Sep 1, 2023

प्रक्रिया

मैं क्या कर रहा था
जब
सब जयकार कर रहे थे?
मैं भी जयकार कर रहा था -
डर रहा था
जिस तरह
सब डर रहे थे।
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'अजीज मेरा दुश्मन है?'

मैं भी कह रहा था,
'अजीज मेरा दुश्मन है।'
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'मुँह मत खोलो?'
मैं भी कह रहा था,
'मुँह मत खोलो
बोला
जैसा सब बोलते हैं।'
खत्म हो चुकी है जयकार,
अजीज मारा जा चुका है,
मुँह बंद हो चुके हैं।

हैरत में सब पूछ रहे हैं,
यह कैसे हुआ?
जिस तरह सब पूछ रहे हैं
उसी तरह मैं भी
यह कैसे हुआ?

Aug 26, 2023

मछलियों को लगता था

मछलियों को लगता था
के जैसे वे तड़पती हैं पानी के लिए
पानी भी उनके लिए
वैसा ही तड़पता होगा।

लेकिन जब खींचा जाता है जाल
तो पानी मछलियों को छोड़कर
जाल के छेदों से निकल भागता है।

पानी मछलियों का देश है
लेकिन मछलियां अपने देश के बारे में
कुछ नहीं जानतीं।

--- नरेश सक्सेना

Aug 21, 2023

अन्याय छिपता है

कई बार
सुनवाई इसलिए होती है
 कि कोई यह न कह सके : 
राज्य में न्याय नहीं है 

अन्याय 
छिपता है 
न्याय की ओट में 

पंकज चतुर्वेदी
{'काजू की रोटी', 2023 से}

Aug 18, 2023

राजनीतिक शैली

यह नई राजनीतिक शैली है
कि हत्या की नहीं जाती 
वह माहौल बनाया जाता है 
जिसमें हत्या एक स्वाभाविक कर्म हो
 जो इस माहौल के जनक हैं 
 वे हत्या पर अफ़सोस करते हैं 

― पंकज चतुर्वेदी ("काजू की रोटी" कविता संग्रह)

Aug 15, 2023

कानपुरा (Kanpoora Lyrics from Katiyabaaz (2014))

जाग मुसाफिरा
ओ भोर भयी
भोर भई हो

ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान

आधा आधा जोड़ के बनता पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आधा आधा जोड़ के बंटा पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुर

हटिया खुली सराफा बंद
झाड़े रहो कलेक्टर गंज
बात बात पर फैंटम बनाना
छोड़ बैठ के मारो दंड

अंग्रेज़न तो बिसर गए
और गैया रोड पर पसर गई
अनडू बसयी करते करते
बची कुची सब कसर गयी

ओए कसर गई या भसड़ मची
होए चाट के लाल धतूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा

जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी

जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी ओ टूटी सी छड़ी

आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा

पूरा पटना भैया
पुरा राँची पुरा भैया हैं
पुरा गोरखपुरा।