14 नवंबर 2022

यह बच्चा किसका बच्चा है

यह बच्चा कैसा बच्चा है

यह बच्चा काला-काला-सा
यह काला-सा, मटियाला-सा
यह बच्चा भूखा-भूखा-सा
यह बच्चा सूखा-सूखा-सा
यह बच्चा किसका बच्चा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है
जो रेत पर तन्हा बैठा है
ना इसके पेट में रोटी है
ना इसके तन पर कपड़ा है
ना इसके सर पर टोपी है
ना इसके पैर में जूता है
ना इसके पास खिलौना है
कोई भालू है कोई घोड़ा है
ना इसका जी बहलाने को
कोई लोरी है कोई झूला है
ना इसकी जेब में धेला है
ना इसके हाथ में पैसा है
ना इसके अम्मी-अब्बू हैं
ना इसकी आपा-खाला है
यह सारे जग में तन्हा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है

[2]

यह सहरा कैसा सहरा है
ना इस सहरा में बादल है
ना इस सहरा में बरखा है
ना इस सहरा में बाली है
ना इस सहरा में खोशा (अनाज की बाली) है
ना इस सहरा में सब्ज़ा है
ना इस सहरा में साया है

यह सहरा भूख का सहरा है
यह सहरा मौत का सहरा है

[3]

यह बच्चा कैसे बैठा है
यह बच्चा कब से बैठा है
यह बच्चा क्या कुछ पूछता है
यह बच्चा क्या कुछ कहता है
यह दुनिया कैसी दुनिया है
यह दुनिया किसकी दुनिया है

[4]

इस दुनिया के कुछ टुकड़ों में
कहीं फूल खिले कहीं सब्ज़ा है
कहीं बादल घिर-घिर आते हैं
कहीं चश्मा है कहीं दरिया है
कहीं ऊंचे महल अटरिया हैं
कहीं महफ़िल है, कहीं मेला है
कहीं कपड़ों के बाज़ार सजे
यह रेशम है, यह दीबा (बारीक रेशमी कपड़ा) है
कहीं गल्ले के अम्बार लगे
सब गेहूं धान मुहय्या है
कहीं दौलत के संदूक़ भरे
हां तांबा, सोना, रूपा है
तुम जो मांगो सो हाज़िर है
तुम जो चाहो सो मिलता है
इस भूख के दुख की दुनिया में
यह कैसा सुख का सपना है?
वो किस धरती के टुकड़े हैं?
यह किस दुनिया का हिस्सा है?

[5]

हम जिस आदम के बेटे हैं
यह उस आदम का बेटा है
यह आदम एक ही आदम है
वह गोरा है या काला है
यह धरती एक ही धरती है
यह दुनिया एक ही दुनिया है
सब इक दाता के बंदे हैं
सब बंदों का इक दाता है
कुछ पूरब-पच्छिम फ़र्क़ नहीं
इस धरती पर हक़ सबका है

[6]

यह तन्हा बच्चा बेचारा
यह बच्चा जो यहां बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूख मिटे
(क्या मुश्किल है, हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हां दूध यहां बहुतेरा है)
इस बच्चे का कोई तन ढांके
(क्या कपड़ों का यहां तोड़ा (अभाव) है?)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इंसान जो अब तक ज़िंदा है)
फिर देखिए कैसा बच्चा है
यह कितना प्यारा बच्चा है

[7]

इस जग में सब कुछ रब का है
जो रब का है, वह सबका है
सब अपने हैं कोई ग़ैर नहीं
हर चीज़ में सबका साझा है
जो बढ़ता है, जो उगता है
वह दाना है, या मेवा है
जो कपड़ा है, जो कम्बल है
जो चांदी है, जो सोना है
वह सारा है इस बच्चे का
जो तेरा है, जो मेरा है

यह बच्चा किसका बच्चा है?
यह बच्चा सबका बच्चा है

--- इब्ने इंशा

9 नवंबर 2022

Thinking of you

Thinking of you
is a beautiful thing
a hopeful thing
a thing like hearing
the most beautiful song
from the world's most beautiful voice...
But hope no longer is enough for me
I no longer want to hear the song—
I want to sing it...

तुम्हें याद करना
कितना खूबसूरत और पुरउम्मीद है
जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत आवाज़ से
सबसे खूबसूरत गीत सुनना
पर अब उम्मीद काफी नहीं है मेरे लिए
मैं अब गाने सुनना नहीं चाहता
मैं गाना चाहता हूँ।

--- नाज़िम हिकमत
अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

4 नवंबर 2022

परसाई जी की बात

आज से ठीक चौवन बरस पहले
जबलपुर में,
परसाई जी के पीछे लगभग भागते हुए
मैंने उन्हें सुनाई अपनी कविता
और पूछा “क्या इस पर इनाम मिल सकता है”
“अच्छा कविता पर सज़ा भी मिल सकती है”
सुनकर मैं सन्न रह गया
क्योंकि उसी शाम, विद्यार्थियों की कविता प्रतियोगिता में
मैं हिस्सा लेना चाहता था
और परसाई जी उसकी अध्यक्षता करने वाले थे।
आज, जब सुन रहा हूँ, वाह, वाह
मित्र लोग ले रहे हैं हाथों-हाथ
सज़ा कैसी कोई सख़्त बात तक नहीं कहता
तो शक होने लगता है,
परसाईजी की बात पर, नहीं—
अपनी कविताओं पर।


स्रोत : पुस्तक : सुनो चारुशीला (पृष्ठ 82) 

31 अक्तूबर 2022

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा।

एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा

पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।

जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फ़ुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा—
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।

--- विनोद कुमार शुक्ल

25 अक्तूबर 2022

Stationery

The moon did not become the sun.
It just fell on the desert
in great sheets, reams
of silver handmade by you.

The night is your cottage industry now,
the day is your brisk emporium.

The world is full of paper.
Write to me.

--- Agha Shahid Ali
(The Half-Inch Himalayas, 1987)

19 अक्तूबर 2022

लाल ज़री - Varieties of Ghazal: Poems of the Middle East

लाल ज़री
अरबी लोगों में कहावत थी कि
जब कोई अजनबी दस्तक दे तुम्हारे दरवाज़े पर,
तो उसे तीन दिनों तक खिलाओ-पिलाओ…
यह पूछने से पहले कि वह कौन है,
कहाँ से आया है,
कहाँ को जाएगा।
इस तरह, उसके पास होगी पर्याप्त ताक़त
जवाब देने के लिए।
या फिर, तब तक तुम बन जाओगे
इतने अच्छे मित्र
कि तुम परवाह नहीं करोगे।

चलो फिर लौट जाएँ वहीं।
चावल? चिलगोज़े?
यहाँ, लो यह लाल ज़री वाला तकिया।
मेरा बच्चा पानी पिला देगा
तुम्हारे घोड़े को।

नहीं, मैं व्यस्त नहीं था जब तुम आए!
मैं व्यस्त होने की तैयारी में भी नहीं था।
यही आडंबर ओढ़ लेते हैं सब
यह दिखाने के लिए उनका कोई उद्देश्य है
इस दुनिया में।

मैं ठुकराता हूँ सभी दावे।
तुम्हारी थाली प्रतीक्षारत है।
चलो हम ताज़ा पुदीना घोलते हैं
तुम्हारी चाय में।

--- नाओमी शिहाब नाइ
‘वैराइटीज़ ऑफ़ ग़ज़ाले : पोएम्ज़ ऑफ़ द मिडिल ईस्ट’ से
अँग्रेज़ी से अनुवाद : पल्लवी व्यास

14 अक्तूबर 2022

अजीब वक्त है

अजीब वक्त है -
बिना लड़े ही एक देश- का देश
स्वीकार करता चला जाता
अपनी ही तुच्छताओं की अधीनता !
कुछ तो फर्क बचता
धर्मयुद्ध और कीट युद्ध में -
कोई तो हार जीत के नियमों में
स्वाभिमान के अर्थ को फिर से ईजाद करता

--- कुंवर नारायण

7 अक्तूबर 2022

All Your Horses

Say when rain
cannot make
you more wet
or a certain
thought can’t
deepen and yet
you think it again:
you have lost
count. A larger
amount is
no longer a
larger amount.
There has been
a collapse; perhaps
in the night.
Like a rupture
in water (which
can’t rupture
of course). All
your horses
broken out with
all your horses.

--- Kay Ryan

2 अक्तूबर 2022

दुख-सुख

'दुख-सुख तो
आते-जाते रहेंगे
सब कुछ पार्थिव है यहाँ
लेकिन मुलाक़ातें नहीं हैं
पार्थिव
इनकी ताज़गी
रहेगी यहाँ
हवा में!
इनसे बनती हैं नई जगहें
एक बार और मिलने के बाद भी
एक बार और मिलने की इच्छा
पृथ्वी पर कभी ख़त्म नहीं होगी'

25 सितंबर 2022

Traveling through the Dark

Traveling through the dark I found a deer
dead on the edge of the Wilson River road.
It is usually best to roll them into the canyon:
that road is narrow; to swerve might make more dead.

By glow of the tail-light I stumbled back of the car
and stood by the heap, a doe, a recent killing;
she had stiffened already, almost cold.
I dragged her off; she was large in the belly.

My fingers touching her side brought me the reason—
her side was warm; her fawn lay there waiting,
alive, still, never to be born.
Beside that mountain road I hesitated.

The car aimed ahead its lowered parking lights;
under the hood purred the steady engine.
I stood in the glare of the warm exhaust turning red;
around our group I could hear the wilderness listen.

I thought hard for us all—my only swerving—,
then pushed her over the edge into the river.

--- William Stafford

20 सितंबर 2022

ईश्वर अब अधिक है

ईश्वर अब अधिक है
सर्वत्र अधिक है
निराकार साकार अधिक
हरेक आदमी के पास बहुत अधिक है।
बहुत बँटने के बाद
बचा हुआ बहुत है।
अलग-अलग लोगों के पास
अलग-अलग अधिक बाक़ी है।
इस अधिकता में
मैं अपने ख़ाली झोले को
और ख़ाली करने के लिए
भय से झटकारता हूँ
जैसे कुछ निराकार झर जाता है।

--- विनोद कुमार शुक्ल

15 सितंबर 2022

Sindabad Jahaji Title Song

डोले रे, डोले डोले डोले रे
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी

नीला समुंदर है आकाश प्याजी, 
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी ओ मेरा जहाजी
डूबे न डूबे ओ मेरा जहाजी
डोले रे, डोले डोले डोले रे
डोले रे, डोले डोले डोले रे

पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
पानी की तह में खज़ाना छुपाके , 
नीला समुंदर है गोता लगाके
शबनम के हीरे हैं, हीरे के झूले
दिन रात चक्कर लगती हैं चीलें

लहर लहर चलती कहानी
अगर मगर डोले नैय्या, भंवर भंवर जाये रे पानी
डोले रे, डोले डोले डोले रे

---ग़ुलज़ार

14 सितंबर 2022

September

Then the flowers became very wild

because it was early September

and they had nothing to lose

they tossed their colors every

which way over the garden wall

splattering the lawn shoving their

wild orange red rain-disheveled faces

into my window without shame

--- Grace Paley, from Begin Again: Collected Poems (Farrar, Straus & Giroux, 2001)

10 सितंबर 2022

As much as you can

And if you can't shape your life the way you want,
at least try as much as you can
not to degrade it
by too much contact with the world,
by too much activity and talk.

Try not to degrade it by dragging it along,
taking it around and exposing it so often
to the daily silliness
of social events and parties,
until it comes to seem a boring hanger-on.

--- Constantine P. Cavafy

5 सितंबर 2022

रि‍सर्च स्‍कॉलरों का गीत

खेतिहर रिसर्चर

गोभी के सब फूल कट गए
भिंडी और बैंगन बोना है
आमों के मौसम में अबकी
फिर मचान पर सोना है
थीसिस लिखनी थी कॉर्बन पर, गाइड गया जापान
केमिस्ट्री का रिसर्च स्कॉलर, हलक़ में अटके प्राण

कुक रिसर्चर

एक टीन गुझिया बनवाया
तीज हो गया पार
जितिया पर अब फेना घोलो
कैसा अत्याचार
हिस्ट्री में पीएच.डी. ब्याह आई.ए.एस. से करना था
गाइड के कीचन में देखा ये सुंदर सपना था

छोटे शहर का रिसर्चर

तीन बजे भोर से लगा है लाइन में
आठ बजे तत्काल कहाँ
फ़िज़िक्स के रिसर्चर की
कहाँ, है मुक्ति कहाँ?
गाइड का दामाद आ गया, टीसन से लाना है
बेटी का भी इस असाढ़ में गौना करवाना है

जुगाड़ू रिसर्चर

मेरिट का भंडार पड़ा है
माल रहे भरपूर
पचास हज़ार में थीसिस लिखाओ
माथा रक्खो कूल
राहर ख़ूब हुआ अबकी सोयाबीन भी लगवाएँगे
ए जी, याद दिलाना कॉलेज तनखा लाने जाएँगे

धोखा खाया हुआ रिसर्चर

चार साल तक झोला ढोए
गाइड निकला धोखेबाज़
हमसे पॉलीटिक्स कराके
अपना किया विभाग पर राज
नहीं परमानेंट चलो एडहॉक सेट हो लेंगे
वरना उस चूतिये के नाम पर ब्लाउज़ पीस बेचेंगे

कॉमरेड रिसर्चर

कम्युनिस्ट समझ कर इसके अंडर में आया था
साला संघी निकला सबको धोखे में डाला था
नवरात्रि का व्रत, माथे पर तारापीठ की भस्म
विचारधारा का प्रश्न है साथी, अब पीएच.डी. बंद

शोषित रिसर्चर

एम.ए. से ही नंबर देता, स्माइल पास करता था
पीएच.डी. में आकर जाना क्यों इतना मरता था
डिग्री के चक्कर में चुप हूँ, मुफ़्त एक बदनामी
रिटायरमेंट के समय गाइड को चढ़ गई नई जवानी
बच्चे हैं यू.एस. में इसके, बीवी है गांधारी
रेप केस की धमकी इसको दे-देकर मैं हारी

गाइड-प्रेमी रिसर्चर

धंय-धंय मेरे गाइड का फिर से हुआ प्रोमोशन
किंगफ़िशर घटिया है अबकी फ़्रेंच वाइन देंगे हम
सर ने बोला सोमवार सो इंटरव्यू देना है
टॉप सीक्रेट मित्र यहाँ पर मेरा ही होना है
सर ख़ुद हैं पैनल में प्रिंसिपल से कर ली है सेटिंग
देखें कैसे रोड़ा अटकाती है सेकिंड डिविज़िन

भाग्यहीन रिसर्चर

पहला गाइड कामधेनु था पर हो गया सस्पेंड
दूजे ने फिर दुनिया छोड़ी, हुआ था एक्सीडेंट
अब तो बंजर धरती जैसी गाइड संग रोना है
हाय शनि महाराज मेरे साथ और क्या होना है
कॉलेज की उम्मीद नहीं अब बी.एड. करना होगा
नई कविता के ज्ञाता को कारक रटना होगा

--- शुभम श्री

बाबा नागार्जुन की 'पुरानी जूतियों का कोरस' से प्रेरित होकर

31 अगस्त 2022

The Envoy of Mr. Cogito

Go where those others went to the dark boundary
for the golden fleece of nothingness your last prize

go upright among those who are on their knees
among those with their backs turned and those toppled in the dust

you were saved not in order to live
you have little time you must give testimony

be courageous when the mind deceives you be courageous
in the final account only this is important

and let your helpless Anger be like the sea
whenever you hear the voice of the insulted and beaten

let your sister Scorn not leave you
for the informers executioners cowards—they will win

they will go to your funeral and with relief will throw a lump of earth
the woodborer will write your smoothed-over biography

and do not forgive truly it is not in your power
to forgive in the name of those betrayed at dawn

beware however of unnecessary pride
keep looking at your clown’s face in the mirror
repeat: I was called—weren’t there better ones than I

beware of dryness of heart love the morning spring
the bird with an unknown name the winter oak

light on a wall the splendour of the sky
they don’t need your warm breath
they are there to say: no one will console you

be vigilant—when the light on the mountains gives the sign—arise and go
as long as blood turns in the breast your dark star

repeat old incantations of humanity fables and legends
because this is how you will attain the good you will not attain
repeat great words repeat them stubbornly
like those crossing the desert who perished in the sand

and they will reward you with what they have at hand
with the whip of laughter with murder on a garbage heap

go because only in this way will you be admitted to the company of cold skulls
to the company of your ancestors: Gilgamesh Hector Roland
the defenders of the kingdom without limit and the city of ashes

Be faithful Go

--- Zbigniew Herbert ( Translated by Bogdana Carpenter)

26 अगस्त 2022

To Kurdish brother

The mountains are crying, drenched with blood,
Shot down stars are falling:
On the patches of valley, are wounded and buried,
Hungry chauvinism rushes in.
Oh, kurd, save your bullets,
But don't spare the life of murderers.
On bastards of tyranny and death
Like bloody whirlwind fall down, like a tempest.
Only let the bullets talk to them:
Not just for your possession did they come,
To take your name and language they came.
And leave your son to be an orphan.
With the oppressor you can not live in consent
He will "rule" and you will pull the cart.
They get fat from the blood of people they resent.
Chauvinism is our worst enemy by far.
He betrothed treachery with shame,
He will do anything, so you will submit to him.
Oh, kurd, save your bullets-
Without them you won't save your kin,
Do not put to sleep the power of hate,
Then, as a motto, you will take the kindness,
As soon as will fall into a gaping grave
The last chauvinist on the planet Earth.

21 अगस्त 2022

इब्नबतूता पहन के जूता

इब्नबतूता पहन के जूता
निकल पड़े तूफान में
थोड़ी हवा नाक में घुस गई 
घुस गई थोड़ी कान में

कभी नाक को, 
कभी कान को मलते इब्नबतूता 
इसी बीच में निकल पड़ा 
उनके पैरों का जूता 

उड़ते उड़ते जूता उनका 
जा पहुँचा जापान में 
इब्नबतूता खड़े रह गये 
मोची की दुकान में 

15 अगस्त 2022

मैं देशहित में क्या सोचता हूं

मैं एक साधारण सा आदमी हूं
व्यवसाय करता हूं
रोज अपने फ्लैट से निकलता हूं
और देर रात फ्लैट में घुसता हूं
बाहर पहरा बिठाए रखता हूं

टीवी देखता हुआ सोचता हूं
कश्मीर में सभी भारतीय क्यों नहीं घुस सकते ?
अच्छा हुआ सरकार ने 370 हटा दिया
और ये आदिवासी इलाके?
ये क्या बाहरी-भीतरी लगाए रखते हैं?
वहां भी सभी भारतीय क्यों बस नहीं सकते?

मैं तो दलितों को जाहिल
और आदिवासियों को जानवर समझता हूं
मुस्लिम और ईसाई को देशद्रोही
और इस देश से इन सबकी सफ़ाई चाहता हूं

मैंने कभी जीवन में
गांव नहीं देखे, बस्ती नहीं देखी
झुग्गी नहीं देखे, जंगल नहीं देखे
मैं किसी को भी ठीक से जानता नहीं
मुठ्ठी भर लोगों को जानता-पहचानता हूं
जिन्हें मैं भारतीय मानता हूं
और चाहता हूं
ये भारतीय हर जगह घुसें
और सारे संसाधनों पर कब्ज़ा करें

देशहित में यही सोचता हुआ
अपनी फ्लैट में घुसता हूं
बाहर पहरा बिठाए रखता हूं
मेरे सुकून और स्वतंत्रता में दख़ल देने
यहां कोई घुस न पाए
इस बात का पूरा ध्यान रखता हूं ।।

--- जसिंता केरकेट्टा

4 अगस्त 2022

बीस घराने

बीस घराने हैं आबाद
बीस घराने हैं आबाद
और करोड़ों हैं नाशाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

आज भी हम पर जारी है
काली सदियों की बेदाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

बीस रूपय्या मन आटा
इस पर भी है सन्नाटा
गौहर, सहगल, आदमजी
बने हैं बिरला और टाटा
मुल्क के दुश्मन कहलाते हैं
जब हम करते हैं फ़रियाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

लाइसेंसों का मौसम है
कंवेंशन को क्या ग़म है
आज हुकूमत के दर पर
हर शाही का सर ख़म है
दर्से ख़ुदी देने वालों को
भूल गई इक़बाल की याद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

आज हुई गुंडागर्दी
चुप हैं सिपाही बावर्दी
शम्मे नवाये अहले सुख़न
काले बाग़ ने गुल कर दी
अहले क़फ़स की कैद बढ़ाकर
कम कर ली अपनी मीयाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

ये मुश्ताके इसतम्बूल
क्या खोलूं मैं इनका पोल
बजता रहेगा महलों में
कब तक ये बेहंगम ढोल
सारे अरब नाराज़ हुए हैं
सीटो और सेंटों हैं शाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

गली गली में जंग हुई
ख़िल्क़त देख के दंग हुई
अहले नज़र की हर बस्ती
जेहल के हाथों तंग हुई
वो दस्तूर हमें बख़्शा है
नफ़रत है जिसकी बुनियाद
सद्र अय्यूब ज़िन्दाबाद

- हबीब जालिब

1 अगस्त 2022

सुनो कहानी (Suno Kahani - DD- Serial Title Song)

न कोई राजा न कोई रानी ..

दिल कहता है दिल की जुबानी...

सुनो कहानी ...सुनो...

सुनो कहानी ....सुनो...

सुनो कहानी ....

थोडा सा आकाश नीला है ..

थोड़ी सी माटी गीली है ...

जीते जागते इंसानों की ...

सोते हुयी टोली है ..

बहका बहका आँख का पानी..

सुनो कहानी ...सुनो..

28 जुलाई 2022

Tap tap topi topi tap..

टप टप टोपी टोपी टप ..

टप टप टोपी टोपी टप ..
टप टप टोपी टोपी टोपे में जो डूबे
फर फर फरमाइशी देखे हैं अजूबे
उलट पलट गलत सलत ठाईं
झुबलि किधर जाईं

टप टप टोपी टोपी टप ..
टप टप टोपी टोपी टप ..

कुत्ते बिल्ली बिल्लियों की मूछों की फलासी
ताज़ा ताज़ा दो दो प्याज़ा रिंग शिंग बाशी
टुपुर टुपुर नाचे नूपुर पायी
झुबलि किधर जाईं

टप टप टोपी टोपी टप ..
टप टप टोपी टोपी टप ..

--- गुलज़ार

18 जुलाई 2022

Canadians

Here are
our signatures:
geese, fish, eskimo
faces, girl-guide
cookies, ink-drawings
tree-plantings, summer
storms and winter
emanations.

We look
like a geography but
just scratch us
and we bleed
history, are full
of modest misery
are sensitive
to double-talk double-take
(and double-cross)
in a country
too wide
to be single in.

Are we real or
did someone invent
us, was it Henry
Hudson Etienne Brûlé
or a carnival
of village girls?
Was it
a flock of nuns
a pity of indians
a gravyboat of
fur-traders, professional
explorers or those
amateurs map-makers
our Fathers
of Confederation?

Wherever you are
Charles Tupper Alexander
Galt D'arcy McGee George
Cartier Ambrose Shea
Henry Crout Father
Ragueneau Lork Selkirk
and John A: however
far into northness you have walked--
when we call you
turn around and
don't look so surprised.

--- Miriam Waddington, (Winnipeg, Canada)

14 जुलाई 2022

Poem from "Useless Knowledge"

You who are passing by
well dressed in all your muscles
clothing which suits you well
or badly 
or just about 
you who are passing by 
full of tumultuous life within your arteries
glued to your skeleton 
as you walk with a sprightly step athletic awkward
laughing sullenly, you are all so handsome
so commonplace
so commonplacely like everyone else
so handsome in your commonplaceness
diverse
with this excess of life which keeps you
from feeling your bust following your leg
your hand raised to your hat
your hand upon your heart
your kneecap rolling softly in your knee
how can we forgive you for being alive…

You who are passing by
well dressed in all your muscles
how can we forgive you
that all are dead
You are walking by and drinking in cafés
you are happy she loves you
or moody worried about money
how how
will you ever be forgiven
by those who died
so that you may walk by
dressed in all your muscles
so that you may drink in cafés
be younger every spring

I beg you
do something
learn a dance step
something that gives you the right
to be dressed in your skin in your body hair
learn to walk and to laugh
because it would be too senseless
after all
for so many to have died
while you live
doing nothing with your life.

10 जुलाई 2022

घुघुआ मन्ना (लोरी)

1)
घुघुआ मन्ना 
खेलत खेलत एक कौड़ी पउलीं
उ कौड़िया हम गंगा बहउलीं
गंगा मइया बालू दिहलीं
उ बलुइया हम भड़भुजवा के दिहलीं
भड़भुजवा दिहलस भूजा
ऊ भुजवा घसकरवा के दिहलीं 
घसकरवा दिहलस घास
ऊ घसिया हम गइया के दिहलीं
गइया दिहलस दूध 
ऊ दुधवा हम राजा के दिहलीं
राजा दिहलें घोड़ा
ओही घोड़ा आइलां
ओही घोड़ा जाईलां
तबला बजाइलां
तबला में पइसा
लाल बगइचा
पुरान भीत गिरेले
नई भीत उठेले
बुढ़िया माई सम्हरले रहिहा ।
घुघुआ मन्ना

2)
घुघुआ मन्ना
उपजे धनमा
कान दुनू सोनमा
रे बौआ तू कथी के
एली के की बेली के
माय बाप चमेली के
पितिया पितम्बर के
फूफू ... कठगूलर के
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

3)
घुघुआ झूल
कनेर के फूल
बाबू के जूठ कूठ के खाय
मम्मी खाय
मम्मी के झूठ कूठ कौआ खाए
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

4)
घुघुआ मन्ना, उपजे धन्ना
बाबू खाए दूध-भतवा
कुतवा चाटे पतवा
आबे दे रे कुतवा
मारबऊ दू लतवा
गे बुढ़िया बर्तन बासन
सब सरिया के रखिहे तू
नया घर उठे, पुरान घर गिरे।

5)
अलिया गे मलिया गे
घोड़ा बरद खेत खईछऊ गे
कहाँ गे?
डीह पर गे
डीहsक रखवार के गे?
बाबा गे
बाबा गेलखुन पूर्णिया गे
लाल लाल बिछिया लैथुन गे
कोठी पर झमकैथुन गे
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

6)
तोरा मायो न झुलैलकऊ
तोरा बापो न झुलैलकऊ
तोरा तार तर वाली मौसियो नई झुलैलकऊ
तोरा हमहीं झुलैलियऊ
लाल घर उठे, पुरान उठे।

4 जुलाई 2022

Why Are Your Poems so Dark?

Isn't the moon dark too,
most of the time?

And doesn't the white page
seem unfinished

without the dark stain
of alphabets?

When God demanded light,
he didn't banish darkness.

Instead he invented
ebony and crows

and that small mole
on your left cheekbone.

Or did you mean to ask
"Why are you sad so often?"

Ask the moon.
Ask what it has witnessed.

30 जून 2022

Interrogation of a Muslim: A Poem By Keki N. Daruwalla

I think of palaces in Junagadh
gargoyles affixed
to drainpipes in monsoons.

He is in khaki
Brits coined the word from ‘ash’
a tilak long as a walking stick
bleeds on his forehead.
Prisoner squatting on the floor, thinks
his mouth is a gargoyle.

I am not interested
in your crimes against the state—
all that is recorded in discs, phone taps
and our extractions from mobile phones.

I want your confession
on the crimes you thought
of committing.

--- Keki N. Daruwalla

25 जून 2022

तुमने देखी है काशी?

“तुमने देखी है काशी?
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव -
उसी रास्ते
आता है शव!
शवों का क्या
शव आएँगे,
शव जाएँगे -
और अगर हो भी तो
क्या फर्क पड़ेगा?
तुमने सिर्फ यही तो किया
शव को रास्ता दिया
और पूछा -
किसका है यह शव?
जिस किसी का था,
और किसका नहीं था,
कोई फर्क पड़ा?”

--- श्रीकान्त वर्मा

20 जून 2022

15 बेहतरीन शेर - 5 !!!

1. आपके तग़ाफ़ुल का सिलसिला पुराना है उस तरफ़ निगाहें हैं इस तरफ़ निशाना है - हिना तैमूरी

2. तुम्हारे हिज्र में मरना था कौन सा मुश्किल, तुम्हारे हिज्र में ज़िंदा हैं ये कमाल किया - आरिफ़ इमाम

3. मौत के डर से नाहक़ परेशान हैं आप ज़िंदा कहाँ हैं जो मर जायेंगे ! - अंसार कम्बरी

4. इनकार की सी लज़्ज़त इक़रार में कहां, होता है इश्क़ ग़ालिब, उनकी नहीं-नहीं से - मीर तक़ी मीर

5. रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूं तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी - जलील मानिकपुरी

6. दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया, तुझसे भी दिलफरेब हैं ग़म रोज़गार के - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

7. 'रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं - मिर्ज़ा ग़ालिब

8. दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले - शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

9. अब और इस के सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला', ये कम है उस ने तुम्हें मुस्कुरा के देख लिया - आनंद नारायण मुल्ला

10. मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का, मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है - बशीर बद्र

11. घूम रहा था एक शख़्स रात के ख़ारज़ार में, उस का लहू भी मर गया सुब्ह के इंतिज़ार में. - आदिल मंसूरी

12. 'हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे, जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे' - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

13. जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यों, यहां तो कोई मेरा हम-ज़बां नहीं मिलता ! - कैफ़ी आज़मी

14. अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला, जिस दिए में जान होगी, वो दिया रह जाएगा - महशर बदायुनी

15. बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं, किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए - निदा फ़ाज़ली