1 अप्रैल 2025

आराम करो

एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।

आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।

यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।

मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।

अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।

मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।

- गोपालप्रसाद व्यास

25 मार्च 2025

15 बेहतरीन शेर - 14 !!!

1-तमाम उम्र ख़ुशी की तलाश में गुज़री, तमाम उम्र तरसते रहे ख़ुशी के लिए - अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

2- पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है, जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है - मीर तक़ी मीर

3- नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं, ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा न दे- बशीर बद्र

4-जो लोग मौत को ज़ालिम क़रार देते हैं, ख़ुदा मिलाए उन्हें ज़िंदगी के मारों से - नज़ीर सिद्दीक़ी

5- चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है, हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम - सरशार सैलानी

6- ये कोई क़त्ल थोड़ी है कि बात आई-गई हो, मैं और अपना नज़र-अंदाज़ होना भूल जाऊँ? - जव्वाद शेख़

7- अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल, हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया - जिगर मुरादाबादी

8- मैंने गिनती सिखाई थी जिसको, वो पहाड़ा पढ़ा रहा है मुझे। ~ फ़हमी बदायूँनी

9- मिले खाक में नौजवां कैसे कैसे, ज़मीं खा गई आसमां कैसे कैसे - प्रेम धवन

10- उस की बेटी ने उठा रक्खी है दुनिया सिर पर , ख़ैरियत गुज़री कि अंगूर के बेटा न हुआ...!!! - अकबर इलाहाबादी

11- साहिल के सुकूँ से किसे इंकार है लेकिन, तूफ़ान से लड़ने में मज़ा और ही कुछ है - आल-ए-अहमद सुरूर

12- लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब को, मर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं - अकबर इलाहाबादी

13-देख ज़िंदाँ से परे रंग-ए-चमन जोश-ए-बहार, रक़्स करना है तो फिर पाँव की ज़ंजीर न देख - मजरूह सुल्तानपुरी

14- इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के - मिर्ज़ा ग़ालिब

15- सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें, आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत - बशीर बद्र

20 मार्च 2025

The Language School

I

The charges might as well be read out
in Chinese, Bantu or Dravidian

or not be read at all – they drift, they loop
like light that cannot turn a corner

or soundwaves that bend in and out
of some fidelity to the original. To whom

do they cling? Another dumbstruck boy
who does not speak the English they speak

or even hear it – all nape and haircut, sat
folded up in a Jesuit clasp

with hands in his armpits, perusing
with a sort of thick-lipped composure

the platypus-nose of his left trainer, as if it had
evolved out of kilter with the rest.

II

No is the blank, the zero, the lumpy zilch,
the bijou fuck-all the question solicits

and wishes-for: the litany, the plural of no.
It is the answer the question anticipates

before asking itself, surrounding no.
Do you have anything to say in your own defence?

The hiatus, the answer-in-minus scans
the many milliseconds of a second

that hang like a threat, scaring it
way up into the corner of articulation

where it ceases to exist.
Without fuss, or noise, or anything,

without changing expression or looking up
the only yes there is nods to a no.

--- Tim Liardet

10 मार्च 2025

कपास के फूल

वे देवता को पसंद नहीं
लेकिन आश्चर्य इस पर नहीं
आश्चर्य तो ये है कि कविगण भी
लिखते नहीं कविता कपास के फूल पर
प्रेमीजन भेंट में देते नहीं उसे
कभी एक-दूसरे को
जबकि वह है कि नंगा होने से
बचाता है सबको
और सुतर गया मौसम
तो भूख और प्यास से भी
बचाता है वह

ईश्वर को तो ठंड लगती नहीं
वैसे नंगा होना भी
वहां उतना ही सहज है
उतना ही दिव्य
इसलिए इतना यह है कि ठंड के विरुद्ध
आदमी ने ही खोजा होगा
पृथ्वी पर पहला कपास का फूल

पर पहला झिंगोला
कब पहना उसने
पहले तागे से पहली सुई की
कब हुई थी भेंट
यह भूल गई है हमारी भाषा
जैसे अपनी कमीज़ पहनकर
भूल जाते हैं हम
अपने दर्ज़ी का नाम

पर क्या कभी सोचा है आपने
वह जो आपकी कमीज़ है
किसी खेत में खिला
एक कपास का फूल है
जिसे पहन रखा है आपने

जब फ़ुर्सत मिले
तो कृपया एक बार इस पर सोचें ज़रूर
कि इस पूरी कहानी में सूत से सुई तक
सब कुछ है
पर वह कहां गया
जो इसका शीर्षक था

--- केदारनाथ सिंह
कविता संग्रह: सृष्टि पर पहरा
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन


1 मार्च 2025

For You Who Are About to Give Up

Think of what you'll miss;
the voices of children;
apples, dark wine on a table;
the smell of the spring before you're ready.
Stay.
It doesn't get better, it gets truer.
Winter. Albums. Madness.
Your grief in you like a cello
in its locked, black case.

The lemon-scent of someone who has gone.
Breathe.
Just breathe and be here.
In my darkest night, in the storm before morning,
I heard a voice
that told me it was listening.
Friend, I would sit with you
and listen.
As long as you have breath
you could be song.
As long as you have breath you could be song.

--- Joseph Fasano

22 फ़रवरी 2025

डोरेमोन थीम सॉन्ग (Doraemon Theme Song) - हिंदी

ज़िंदगी संवार दूं
इक नई बहार दूं
दुनिया ही बदल दूं मैं तो
प्यारा सा चमत्कार हूं
मैं किसी का सपना हूं
जो आज बन चुका हूं सच
अब ये मेरा सपना है कि
सब के सपने सच मैं करूं
आसमान को छू लूं
तितली बन उड़ूं
(हां... हेलीकॉप्टर)
अन अन अन...

मैं हूं इक उड़ता रोबो
डोरेमोन
अन अन अन...

मैं हूं इक उड़ता रोबो
डोरेमोन

14 फ़रवरी 2025

परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष

परीक्षाओं में असफल हुए पुरुष
अक्सर प्रेम में भी असफल हो जाते हैं

विवाह की पहली रस्म
पुरुष की आय पूछना होती है
दूसरी पुरुष की आयु
तीसरी पुरुष का आवास
और चौथी, पुरुष का गोत्र

परीक्षाओं में असफल पुरुष
अक्सर गँवा बैठते हैं
आय, आयु, और आवास
परीक्षाएँ देते-देते

असफल पुरुष का
कोई गोत्र नहीं होता
न ही कोई प्रेम कहानी
असफलता उसका अस्तित्व होती है

परीक्षा उसका जीवन
शर्म, उसके हिस्से आये ढाई अक्षर

- अभिषेक शुक्ला