग बोलते हैं तो राजा के विरुद्ध बोलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : लिखना बन्द
क्योंकि लोग लिखते हैं तो राजा के विरुद्ध लिखते हैं।

राजा ने आदेश दिया : चलना बन्द
क्योंकि लोग चलते हैं तो राजा के विरुद्ध चलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : हँसना बन्द
क्योंकि लोग हँसते हैं तो राजा के विरुद्ध हँसते हैं।

राजा ने आदेश दिया : होना बन्द
क्योंकि लोग होते हैं तो राजा के विरुद्ध होते हैं।

इस तरह राजा के आदेशों ने लोगों को
उनकी छोटी-छोटी क्रियाओं का महत्त्व बताया।

24 मार्च 2023

स्वर्ग की सराय

लाखों मारे गए, जबकि हर कोई निर्दोष था।
मैं अपने कमरे तक महदूद था। 

राष्ट्राध्यक्ष ने युद्ध का ऐसा बखान किया
जैसे हो कोई जादुई प्रेम-रस।
मेरी आँखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गई थीं।

आईने में मेरा चेहरा ऐसा लगा मुझे
गोया मैं कोई डाक टिकट हूँ
जिसे डाकख़ाने ने दो बार रद्द कर दिया हो।
मैं ठीक से रहा, लेकिन ज़िंदगी भयानक थी।
उस दिन कितने सारे सैनिक थे
और शरणार्थियों की अपार भीड़ थी सड़क पर।

ज़ाहिर है, वे सब मिटा दिए गए
उँगली की एक हरकत से।
इतिहास ने अपने मुँह के ख़ून लगे कोरों को धीरे से चाट लिया।

बिके हुए चैनल पर, एक आदमी और एक औरत
कामातुर चुम्बनों में लीन थे
और एक दूसरे के कपडे फाड़े जा रहे थे
जबकि मैं चुपचाप देखता जा रहा था
आवाज़ बंद कर—कमरे के अँधेरे में
बस स्क्रीन रह-रह चमक उठती थी
जहाँ बहुत ज़्यादा था सुर्ख़ लाल रंग
या ज़रूरत से ज़्यादा रंग गुलाबी।

- चार्ल्स सिमिक
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज

18 मार्च 2023

जवाब

जो कोई सवाल पूछता है उसे

रिवॉल्वर की पूरी छह गोली मारी जाती हैंः

पहली उसके दुस्साहस के लिए

दूसरी व्यक्तिगत राय रखने के लिए

तीसरी उसकी मौत के लिए

चौथी मौत की पुष्टि के लिए

पांचवीं अपनी घृणा के लिए

छठवीं राज्य के प्रति

निष्ठा के लिए 

---कुमार अंबुज