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1 सितंबर 2023

प्रक्रिया

मैं क्या कर रहा था
जब
सब जयकार कर रहे थे?
मैं भी जयकार कर रहा था -
डर रहा था
जिस तरह
सब डर रहे थे।
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'अजीज मेरा दुश्मन है?'

मैं भी कह रहा था,
'अजीज मेरा दुश्मन है।'
मैं क्या कर रहा था
जब
सब कह रहे थे,
'मुँह मत खोलो?'
मैं भी कह रहा था,
'मुँह मत खोलो
बोला
जैसा सब बोलते हैं।'
खत्म हो चुकी है जयकार,
अजीज मारा जा चुका है,
मुँह बंद हो चुके हैं।

हैरत में सब पूछ रहे हैं,
यह कैसे हुआ?
जिस तरह सब पूछ रहे हैं
उसी तरह मैं भी
यह कैसे हुआ?

26 अगस्त 2023

मछलियों को लगता था

मछलियों को लगता था
के जैसे वे तड़पती हैं पानी के लिए
पानी भी उनके लिए
वैसा ही तड़पता होगा।

लेकिन जब खींचा जाता है जाल
तो पानी मछलियों को छोड़कर
जाल के छेदों से निकल भागता है।

पानी मछलियों का देश है
लेकिन मछलियां अपने देश के बारे में
कुछ नहीं जानतीं।

--- नरेश सक्सेना

21 अगस्त 2023

अन्याय छिपता है

कई बार
सुनवाई इसलिए होती है
 कि कोई यह न कह सके : 
राज्य में न्याय नहीं है 

अन्याय 
छिपता है 
न्याय की ओट में 

पंकज चतुर्वेदी
{'काजू की रोटी', 2023 से}

18 अगस्त 2023

राजनीतिक शैली

यह नई राजनीतिक शैली है
कि हत्या की नहीं जाती 
वह माहौल बनाया जाता है 
जिसमें हत्या एक स्वाभाविक कर्म हो
 जो इस माहौल के जनक हैं 
 वे हत्या पर अफ़सोस करते हैं 

― पंकज चतुर्वेदी ("काजू की रोटी" कविता संग्रह)

15 अगस्त 2023

कानपुरा (Kanpoora Lyrics from Katiyabaaz (2014))

जाग मुसाफिरा
ओ भोर भयी
भोर भई हो

ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
ओए! उजड़ी रियासत लुटे सुल्तान
अधमरी बुलबुल आधी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान
आधी सदी की, आधी नदी के
आधी सड़क पर पूरी जान

आधा आधा जोड़ के बनता पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आधा आधा जोड़ के बंटा पूरा एक फितुरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुर

हटिया खुली सराफा बंद
झाड़े रहो कलेक्टर गंज
बात बात पर फैंटम बनाना
छोड़ बैठ के मारो दंड

अंग्रेज़न तो बिसर गए
और गैया रोड पर पसर गई
अनडू बसयी करते करते
बची कुची सब कसर गयी

ओए कसर गई या भसड़ मची
होए चाट के लाल धतूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा, भैया पुरा कानपुरा
भैया पुरा कानपुरा

जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी

जेब पे पैबंद मिज़ा सिकंदर
ढेर मदारी एक कलंदर
है रुकी सी रेत घड़ी
जादू की टूटी सी छड़ी ओ टूटी सी छड़ी

आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा
आगे देख पीछे चलता
शहर ये पूरा के पूरा
या आधे बुझे चिराग के तले पूरा कानपुरा

पूरा पटना भैया
पुरा राँची पुरा भैया हैं
पुरा गोरखपुरा।

12 अगस्त 2023

Ahsaas Old Doordarshan Serial Title Song

इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥

अहसास ना हो तो उसूलों का क्या करें ।
दिल से दिल की ज्योत जलता है एहसास ॥
 
इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥

फ़ितरतों के बोझ से दबे है आदमी ।
नफ़रतों के आग में जला है आदमी ॥

भेद भाव रंग क्लेश को काट के ।
एहसास बनता है आदमी को आदमी, आदमी को आदमी ॥

इंसानियत का राज़ है, इंसान का एहसास ।
एहसास जिंदगी है, और जिदंगी एहसास ॥

--- पंचानन पाठक (  सीरियल का नाम: अहसास) 

9 जुलाई 2023

उन्होंने कहा हम न्याय करेंगे

उन्होंने कहा हम न्याय करेंगे
हम न्याय के लिए जाँच करेंगे
मैं जानता था वे क्या करेंगे
तो मैं हँसा 

हँसना ऐसी अँधेरी रात में 
अपराध है
मैं गिरफ़्तार कर लिया गया।

--- उदय प्रकाश

13 जून 2023

15 बेहतरीन शेर - 7 !!!

1. जनाबे शेख़ का फ़लसफ़ा, है अजीब सारे जहान से, जो वहाँ पियो तो हलाल है, जो यहाँ पियो तो हराम है - जिगर मुरादाबादी

2. दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे. जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों ... बशीर बद्र

3. देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब 'फ़िराक़', कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़ - फ़िराक़ गोरखपुरी

4. "पलकों पे कच्ची नींदों का रस फैलता हो जब, ऐसे में आँख धूप के रुख़ कैसे खोलिए" -परवीन शाकिर

5. इल्म में झिंगुर से बढ़ कर कामरां कोई नहीं, चाट जाता है किताबें, इम्तिहां कोई नहीं...!!! - ज़रीफ़ लखनवी

6. वक़्त करता है परवरिश बरसों, हादिसा एक दम नहीं होता - क़ाबिल अजमेरी

7. हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन , ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक --- मिर्ज़ा ग़ालिब

8. जनाज़ा रोक कर मेरा वो इस अंदाज़ से बोले, गली हम ने कही थी तुम तो दुनिया छोड़े जाते हो ~ सफ़ी लखनवी

9. क़सम जनाज़े पे आने की मेरे खाते हैं ग़ालिब, हमेशा खाते थे जो मेरी जान की क़सम आगे - ग़ालिब

10. वो गलियाँ याद आती हैं जवानी जिन में खोई बड़ी हसरत से लब पर ज़िक्र ए गोरखपुर आता है - रियाज़ ख़ैराबादी

11. बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना. आदमी को भी मय्यसर नहीं इंसां होना - ग़ालिब.

12. पेट के तक़ाज़ों ने कर दिया है नाबीना, दाना याद रहता है, दाम भूल जाता हूं ...!!! - क़तील शिफ़ाई

13. कोई जन्नत का तालिब है, कोई ग़म से परेशां है, ज़रूरत करवाती है सजदे, वर्ना इबादत यहां कौन करता है - महशर आबिदी

14. तैयार थे नमाज़ पे, हम सुन के ज़िक्र-ए-हूर, जलवा बुतों का देख के नीयत बदल गई ! - अकबर इलाहाबादी

15. “मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस, ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं” - जौन एलिया

1 मई 2023

स्वर्ग से बिदाई

भाईयों और बहनों !
अब ये आलीशान इमारत
बन कर तैयार हो गयी है
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

अपनी भरपूर ताक़त लगाकर
आपने ज़मीन काटी
गहरी नींव डाली,
मिट्टी के नीचे दब भी गए
आपके कई साथी
मगर आपने हिम्मत से काम लिया
पत्थर और इरादे से,
संकल्प और लोहे से,
बालू, कल्पना और सीमेंट से,
ईंट दर ईंट आपने
अटूट बुलंदी की दीवार खड़ी की
छत ऐसी कि हाथ बढ़ाकर,
आसमान छुआ जा सके,
बादलों से बात की जा सके
खिड़कियाँ क्षितिज की थाह लेने वाली,
आँखों जैसी,
दरवाज़े, शानदार स्वागत !
अपने घुटनों और बाजुओं और
बरौनियों के बल पर
सैकड़ों साल टिकी रहने वाली
यह जीती-जागती ईमारत तैयार की


अब आपने हरा भरा लान
फूलों का बाग़ीचा
झरना और ताल भी बना दिया है
कमरे कमरे में गलीचा
और क़दम क़दम पर
रंग-बिरंगी रौशनी फैला दी है

गर्मी में ठंडक और ठंड में
गुनगुनी गर्मी का इंतज़ाम कर दिया है
संगीत और नृत्य के
साज़ सामान
सही जगह पर रख दिए हैं
अलगनियां प्यालियाँ
गिलास और बोतलें
सज़ा दी हैं


कम शब्दों में कहें तो
सुख सुविधा और आज़ादी का
एक सुरक्षित इलाका
एक झिलमिलाता स्वर्ग
रच दिया है

इस मेहनत
और इस लगन के लिए
आपका बहुत धन्यवाद
अब आप यहाँ से जा सकते हैं
यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ
जहाँ चाहे वहां जाएँ
फिलहाल उधर अँधेरे में
कटी ज़मीन पर
जो झोपड़े डाल रखें हैं
उन्हें भी खाली कर दें
फिर जहाँ चाहे वहां जाएँ.

आप आज़ाद हैं,
हमारी ज़िम्मेदारी ख़तम हुई
अब एक मिनट के लिए भी
आपका यहाँ ठहरना ठीक नहीं
महामहिम आने वाले हैं
विदेशी मेहमानों के साथ
आने वाली हैं अप्सराएँ
और अफ़सरान
पश्चिमी धुनों पर शुरू होने वाला है
उन्मादक नृत्य
जाम झलकने वाला है

भला यहाँ आपकी
क्या ज़रुरत हो सकती है
और वह आपको देखकर क्या सोचेंगे
गंदे कपडे,
धूल से सने शरीर
ठीक से बोलने और हाथ हिलाने
और सर झुकाने का भी शऊर नहीं
उनकी रुचि और उम्मीद को
कितना धक्का लगेगा
और हमारी कितनी तौहीन होगी

मान लिया कि इमारत की
ये शानदार बुलंदी हासिल करने में
आपने हड्डियाँ लगा दीं
खून पसीना एक कर दिया
लेकिन इसके एवज में
मज़दूरी दी जा चुकी है
अब आपको क्या चाहिए?


आप यहाँ ताल नहीं रहे हैं
आपके चेहरे के भाव भी बदल रहे हैं
शायद अपनी इस विशाल
और खूबसूरत रचना से
आपको मोह हो गया है
इसे छोड़कर जाने में दुःख हो रहा है
ऐसा हो सकता है
मगर इसका मतलब यह तो नहीं
कि आप जो कुछ भी अपने हाथ से
बनायेंगे,
वह सब आपका हो जायेगा
इस तरह तो ये सारी दुनिया
आपकी होती
फिर हम मालिक लोग कहाँ जाते

याद रखिये
मालिक मालिक होता है
मज़दूर मज़दूर
आपको काम करना है
हमे उसका फल भोगना है
आपको स्वर्ग बनाना है
हमे उसमें विहार करना है
अगर ऐसा सोचते हैं
कि आपको अपने काम का
पूरा फल मिलना चाहिए
तो हो सकता है

कि पिछले जन्म के आपके काम
अभावों के नरक में
ले जा रहे हों
विश्वास कीजिये
धर्म के सिवा कोई रास्ता नहीं
अब आप यहाँ से जा सकते हैं

क्या आप यहाँ से जाना ही
नहीं चाहते ?
यहीं रहना चाहते हैं,
इस आलीशान इमारत में
इन गलीचों पर पांव रखना चाहते हैं
ओह ! ये तो लालच की हद है
सरासर अन्याय है
कानून और व्यवस्था पर
सीधा हमला है
दूसरों की मिलकियत पर
कब्ज़ा करने
और दुनिया को उलट-पुलट देने का
सबसे बुनियादी अपराध है
हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे

देखिये ये भाईचारे का मसला नहीं हैं
इंसानियत का भी नहीं
यह तो लड़ाई का
जीने या मरने का मसला है
हालाँकि हम ख़ून ख़राबा नहीं चाहते
हम अमन चैन
सुख-सुविधा पसंद करते हैं
लेकिन आप मजबूर करेंगे
तो हमे कानून का सहारा लेने पड़ेगा
पुलिस और ज़रुरत पड़ी तो
फ़ौज बुलानी होगी
हम कुचल देंगे
अपने हाथों गड़े
इस स्वर्ग में रहने की
आपकी इच्छा भी कुचल देंगे

वरना जाइए
टूटते जोड़ों, उजाड़ आँखों की
आँधियों, अंधेरों और सिसकियों की
मृत्यु गुलामी
और अभावों की अपनी
बे-दरोदीवार दुनिया में
चुपचाप
वापस
चले जाइए !

--- गोरख पाण्डेय

14 अप्रैल 2023

ज़मींदार का रोपनी गीत

मुझे जन्म के ठीक बाद बताया गया
पूरे गाँव में कितनी औरतें हैं
कितनी झुकती है किसकी कमर
किसकी उँगली में है जादू
कौन कम मजूरी में ज़्यादा काम करती हैं
मुझे यह भी पता था कि अगले आषाढ़ में
किसकी लड़की धान लगाने वाली हो जाएगी
किसकी होगी शादी
किसे होगी क़र्ज़ की कितनी ज़रूरत
सब कुछ निर्भर था
धान के रक़बे पर
मुझे चावलों का स्वाद पता
उनका आकार पता
यहाँ तक कि जब वे थाली में जूठन की तरह छूट जाते थे
तब लगता था कि आसमान में तारे बिखरे हों
वे जो कनई में रोपती थीं
काला नमक और बासमती चावल
आधे पेट
नसीब नहीं हुई उन्हें
काला नमक और बासमती की ख़ुशबू
मुझे बचपन से ही मिली सिखावन
कैसे बुलाते हैं मजूर
सुबह कितने समय जाना है उन्हें हाँककर लाने
नहीं बैठना है उनकी चारपाई पर
क़ायम रखनी है शरीर और वाणी की अकड़
धान रोपती स्त्रियों को देखकर
मुझे सावन में गाए जाने वाले गीत नहीं
अपने पुरखों की मूँछें और गालियाँ याद आती हैं
जो मुझे सिखाई गईं
कैसे बुलाते हैं
धान रोपने वाली स्त्रियों को।

~ रमाशंकर सिंह

7 अप्रैल 2023

आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम
क़िस्तों में ख़ुदकुशी का मज़ा हम से पूछिए

आग़ाज़-ए-आशिक़ी का मज़ा आप जानिए
अंजाम-ए-आशिक़ी का मज़ा हम से पूछिए

जलते दियों में जलते घरों जैसी ज़ौ कहाँ
सरकार रौशनी का मज़ा हम से पूछिए

वो जान ही गए कि हमें उनसे प्यार है
आँखों की मुख़बिरी का मज़ा हमसे पूछिए

हँसने का शौक़ हमको भी था आप की तरह
हँसिए मगर हँसी का मज़ा हम से पूछिए

हम तौबा कर के मर गए बे-मौत ऐ 'ख़ुमार'
तौहीन-ए-मय-कशी का मज़ा हम से पूछिए

1 अप्रैल 2023

राजा ने आदेश दिया

राजा ने आदेश दिया : बोलना बन्द
क्योंकि लोग बोलते हैं तो राजा के विरुद्ध बोलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : लिखना बन्द
क्योंकि लोग लिखते हैं तो राजा के विरुद्ध लिखते हैं।

राजा ने आदेश दिया : चलना बन्द
क्योंकि लोग चलते हैं तो राजा के विरुद्ध चलते हैं।

राजा ने आदेश दिया : हँसना बन्द
क्योंकि लोग हँसते हैं तो राजा के विरुद्ध हँसते हैं।

राजा ने आदेश दिया : होना बन्द
क्योंकि लोग होते हैं तो राजा के विरुद्ध होते हैं।

इस तरह राजा के आदेशों ने लोगों को
उनकी छोटी-छोटी क्रियाओं का महत्त्व बताया।

18 मार्च 2023

जवाब

जो कोई सवाल पूछता है उसे

रिवॉल्वर की पूरी छह गोली मारी जाती हैंः

पहली उसके दुस्साहस के लिए

दूसरी व्यक्तिगत राय रखने के लिए

तीसरी उसकी मौत के लिए

चौथी मौत की पुष्टि के लिए

पांचवीं अपनी घृणा के लिए

छठवीं राज्य के प्रति

निष्ठा के लिए 

---कुमार अंबुज

11 मार्च 2023

लब पे आती है दुआ

लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
ज़िंदगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी!
दूर दुनिया का मिरे दम से अंधेरा हो जाए!
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाए!
हो मिरे दम से यूं ही मेरे वतन की ज़ीनत

जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत
ज़िंदगी हो मिरी परवाने की सूरत या-रब
इल्म की शमा से हो मुझ को मोहब्बत या-रब
हो मिरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को
नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को

अल्लामा इक़बाल

8 फ़रवरी 2023

15 बेहतरीन शेर - 6 !!!

1. आख़िर गिल अपनी सर्फ़ दरे-मैकदा हुई, पहुँची वहीं पे ख़ाक जहाँ का ख़मीर था। ~मिर्ज़ा जवाँ बख़्त जहाँदार

2. बात मुक़द्दर की है सारी, वक़्त का लिखा मारता है, कुछ सजदों में मर जाते हैं, कुछ को सजदा मारता है - अली जरयून

3. काबे में मुसलमाँ को कह देते हैं काफिर, बुतखाने में काफिर को काफिर नहीं कहते - बिस्मिल सईदी

4. ग़ुरूरे वक्त तुझको बात इतनी कौन समझाये, वो सर झुक ही नहीं सकता जिसे कट जाना आता है। ~वसीम बरेलवी

5. ख़ुद से जो राब्ता नहीं करते, ज़िंदगी से वफ़ा नहीं करते ! तुमको मालूम क्या है आज़ादी, तुम परिंदे रिहा नहीं करते - शाहरुख़ अबीर

6. गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़, काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं - जिगर मुरादाबादी

7. आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो, जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने 'फ़िराक़' को देखा है| - फ़िराक़ गोरखपुरी

8. हमें पढ़ाओ न रिश्तों की कोई और किताब, ढ़ी है बाप के चेहरे की झुर्रियाँ हम ने ~मेराज फ़ैज़ाबादी

9. बद की सोहबत में मत बैठो इस का है अंजाम बुरा, बद न बने तो बद कहलाए बद अच्छा बदनाम बुरा ~इस्माइल मेरठी

10. ख़ुदा ही पहुँचे फ़रियादों को हम से बे-नसीबों के, हमारे दिल कबाब और तू पिए प्याले रक़ीबों के ~ वली उज़लत

11. ख़ुद-कुशी के लिए थोड़ा सा ये काफ़ी है मगर ज़िंदा रहने को बहुत ज़हर पिया जाता है - अज़हर इनायती

12. मेरी हवाओं में रहेगी, ख़्यालों की बिजली, यह मुश्त-ए-ख़ाक है फ़ानी, रहे रहे, न रहे...!!! - भगत सिंह

13. मयख़ाना-ए-हस्ती का जब दौर ख़राब आया, कुल्लड़ में शराब आई, पत्ते पर कबाब आया...!!! - नामालूम

14. क्या हमारा मुंह उजाला हो गया, साया भी जल जल के काल हो गया - ज़हीर रहमती

15. चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी - बशीर बद्र

2 फ़रवरी 2023

डायन और बुद्ध

कुछ औरतें,
अपने पतियों,
और बच्चों को सोते हुए,
अकेला छोड़ चली गईं,
ऐसी औरतें,
डायन हो गईं,

कुछ पुरुष,
अपने बच्चों और बीवियों,
को सोते हुए,
अकेला छोड़ चले गए,
ऐसे पुरुष,
बुद्ध हो गए,
कहानियों में,

डायनों के हिस्से आएं,
उल्टे पैर,
और बच्चे खा जाने वाले,
लंबे, नुकीले दांत,
और बुद्ध के,
हिस्से आया,
त्याग, प्रेम,
दया, देश,
और ईश्वर हो जाना।

--- आलोक आज़ाद

23 जनवरी 2023

क्या गजब का देश है

क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।
बिन अदालत औ मुवक्किल के मुकदमा पेश है।
आँख में दरिया है सबके
दिल में है सबके पहाड़
आदमी भूगोल है जी चाहा नक्शा पेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

हैं सभी माहिर उगाने
में हथेली पर फसल
औ हथेली डोलती दर-दर बनी दरवेश है।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

पेड़ हो या आदमी
कोई फरक पड़ता नहीं
लाख काटे जाइए जंगल हमेशा शेष हैं।
क्या गजब का देश है यह क्या गजब का देश है।

--- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

14 जनवरी 2023

एक दिन शिनाख़्त

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हम क्या कर रहे थे?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी नींद कितनी गहरी थी?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आवाज़ कौन छीनकर ले गया?

एक दिन
हमसे पूछा जाएगा
हमारी आँखों को एकाएक क्या हुआ?

एक दिन
हमारी नब्ज़
टटोली जाएगी

एक दिन
क़तार में खड़े
हम
अपनी अपनी सज़ा का
इंतेज़ार कर रहे होंगे

7 जनवरी 2023

सूअर का बच्चा

बारिश जमकर हुई, धुल गया सूअर का बच्चा
धुल-पुँछकर अँगरेज़ बन गया सूअर का बच्चा।

चित्रलिखी हकबकी गाय, झेलती रही बौछारें
फिर भी कूल्हों पर गोबर की झाँई छपी हुई है
कुत्ता तो घुस गया अधबने उस मकान के भीतर
जिसमें पड़ना फ़र्श, पलस्तर होना सब बाक़ी है।

चीनी मिल के आगे डीज़ल मिले हुए कीचड़ में
रपट गया है लिए-दिए इक्का गर्दन पर घोड़ा
लिथड़ा पड़ा चलाता टाँगें आँखों में भर आँसू
दौड़े लोग मदद को, मिस्त्री-रिक्शे-ताँगेवाले।

राजमार्ग है यह, ट्राफ़िक चलता चौबीसों घंटे
थोड़ी-सी भी बाधा से बेहद बवाल होता है।
लगभग बंद हुआ पानी पर टपक रहे हैं खोखे
परेशान हैं ख़ास तौर पर चाय-पकौड़े वाले,
या बीड़ी माचिस वाले।

पोलीथिन से ढाँप कटोरी लौट रही घर रज्जो
अम्मा के आने से पहले चूल्हा तो धौंका ले
रखे छौंक तरकारी।

पहले-पहल दृश्य दीखते हैं इतने अलबेले
आँखों ने पहले-पहले अपनी उजास देखी है
ठंडक पहुँची सीझ हृदय में अद्भुत मोद भरा है
इससे इतनी अकड़ भरा है सूअर का बच्चा।

--- वीरेन डंगवाल

1 जनवरी 2023

तुम सवालो से भरे हो...

तुम सवालो से भरे हो
क्या तुम्हें मालूम है

भीड़ से कुछ पूछने भी
जानलेवा जुर्म है

तफशीष करने आये हो
खुल कर लो शौक से

फर्क पड़ता है कहा है
एक दो की मौत से

चार दिन चर्चा उठेगी
डेमोक्रेसी लाएंगे

पांचवे दिन सब काम पे
लग जाएंगे

काम से ही काम रखना
हा मगर ये याद रखना

कोई पूछे कौन थे
बस तुम्हे इतना ही कहना

भीड़ थी कुछ लोग थे

फिर भी कोई ज़िद पकड़ले
क्या हुआ किसने किया

सोच के उंगली उठाना
कट रही है उंगलियां

बात को कुछ यूं घूमना

नफरतो के रोग थे
धर्म न जात उनके

भीड़ थी
कुछ लोग थे

--- नवीन चौरे