3 अगस्त 2024

15 बेहतरीन शेर - 11 !!!

1- लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है, उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी - फ़िराक़ गोरखपुरी

2- माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं,  तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख - अल्लामा इक़बाल

3- शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं, इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं - वसीम बरेलवी

4-  किया तबाह तो दिल्ली ने भी बहुत 'बिस्मिल', मगर ख़ुदा की क़सम लखनऊ ने लूट लिया - बिस्मिल सईदी

5- यक़ीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,  हवा की ओट भी ले कर चराग़ जलता है - मंज़ूर हाशमी

6- ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,  पाँव बख़्शें हैं तो तौफ़ीक़-ए-सफ़र भी देना - मेराज फ़ैज़ाबादी

7- मय-ख़ाने में क्यूँ याद-ए-ख़ुदा होती है अक्सर, मस्जिद में तो ज़िक्र-ए-मय-ओ-मीना नहीं होता - रियाज़ ख़ैराबादी

8- कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे, हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे - हसन नईम

9-  इंक़िलाबों की घड़ी है,  हर नहीं हाँ से बड़ी है - जाँ निसार अख़्तर

10- झुक कर सलाम करने में क्या हर्ज है मगर,  सर इतना मत झुकाओ कि दस्तार गिर पड़े - इक़बाल अज़ीम

11- साया है कम खजूर के ऊँचे दरख़्त का, उम्मीद बाँधिए न बड़े आदमी के साथ - कैफ़ भोपाली

12 - शाख़ें रहीं तो फूल भी पत्ते भी आएँगे, ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएँगे - अज्ञात

13-  सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं,  जिस को देखा ही नहीं उस को ख़ुदा कहते हैं - सुदर्शन फ़ाकिर

14-  छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे, आसाँ को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूँडते हैं - अब्दुल हमीद अदम

15- इस तरह ज़िंदगी ने दिया है हमारा साथ,  जैसे कोई निबाह रहा हो रक़ीब से - साहिर लुधियानवी

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