Oct 8, 2025
गाज़ा का कुत्ता
वह जो कुर्सी पर बैठा
अख़बार पढ़ने का ढोंग कर रहा है
जासूस की तरह
वह दरअसल मृत्यु का फ़रिश्ता है ।
क्या शानदार डॉक्टरों जैसी बेदाग़ सफ़ेद पोशाक है उसकी
दवाओं की स्वच्छ गंध से भरी
मगर अभी जब उबासी लेकर अख़बार फड़फड़ाएगा,
जो दरअसल उसके पंख हैं
तो भयानक बदबू से भर जायेगा यह कमरा
और ताजा खून के गर्म छींटे
तुम्हारे चेहरे और बालों को भी लथपथ कर देंगे
हालांकि बैठा है वह समुद्रों के पार
और तुम जो उसे देख प् रहे हो
वह सिर्फ तकनीक है
ताकि तुम उसकी सतत उपस्तिथि को विस्मृत न कर सको
बालू पर चलते हैं अविश्वसनीय रफ़्तार से सरसराते हुए भारी-भरकम टैंक
घरों पर बुलडोजर
बस्तियों पर बम बरसते हैं
बच्चों पर गोलियां
एक कुत्ता भागा जा रहा है
धमाकों की आवाज़ के बीच
मुंह में किसी बच्चे की उखड़ी बची हुई भुजा दबाये
कान पूँछ हलके से दबे हुए
उसे किसी परिकल्पित
सुरक्षित ठिकाने की तलाश है
जहाँ वह इत्मीनान से
खा सके अपना शानदार भोज
वह ठिकाना उसे कभी मिलेगा नहीं ।
--- वीरेन डंगवाल
अख़बार पढ़ने का ढोंग कर रहा है
जासूस की तरह
वह दरअसल मृत्यु का फ़रिश्ता है ।
क्या शानदार डॉक्टरों जैसी बेदाग़ सफ़ेद पोशाक है उसकी
दवाओं की स्वच्छ गंध से भरी
मगर अभी जब उबासी लेकर अख़बार फड़फड़ाएगा,
जो दरअसल उसके पंख हैं
तो भयानक बदबू से भर जायेगा यह कमरा
और ताजा खून के गर्म छींटे
तुम्हारे चेहरे और बालों को भी लथपथ कर देंगे
हालांकि बैठा है वह समुद्रों के पार
और तुम जो उसे देख प् रहे हो
वह सिर्फ तकनीक है
ताकि तुम उसकी सतत उपस्तिथि को विस्मृत न कर सको
बालू पर चलते हैं अविश्वसनीय रफ़्तार से सरसराते हुए भारी-भरकम टैंक
घरों पर बुलडोजर
बस्तियों पर बम बरसते हैं
बच्चों पर गोलियां
एक कुत्ता भागा जा रहा है
धमाकों की आवाज़ के बीच
मुंह में किसी बच्चे की उखड़ी बची हुई भुजा दबाये
कान पूँछ हलके से दबे हुए
उसे किसी परिकल्पित
सुरक्षित ठिकाने की तलाश है
जहाँ वह इत्मीनान से
खा सके अपना शानदार भोज
वह ठिकाना उसे कभी मिलेगा नहीं ।
--- वीरेन डंगवाल
Oct 5, 2025
किसान की आवाज़ | The Voice of the Farmer - Poem in Jolly LLB 3 Movie
छप्पर टपकता रहा मेरा फिर भी
मैंने बारिश की दुआ की
मेरे दादा को परदादा से
पिता को दादा से
और मुझे पिता से जो विरासत मिली
वही सौंपना चाहता था मैं अपने बेटे को
देना चाहता था थोड़ी-सी ज़मीन
और एक मुट्ठी बीज कि
सबकी भूख मिटाई जा सके
इसलिए मैंने यकीन किया
उनकी हर एक बात पर
भाषण में कहे जज्बात पर
मैं मुग्ध होकर देखता रहा
आसमान की तरफ उठे उनके सर
और उन्होंने मेरे पैरों के नीचे से जमीन खींच ली
मुझे अन्नदाता होने का अभिमान था
यही अपराध था मेरा कि
मैं एक किसान था।
संदर्भ:कविता हिंदी के यथार्थवादी कवि गजानन माधव मुक्तिबोध से प्रेरित है। फिल्म "जॉली एलएलबी 3" में किसान की आत्मकथा की तरह सुनाई गई वह कविता हिंदी साहित्य के महान कवि गजानन माधव मुक्तिबोध की प्रेरणा से बनायी गई है। यह कविता किसान की भावनाओं और संघर्ष को गहरे और मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है।
प्रश्नोत्तर तरह के जोगीरा (Jogira sa ra ra )
1. कय हाथ के धोती पेन्हा, कय हाथ लपेटा?
कोन समय में सिया हरण भेल खोजै छथि भगवान
सतयुग में धरती फाटल, द्वापर में असमान
त्रेता युग में सिया हरण भेल, खोजै छथि भगवान!
फगुआ रंग, तरंग आ उमंग आनय।
3. कौन काठ के बनी खड़ौआ, कौन यार बनाया है?
कौन गुरु की सेवा कीन्हो, कौन खड़ौआ पाया?
चनन काठ के बनी खड़ौआ, बढ़यी यार बनाया हो।
हम गुरु की सेवा कीन्हा, हम खड़ौआ पाया है।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
4. किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली?
किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी?
विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली।
पवन के बेटा हनुमान जी, ओहि लंका के जारी।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
5. किसके मारे अर्जुन मर गए किसके मारे भीम?
किसके मारे बालि मर गये, कहाँ रहा सुग्रीव?
कृष्ण मारे आर्जुन मर गए कृष्ण के मारे भीम।
राम के मारे बालि मर गए लड़ता था सुग्रीव।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
कय पान का बीरा खाया, कय बाप के बेटा?
सात हाथ का धोती पेन्हा, पाँच हाथ लपेटा ।
चार पान का बीड़ा खाया, एक बाप का बेटा ।
जोगीरा सा रा रा रा।
2. कोन समय में धरती फाटल, कोन समय असमान,
2. कोन समय में धरती फाटल, कोन समय असमान,
कोन समय में सिया हरण भेल खोजै छथि भगवान
सतयुग में धरती फाटल, द्वापर में असमान
त्रेता युग में सिया हरण भेल, खोजै छथि भगवान!
जोगीरा सा रा रा रा।
फगुआ रंग, तरंग आ उमंग आनय।
3. कौन काठ के बनी खड़ौआ, कौन यार बनाया है?
कौन गुरु की सेवा कीन्हो, कौन खड़ौआ पाया?
चनन काठ के बनी खड़ौआ, बढ़यी यार बनाया हो।
हम गुरु की सेवा कीन्हा, हम खड़ौआ पाया है।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
4. किसके बेटा राजा रावण किसके बेटा बाली?
किसके बेटा हनुमान जी जे लंका जारी?
विसेश्रवा के राजा रावण बाणासुर का बाली।
पवन के बेटा हनुमान जी, ओहि लंका के जारी।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
5. किसके मारे अर्जुन मर गए किसके मारे भीम?
किसके मारे बालि मर गये, कहाँ रहा सुग्रीव?
कृष्ण मारे आर्जुन मर गए कृष्ण के मारे भीम।
राम के मारे बालि मर गए लड़ता था सुग्रीव।
जोगी जी वाह वाह, जोगी जी सारा रा रा।
Oct 1, 2025
बनारस की गली / नज़ीर बनारसी
हर गाम पे हुशियार बनारस की गली में
फ़ितने भी हैं बेदार बनारस की गली में
ऐसा भी है बाज़ार बनारस की गली में
बिक जायें ख़रीदार बनारस की गली में
हुशियारी से रहना नहीं आता जिन्हें इस पार
हो जाते हैं उस पार बनारस की गली में
सड़कों पे दिखाओगे अगर अपनी रईसी
लुट जाओगे सरकार, बनारस की गली में
दूकान पे रूकिएगा तो फिर आपके पीछे
लग जायेंगे दो-चार बनारस की गली में
हैरत का यह आलम है कि हर देखने वाला
है ऩक्श ब दीवार बनारस की गली में
मिलता है निगाहों को सुकूँ हृदय को आराम
क्या प्रेम है क्या प्यार बनारस की गली में
हर सन्त के, साधू के, ऋषि और मुनि के
सपने हुए साकार बनारस की गली में
शंकर की जटाओं की तरह साया फ़िगन
साया करने वाला, सरपरस्ती छाँह देने वाला है
हर साया-ए-दीवार बनारस की गली में
गर स्वर्ग में जाना हो तो जी खोल के ख़रचो
मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में
फ़ितने भी हैं बेदार बनारस की गली में
ऐसा भी है बाज़ार बनारस की गली में
बिक जायें ख़रीदार बनारस की गली में
हुशियारी से रहना नहीं आता जिन्हें इस पार
हो जाते हैं उस पार बनारस की गली में
सड़कों पे दिखाओगे अगर अपनी रईसी
लुट जाओगे सरकार, बनारस की गली में
दूकान पे रूकिएगा तो फिर आपके पीछे
लग जायेंगे दो-चार बनारस की गली में
हैरत का यह आलम है कि हर देखने वाला
है ऩक्श ब दीवार बनारस की गली में
मिलता है निगाहों को सुकूँ हृदय को आराम
क्या प्रेम है क्या प्यार बनारस की गली में
हर सन्त के, साधू के, ऋषि और मुनि के
सपने हुए साकार बनारस की गली में
शंकर की जटाओं की तरह साया फ़िगन
साया करने वाला, सरपरस्ती छाँह देने वाला है
हर साया-ए-दीवार बनारस की गली में
गर स्वर्ग में जाना हो तो जी खोल के ख़रचो
मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में
--- नज़ीर बनारसी
Sep 29, 2025
निराला की कविता में संगीत
ताक कमसिनवारि,
ताक कम सिनवारि,
ताक कम सिन वारि,
सिनवारि सिनवारि।
ता ककमसि नवारि,
ताक कमसि नवारि,
ताक कमसिन वारि,
कमसिन कमसिनवारि।
इरावनि समक कात्,
इरावनि सम ककात्,
इराव निसम ककात्,
सम ककात् सिनवारि।
ताक कम सिनवारि,
ताक कम सिन वारि,
सिनवारि सिनवारि।
ता ककमसि नवारि,
ताक कमसि नवारि,
ताक कमसिन वारि,
कमसिन कमसिनवारि।
इरावनि समक कात्,
इरावनि सम ककात्,
इराव निसम ककात्,
सम ककात् सिनवारि।
यह पोस्ट निराला के जीवन के अंतिम वर्षों में लिखा गया एक अनोखा और ध्वन्यात्मक गीत प्रस्तुत करता है, जो उनकी मृत्यु के बाद "सान्ध्य काकली" में संकलित हुआ। यह गीत पारंपरिक ध्रुपद गायन की शैली के समान शब्दों के उलटफेर और पुनरावृत्ति से भरा है, जिसे रामविलास शर्मा ने निराला की "क्लासिकी" संगीत रचना बताया है।
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