7 फ़रवरी 2020

दुनिया भर में डर

जो लोग काम पर लगे हैं
वे भयभीत हैं
कि उनकी नौकरी छूट जायेगी

 जो काम पर नहीं लगे
 वे भयभीत हैं
 कि उनको कभी काम नहीं मिलेगा

जिन्हें चिंता नहीं है
भूख की वे भयभीत हैं
खाने को लेकर

 लोकतंत्र भयभीत है
 याद दिलाये जाने से
 और भाषा भयभीत है

बोले जाने को लेकर आम नागरिक डरते हैं सेना से,
सेना डरती है हथियारों की कमी से
हथियार डरते हैं कि युद्धों की कमी है

यह भय का समय है
स्त्रियाँ डरती हैं हिंसक पुरुषों से
और पुरुष डरते हैं निर्भय स्त्रियों से

चोरों का डर,
पुलिस का डर
डर बिना ताले के दरवाज़ों का,

घड़ियों के बिना समय का बिना टेलीविज़न बच्चों का,
डर नींद की गोली के बिना रात का
और दिन जगने वाली गोली के बिना भीड़ का भय,

एकांत का भय
भय कि क्या था पहले
और क्या हो सकता है
मरने का भय,
जीने का भय.

 --- एदुआर्दो_गालेआनो

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