30 नवंबर 2022

जाति के लिए

ईश्वर सिंह के उपन्यास पर
राजधानी में गोष्ठी हुई
कहते हैं कि बोलने वालों में
उपन्यास के समर्थक सब सिंह थे
और विरोधी ब्राह्मण

सुबह उठा तो
अख़बार के मुखपृष्ठ पर
विज्ञापन था :
अमर सिंह को बचाएँ’
और यह अपील करने वाले
सांसद और विधायक क्षत्रिय थे
मैं समझ नहीं पाया
अमर सिंह एक मनुष्य हैं
तो उन्हें क्षत्रिय ही क्यों बचाएँगे?

दुपहर में
एक पत्रिका ख़रीद लाया
उसमें कायस्थ महासभा के
भव्य सम्मेलन की ख़बर थी
देश के विकास में
कायस्थों के योगदान का ब्योरा
और आरक्षण की माँग
मुझे लगा
योगदान करने वालों की
जाति मालूम करो
और फिर लड़ो
उनके लिए नहीं
जाति के लिए

शाम को मैं मशहूर कथाकार
गिरिराज किशोर के घर गया
मैंने पूछा : देश का क्या होगा?
उन्होंने कहा : देश का अब
कुछ नहीं हो सकता
फिर वह बोले : अभी
वैश्य महासभा वाले आए थे
कह रहे थे—आप हमारे
सम्मेलन में चलिए

--- पंकज चतुर्वेदी

24 नवंबर 2022

सबसे सुन्दर समुद्र

The loveliest seais the sea not yet traveled

The loveliest child

is the child not yet born

Our loveliest days

are those we have not yet lived through.

And the loveliest word I would say to you

is the word that I have not yet said.


सबसे सुन्दर समुद्र

अभी तक पार नहीं किया गया

सबसे सुन्दर बच्चा

अभी तक बड़ा नहीं हुआ

हमारे सबसे सुन्दर दिन

हमने अभी तक देखे नहीं

जो सबसे सुन्दर शब्द तुमसे कहना चाहता था

अभी तक कहे नहीं।

अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

20 नवंबर 2022

Guchhe Serial Title Song

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो..

बिन दांतों की दादी अम्मा, बिन दांतों की दादी अम्मा |
दो पटनों की नानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो..

गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो...

भारी भरकम एक कहानी |
भारी भरकम एक कहानी |
केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |
भारी भरकम एक कहानी, केले के छिलके पे फिसली...
एक कहानी हलकी फुलकी, उड़ जाए जो फूंकें तितली |

खट्टी हो तो नमक लगा के, खट्टी हो तो नमक लगा के
गले में अटके पानी.. लेलो.. लेलो.. लेलो
गुच्छा है भाई गुच्छा है कहानियों का गुच्छा है |
कहानी लेलो... |

14 नवंबर 2022

यह बच्चा किसका बच्चा है

यह बच्चा कैसा बच्चा है

यह बच्चा काला-काला-सा
यह काला-सा, मटियाला-सा
यह बच्चा भूखा-भूखा-सा
यह बच्चा सूखा-सूखा-सा
यह बच्चा किसका बच्चा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है
जो रेत पर तन्हा बैठा है
ना इसके पेट में रोटी है
ना इसके तन पर कपड़ा है
ना इसके सर पर टोपी है
ना इसके पैर में जूता है
ना इसके पास खिलौना है
कोई भालू है कोई घोड़ा है
ना इसका जी बहलाने को
कोई लोरी है कोई झूला है
ना इसकी जेब में धेला है
ना इसके हाथ में पैसा है
ना इसके अम्मी-अब्बू हैं
ना इसकी आपा-खाला है
यह सारे जग में तन्हा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है

[2]

यह सहरा कैसा सहरा है
ना इस सहरा में बादल है
ना इस सहरा में बरखा है
ना इस सहरा में बाली है
ना इस सहरा में खोशा (अनाज की बाली) है
ना इस सहरा में सब्ज़ा है
ना इस सहरा में साया है

यह सहरा भूख का सहरा है
यह सहरा मौत का सहरा है

[3]

यह बच्चा कैसे बैठा है
यह बच्चा कब से बैठा है
यह बच्चा क्या कुछ पूछता है
यह बच्चा क्या कुछ कहता है
यह दुनिया कैसी दुनिया है
यह दुनिया किसकी दुनिया है

[4]

इस दुनिया के कुछ टुकड़ों में
कहीं फूल खिले कहीं सब्ज़ा है
कहीं बादल घिर-घिर आते हैं
कहीं चश्मा है कहीं दरिया है
कहीं ऊंचे महल अटरिया हैं
कहीं महफ़िल है, कहीं मेला है
कहीं कपड़ों के बाज़ार सजे
यह रेशम है, यह दीबा (बारीक रेशमी कपड़ा) है
कहीं गल्ले के अम्बार लगे
सब गेहूं धान मुहय्या है
कहीं दौलत के संदूक़ भरे
हां तांबा, सोना, रूपा है
तुम जो मांगो सो हाज़िर है
तुम जो चाहो सो मिलता है
इस भूख के दुख की दुनिया में
यह कैसा सुख का सपना है?
वो किस धरती के टुकड़े हैं?
यह किस दुनिया का हिस्सा है?

[5]

हम जिस आदम के बेटे हैं
यह उस आदम का बेटा है
यह आदम एक ही आदम है
वह गोरा है या काला है
यह धरती एक ही धरती है
यह दुनिया एक ही दुनिया है
सब इक दाता के बंदे हैं
सब बंदों का इक दाता है
कुछ पूरब-पच्छिम फ़र्क़ नहीं
इस धरती पर हक़ सबका है

[6]

यह तन्हा बच्चा बेचारा
यह बच्चा जो यहां बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूख मिटे
(क्या मुश्किल है, हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हां दूध यहां बहुतेरा है)
इस बच्चे का कोई तन ढांके
(क्या कपड़ों का यहां तोड़ा (अभाव) है?)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इंसान जो अब तक ज़िंदा है)
फिर देखिए कैसा बच्चा है
यह कितना प्यारा बच्चा है

[7]

इस जग में सब कुछ रब का है
जो रब का है, वह सबका है
सब अपने हैं कोई ग़ैर नहीं
हर चीज़ में सबका साझा है
जो बढ़ता है, जो उगता है
वह दाना है, या मेवा है
जो कपड़ा है, जो कम्बल है
जो चांदी है, जो सोना है
वह सारा है इस बच्चे का
जो तेरा है, जो मेरा है

यह बच्चा किसका बच्चा है?
यह बच्चा सबका बच्चा है

--- इब्ने इंशा

9 नवंबर 2022

Thinking of you

Thinking of you
is a beautiful thing
a hopeful thing
a thing like hearing
the most beautiful song
from the world's most beautiful voice...
But hope no longer is enough for me
I no longer want to hear the song—
I want to sing it...

तुम्हें याद करना
कितना खूबसूरत और पुरउम्मीद है
जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत आवाज़ से
सबसे खूबसूरत गीत सुनना
पर अब उम्मीद काफी नहीं है मेरे लिए
मैं अब गाने सुनना नहीं चाहता
मैं गाना चाहता हूँ।

--- नाज़िम हिकमत
अंग्रेजी से अनुवाद : प्योली स्वातिजा

4 नवंबर 2022

परसाई जी की बात

आज से ठीक चौवन बरस पहले
जबलपुर में,
परसाई जी के पीछे लगभग भागते हुए
मैंने उन्हें सुनाई अपनी कविता
और पूछा “क्या इस पर इनाम मिल सकता है”
“अच्छा कविता पर सज़ा भी मिल सकती है”
सुनकर मैं सन्न रह गया
क्योंकि उसी शाम, विद्यार्थियों की कविता प्रतियोगिता में
मैं हिस्सा लेना चाहता था
और परसाई जी उसकी अध्यक्षता करने वाले थे।
आज, जब सुन रहा हूँ, वाह, वाह
मित्र लोग ले रहे हैं हाथों-हाथ
सज़ा कैसी कोई सख़्त बात तक नहीं कहता
तो शक होने लगता है,
परसाईजी की बात पर, नहीं—
अपनी कविताओं पर।


स्रोत : पुस्तक : सुनो चारुशीला (पृष्ठ 82) 

31 अक्टूबर 2022

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे

जो मेरे घर कभी नहीं आएँगे
मैं उनसे मिलने
उनके पास चला जाऊँगा।

एक उफनती नदी कभी नहीं आएगी मेरे घर
नदी जैसे लोगों से मिलने
नदी किनारे जाऊँगा
कुछ तैरूँगा और डूब जाऊँगा

पहाड़, टीले, चट्टानें, तालाब
असंख्य पेड़ खेत
कभी नहीं आएँगे मेरे घर
खेत-खलिहानों जैसे लोगों से मिलने
गाँव-गाँव, जंगल-गलियाँ जाऊँगा।

जो लगातार काम में लगे हैं
मैं फ़ुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा—
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।

--- विनोद कुमार शुक्ल