समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई
हाथी से आई, घोड़ा से आई
अँगरेजी बाजा बजाई
नोटवा से आई, बोटवा से आई
बिड़ला के घर में समाई
गांधी से आई, आँधी से आई
टुटही मड़इयो उड़ाई
कांगरेस से आई, जनता से आई
झंडा से बदली हो आई
डालर से आई, रूबल से आई
देसवा के बान्हे धराई
वादा से आई, लबादा से आई
जनता के कुरसी बनाई
लाठी से आई, गोली से आई
लेकिन अहिंसा कहाई
महँगी ले आई, गरीबी ले आई
केतनो मजूरा कमाई
छोटका का छोटहन, बड़का का बड़हन
बखरा बराबर लगाई
परसों ले आई, बरसों ले आई
हरदम अकासे तकाई
धीरे-धीरे आई, चुपे-चुपे आई
अँखियन पर परदा लगाई
समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई
समाजवाद उनके धीरे-धीरे आई
--- गोरख पांडेय
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