14 जुलाई 2022

Poem from "Useless Knowledge"

You who are passing by
well dressed in all your muscles
clothing which suits you well
or badly 
or just about 
you who are passing by 
full of tumultuous life within your arteries
glued to your skeleton 
as you walk with a sprightly step athletic awkward
laughing sullenly, you are all so handsome
so commonplace
so commonplacely like everyone else
so handsome in your commonplaceness
diverse
with this excess of life which keeps you
from feeling your bust following your leg
your hand raised to your hat
your hand upon your heart
your kneecap rolling softly in your knee
how can we forgive you for being alive…

You who are passing by
well dressed in all your muscles
how can we forgive you
that all are dead
You are walking by and drinking in cafés
you are happy she loves you
or moody worried about money
how how
will you ever be forgiven
by those who died
so that you may walk by
dressed in all your muscles
so that you may drink in cafés
be younger every spring

I beg you
do something
learn a dance step
something that gives you the right
to be dressed in your skin in your body hair
learn to walk and to laugh
because it would be too senseless
after all
for so many to have died
while you live
doing nothing with your life.

10 जुलाई 2022

घुघुआ मन्ना (लोरी)

1)
घुघुआ मन्ना 
खेलत खेलत एक कौड़ी पउलीं
उ कौड़िया हम गंगा बहउलीं
गंगा मइया बालू दिहलीं
उ बलुइया हम भड़भुजवा के दिहलीं
भड़भुजवा दिहलस भूजा
ऊ भुजवा घसकरवा के दिहलीं 
घसकरवा दिहलस घास
ऊ घसिया हम गइया के दिहलीं
गइया दिहलस दूध 
ऊ दुधवा हम राजा के दिहलीं
राजा दिहलें घोड़ा
ओही घोड़ा आइलां
ओही घोड़ा जाईलां
तबला बजाइलां
तबला में पइसा
लाल बगइचा
पुरान भीत गिरेले
नई भीत उठेले
बुढ़िया माई सम्हरले रहिहा ।
घुघुआ मन्ना

2)
घुघुआ मन्ना
उपजे धनमा
कान दुनू सोनमा
रे बौआ तू कथी के
एली के की बेली के
माय बाप चमेली के
पितिया पितम्बर के
फूफू ... कठगूलर के
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

3)
घुघुआ झूल
कनेर के फूल
बाबू के जूठ कूठ के खाय
मम्मी खाय
मम्मी के झूठ कूठ कौआ खाए
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

4)
घुघुआ मन्ना, उपजे धन्ना
बाबू खाए दूध-भतवा
कुतवा चाटे पतवा
आबे दे रे कुतवा
मारबऊ दू लतवा
गे बुढ़िया बर्तन बासन
सब सरिया के रखिहे तू
नया घर उठे, पुरान घर गिरे।

5)
अलिया गे मलिया गे
घोड़ा बरद खेत खईछऊ गे
कहाँ गे?
डीह पर गे
डीहsक रखवार के गे?
बाबा गे
बाबा गेलखुन पूर्णिया गे
लाल लाल बिछिया लैथुन गे
कोठी पर झमकैथुन गे
लाल घर उठे, पुरान घर गिरे।

6)
तोरा मायो न झुलैलकऊ
तोरा बापो न झुलैलकऊ
तोरा तार तर वाली मौसियो नई झुलैलकऊ
तोरा हमहीं झुलैलियऊ
लाल घर उठे, पुरान उठे।

4 जुलाई 2022

Why Are Your Poems so Dark?

Isn't the moon dark too,
most of the time?

And doesn't the white page
seem unfinished

without the dark stain
of alphabets?

When God demanded light,
he didn't banish darkness.

Instead he invented
ebony and crows

and that small mole
on your left cheekbone.

Or did you mean to ask
"Why are you sad so often?"

Ask the moon.
Ask what it has witnessed.

30 जून 2022

Interrogation of a Muslim: A Poem By Keki N. Daruwalla

I think of palaces in Junagadh
gargoyles affixed
to drainpipes in monsoons.

He is in khaki
Brits coined the word from ‘ash’
a tilak long as a walking stick
bleeds on his forehead.
Prisoner squatting on the floor, thinks
his mouth is a gargoyle.

I am not interested
in your crimes against the state—
all that is recorded in discs, phone taps
and our extractions from mobile phones.

I want your confession
on the crimes you thought
of committing.

--- Keki N. Daruwalla

25 जून 2022

तुमने देखी है काशी?

“तुमने देखी है काशी?
जहाँ, जिस रास्ते
जाता है शव -
उसी रास्ते
आता है शव!
शवों का क्या
शव आएँगे,
शव जाएँगे -
और अगर हो भी तो
क्या फर्क पड़ेगा?
तुमने सिर्फ यही तो किया
शव को रास्ता दिया
और पूछा -
किसका है यह शव?
जिस किसी का था,
और किसका नहीं था,
कोई फर्क पड़ा?”

--- श्रीकान्त वर्मा

20 जून 2022

15 बेहतरीन शेर - 5 !!!

1. आपके तग़ाफ़ुल का सिलसिला पुराना है उस तरफ़ निगाहें हैं इस तरफ़ निशाना है - हिना तैमूरी

2. तुम्हारे हिज्र में मरना था कौन सा मुश्किल, तुम्हारे हिज्र में ज़िंदा हैं ये कमाल किया - आरिफ़ इमाम

3. मौत के डर से नाहक़ परेशान हैं आप ज़िंदा कहाँ हैं जो मर जायेंगे ! - अंसार कम्बरी

4. इनकार की सी लज़्ज़त इक़रार में कहां, होता है इश्क़ ग़ालिब, उनकी नहीं-नहीं से - मीर तक़ी मीर

5. रोज़ वो ख़्वाब में आते हैं गले मिलने को, मैं जो सोता हूं तो जाग उठती है क़िस्मत मेरी - जलील मानिकपुरी

6. दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया, तुझसे भी दिलफरेब हैं ग़म रोज़गार के - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

7. 'रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं - मिर्ज़ा ग़ालिब

8. दुनिया ने किस का राह-ए-फ़ना में दिया है साथ तुम भी चले चलो यूँही जब तक चली चले - शेख़ इब्राहीम ज़ौक़

9. अब और इस के सिवा चाहते हो क्या 'मुल्ला', ये कम है उस ने तुम्हें मुस्कुरा के देख लिया - आनंद नारायण मुल्ला

10. मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का, मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है - बशीर बद्र

11. घूम रहा था एक शख़्स रात के ख़ारज़ार में, उस का लहू भी मर गया सुब्ह के इंतिज़ार में. - आदिल मंसूरी

12. 'हम परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम करते रहेंगे, जो दिल पे गुज़रती है रक़म करते रहेंगे' - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

13. जो इक ख़ुदा नहीं मिलता तो इतना मातम क्यों, यहां तो कोई मेरा हम-ज़बां नहीं मिलता ! - कैफ़ी आज़मी

14. अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला, जिस दिए में जान होगी, वो दिया रह जाएगा - महशर बदायुनी

15. बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं, किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए - निदा फ़ाज़ली

15 जून 2022

दर्द हल्का है साँस भारी है

दर्द हल्का है साँस भारी है
जिए जाने की रस्म जारी है

आप के ब'अद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

रात को चाँदनी तो ओढ़ा दो
दिन की चादर अभी उतारी है

शाख़ पर कोई क़हक़हा तो खिले
कैसी चुप सी चमन पे तारी है

कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है

--- गुलज़ार